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प्रथम चरण में ही निपट जायेगा जनपद का निकाय चुनाव
फर्रुखाबाद: निर्वाचन आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार प्रथम चरण
में जिन 18 जिलों के निकायों के लिए मतदान होगा उनमें जनपद फर्रुखाबाद का
नाम भी सम्मलित है। जारी कार्यक्रम के अनुसार इसके लिए जनपद स्तर पर जिला
निर्वाचन अधिकारी कल शनिवार 26 मई को अधिसूचना जारी कर देंगे।
उल्लेखनीय...
Posted on : 29-04-2012 | By : जेएनआई-डेस्क | In : Corruption, Politics-CONG., Politics-Salman, राष्ट्रीय, समाचार
श्री खुर्शीद ने बताया कि टेलीकाम घोटाले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पूर्व में दिये गये ठेके निरस्त कर दिये जाने के कारण टेलीकाम सेक्टर को धक्का लगा है व इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टेलीकाम सेक्टर में भारत की रेटिंग में कमी आयी है। उन्होंने कहा कि उन 122 ठेकों के आधार पर कंपनियों ने बैंकों से जो पैसा लिया था वह भी डूब रहा है, हजारों लोगों के रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इसी लिये केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध पुनरीक्षण याचिका डाली है। इसे स्वीकार कर लिया गया है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ इसकी सुनवाई करेगी।
उन्होंने कहा कि इसका मतलब घोटाले के दोषियों को बचाना नहीं हैं, परंतु अन्य पहलुओं पर भी विचार किया जाना चाहिये। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कानून सख्त नहीं हैं। धारा 409 में उम्र कैद का प्राविधान है। यदि फांसी की सजा होती तो जाने कितनों को फांसी हो चुकी होती। बंगारू लक्ष्मण को भी फांसी हो चुकी होती।
प्रयास: फर्रुखाबाद में लगेगा दुग्ध उत्पाद का कारखाना
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फर्रुखाबाद: अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो बहुत जल्द मोहम्दाबाद क्षेत्र के निसाई गाँव में दुग्ध उत्पाद का कारखाना लग जायेगा|
सलमान खुर्शीद के साथ आये मेस्को समूह के प्रतिनिधि ने ये जानकारी बढ़पुर स्थित एक होटल में पत्रकार वार्ता में दी गयी|
मेस्को समूह के जे के सिंह ने बताया कि वे वायुसेना से रिटायर हुए है और उडीसा में इस्पात और माइनिंग का काम करते हैं| जे के सिंह लुईस खुर्शीद के चुनाव के दौरान भी उनके प्रचार के लिए आये थे| अब श्री सिंह मोहम्दाबाद के निसाई में दुग्ध उत्पाद जैसे दही, पनीर, मक्खन, और घी का उत्पादन करेगी| इस प्लांट की क्षमता १ लाख लीटर प्रतिमाह होगी जिसे बाद में बढ़ाया जायेगा| अप्रैल में कारखाना बनना शुरू हो जायेगा और उत्पादन नवम्बर 2012 तक शुरू होने की सम्भावना है|
मेस्को समूह के जे के सिंह ने बताया कि वे वायुसेना से रिटायर हुए है और उडीसा में इस्पात और माइनिंग का काम करते हैं| जे के सिंह लुईस खुर्शीद के चुनाव के दौरान भी उनके प्रचार के लिए आये थे| अब श्री सिंह मोहम्दाबाद के निसाई में दुग्ध उत्पाद जैसे दही, पनीर, मक्खन, और घी का उत्पादन करेगी| इस प्लांट की क्षमता १ लाख लीटर प्रतिमाह होगी जिसे बाद में बढ़ाया जायेगा| अप्रैल में कारखाना बनना शुरू हो जायेगा और उत्पादन नवम्बर 2012 तक शुरू होने की सम्भावना है|
Posted on : 07-03-2012 | By : जेएनआई-डेस्क | In : EDITORIALS, Politics, Politics-CONG., Politics-Election2012, Politics-Salman, समाचार
कांग्रेस प्रदेश भर में अपना संगठन न होने का रोना रो रही है। इस हालत में पहुँचने के बाद कांग्रेस के लिए उधर अंगुली उठाना लाजिमी भी है। पर कांग्रेस यह याद क्यों नहीं दिलाती राहुल गाँधी के निर्देशन में एक एन जी ओ ने नाटकीय ढंग से संगठनात्मक चुनाव कराये थे। लग रहा था कि लोकतान्त्रिक ढंग से चुन कर संगठन में आये युवा संगठन में कोई क्रांती लादेंगे। लेकिन युवा कांग्रेस के चुने गए पदाधिकारी उतना आच्छा काम भी नहीं कर पाए जितना मनोनीत पदाधिकारी कर लेते हैं। चुनाव में तो अंगुली पर गिने जाने वाले युवा पदाधिकारी कहीं मोर्चा लेते नहीं दिखे। संगठन का राहुल फार्मूला यहां फ्लाप हो गया। जिन लोगों ने एनजीओ के कर्मचारी बनकर चुनाव करबाए वे भी अपने में कंग्रेसियत नहीं भर पाए। जो कांग्रेसी जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं उनसे आशीर्वाद से अधिक उम्मीद भी क्या की जा सकती है। लुईस ने उन्हें कई बार सम्मानित कर आशीर्वाद लेने का अवसर भी नहीं गंवाया। लेकिन नए लोगों को जोड़ने का काम तो युवा कांग्रेस करेगी। लेकिन युवा कांग्रेस तो कुछ कर ही नहीं रही है। एनएसयुआई वाले भी कहीं आन्दोलन करते नहीं दिखती।
बार बार हार के चुनाव नतीजे बताते हैं की बेशक सलमान खुर्शीद बहुत अच्छे नेता हैं लेकिन वह फर्रुखाबाद की राजनीती में फिट नहीं बैठ रहे हैं। उनके आस- पास भी कुछ नेताओं की चौकड़ी है जो केवल सलमान खुर्शीद के साथ अपना फोटो खिंचवाकर दिल्ली के व्यापारियों के आगे अपना झंडा बुलंद कर लेते हैं। उन्हें इससे ज्यादा कुछ और चाहिये भी नहीं है। उनका काम सलमान के नाम से चलता रहता है। सच में यह गिने चुने लोग सलमान और नए जुड़ने वाले लोगों के बीच बैरियर बन जाते हैं। वही प्रतिनिधि सलमान या लुईस को कुछ मिनटों के लिए भी अकेला नहीं छोड़ते ताकि कोई सलमान को कुछ बता सके। यहाँ तक की प्रेस कांफ्रेंस तक में कांग्रेसी सलमान या लुईस को अकेला नहीं छोड़ते। कोई सलमान खुर्शीद को कुछ बताना भी चाहे तो कब बताये।
सलमान खेमे में दल- बदल कर आये लोग कितनी जल्दी विश्वास अर्जित कर लेते हैं यह किसी से छिपा नहीं है। गणेश परिक्रमा यहाँ भी पसंद की जाती है। एक पूर्व विधायक के पुत्र मीटिंगों में लुईस पर फूल की पंखुडियां डालकर है नजदीकी बन गए। व्यपार मंडल के एक नेता भी चुनाव में कांग्रेस में आये और सबसे आगे खड़े होने लगे। एक युवा नेता लोक सभा चुनाव में कांग्रेस में आये और मीडिया के अलमबरदार बन गए। पूरे चुनाव उनका मोबाईल काल डायवर्ट पर ही लगा रहा। कुछ अख़बारों में उन्हें वरिष्ठ नेता लिखा जाता है। कुछ नेताओं ने चुनाव में अपनी गाड़ियों को किराये पर उठाकर जेब भरी और मंच से भाषण भी देते रहे। जिला कांग्रेस के एक पूर्व अध्यक्ष भोजपुर से टिकट मांगने के दौरान तो बहुत खास बने दीखते थे बाद में केवल एक मीटिंग में भाषण देने आये। एक स्कूल के मनेजर भी टिकट न मिलने के बाद सलमान में कमियां निकलते दिखे। लोग सलमान के कुछ वैतनिक कर्मचारियों को भी पसंद नहीं करते पर मजबूरन उन्हें सलाम बजाना पड़ता है। अगर सलमान परिवार को फर्रुखाबाद से राजनीती करनी है तो उन्हें देखना पड़ेगा की फर्रुखाबाद के लोग क्या चाहते हैं।
अब चुनाव में बूथ बार परिणाम आ गया है तो कांग्रेस क्यों न उन नेताओं के पास- पडोश की क्षमता देखे की वे सब संसाधन होने पर भी कांग्रेस को कितने वोट दिला पाए। अगर वे पास- पडोश में पसंद नहीं किये जाते तो उन्हें साईड लाईन में डालने में ही भलाई है। केवल चुनाव में ही क्यों माननीय मंत्री जी की हर ईद, होली और दीवाली फर्रुखाबाद में अपनों के बीच क्यों न हो।
Posted on : 06-03-2012 | By : पंकज दीक्षित | In : Politics, Politics- Sapaa, Politics-BJP, Politics-BSP, Politics-CONG., Politics-Election2012, Politics-JKP, Politics-Salman
फर्रुखाबाद: कुल पड़े वैध मतों का छठा हिस्सा भी वोट बटोर नहीं
पाए कुल चौसठ प्रत्याशियो में से 54 प्रत्याशी| फर्रुखाबाद सदर सीट पर
विजय सिंह विजयी हुए तो भाजपा के मेजर सुनील और बसपा के मो उमर खान ही केवल
जमानत बचा सके| भोजपुर से जमालुद्दीन जीते तो केवल मुकेश राजपूत की ही
जमानत बच सकी| अमृतपुर विधानसभा में नरेन्द्र सिंह यादव विजयी हुए तो केवल
डॉ जितेन्द्र यादव और भाजपा के सुशील शाक्य की जमानत बच पायी| कायमगंज से
अजीत कठेरिया जीते तो वही जमानत भी केवल भाजपा के अमर सिंह खटिक की ही बच
सकी|

फर्रुखाबाद में कुल वैध मत निकले 174209 तो जमानत बचाने के लिए 29035 वोटो की जरुरत थी| मगर विजय सिंह, सुनील द्विवेदी और उमर खान के बाद अन्य सभी की जमानत जब्त हो गयी| जमानत जब्त कराने वाले फर्रुखाबाद में प्रमुख रहे समाजवादी पार्टी की उर्मिला राजपूत, कांग्रेस की लुईस खुर्शीद, जन क्रांति पार्टी के मोहन अग्रवाल और निर्दलीय प्रत्याशी अनुपम दुबे| अमर सिंह की लोकमंच पार्टी के उमीदवार शिवेंद्र विक्रम सिंह को केवल 532 वोट मिले| वहीँ पीस पार्टी के शिव शरण को केवल 741 लोगो ने ही पसंद किया|

भोजपुर विधानसभा में कुल 172326 वैध मत पड़े जिसमे जमानत बचाने के लिए 28721 वोटो की दरकार थी| जमालुदीन सिद्दीकी ने जीत का सेहरा बांधा तो जन क्रांति पार्टी के मुकेश राजपूत अपनी जमानत बचाने में सफल रहे| इसके बाद तो तीन तीन धुरन्धरो की जमानत जब्त हो गयी| कांग्रेस के रामसेवक यादव, भाजपा के सौरभ राठौर और 35 हजार से जीत का दावा करने वाले बसपा के महेश राठौर भी जमानत नहीं बचा सके| अमरसिंह की पार्टी लोकमंच के हरगोविंद सिंह को कुल 633 लोगो ने ही पसंद किया|

कायमगंज में कुल 195491 वैध वोट पड़े जिसमे जमानत बचाने के लिए 32582 वोटो की जरुरत थी| समाजवादी पार्टी के अजीत कठेरिया ने जीत का स्वाद चखा तो वहीँ केवल भाजपा के अमर सिंह खटिक ही अपनी जमानत बचा सके| सलमान खुर्शीद के गढ़ में कांग्रेस की शकुन्तला गौतम, अमर सिंह की लोकमंच की रीटा लक्ष्मी सहित बसपा के अनुराग गौतम की जमानत भी जब्त हुई| ये हाल तब है जब यहाँ बसपा का विधायक था| महान दल रामविलास माथुर और जन क्रांति पार्टी के पवन गौतम को भी जनता ने विधायक बनने के काबिल न समझा|

अमृतपुर विधानसभा से समाजवादी पार्टी के नरेन्द्र जीते| यहाँ कुल 158457 वैध मत पड़े जिसमे जमानत बचाने के लिए 26410 वोट चाहिए थे जिससे कम से कम इज्जत बच सके| भाजपा के सुशील शाक्य और जन क्रांति पार्टी के डॉ जितेन्द्र यादव की जमानत तो बच गयी मगर वर्तमान कायमगंज के बसपा विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप ग्नाग्वर, बसपा के महावीर राजपूत सहित अन्य सभी की जमानत न बच सकी|
फर्रुखाबाद में कुल वैध मत निकले 174209 तो जमानत बचाने के लिए 29035 वोटो की जरुरत थी| मगर विजय सिंह, सुनील द्विवेदी और उमर खान के बाद अन्य सभी की जमानत जब्त हो गयी| जमानत जब्त कराने वाले फर्रुखाबाद में प्रमुख रहे समाजवादी पार्टी की उर्मिला राजपूत, कांग्रेस की लुईस खुर्शीद, जन क्रांति पार्टी के मोहन अग्रवाल और निर्दलीय प्रत्याशी अनुपम दुबे| अमर सिंह की लोकमंच पार्टी के उमीदवार शिवेंद्र विक्रम सिंह को केवल 532 वोट मिले| वहीँ पीस पार्टी के शिव शरण को केवल 741 लोगो ने ही पसंद किया|
भोजपुर विधानसभा में कुल 172326 वैध मत पड़े जिसमे जमानत बचाने के लिए 28721 वोटो की दरकार थी| जमालुदीन सिद्दीकी ने जीत का सेहरा बांधा तो जन क्रांति पार्टी के मुकेश राजपूत अपनी जमानत बचाने में सफल रहे| इसके बाद तो तीन तीन धुरन्धरो की जमानत जब्त हो गयी| कांग्रेस के रामसेवक यादव, भाजपा के सौरभ राठौर और 35 हजार से जीत का दावा करने वाले बसपा के महेश राठौर भी जमानत नहीं बचा सके| अमरसिंह की पार्टी लोकमंच के हरगोविंद सिंह को कुल 633 लोगो ने ही पसंद किया|
कायमगंज में कुल 195491 वैध वोट पड़े जिसमे जमानत बचाने के लिए 32582 वोटो की जरुरत थी| समाजवादी पार्टी के अजीत कठेरिया ने जीत का स्वाद चखा तो वहीँ केवल भाजपा के अमर सिंह खटिक ही अपनी जमानत बचा सके| सलमान खुर्शीद के गढ़ में कांग्रेस की शकुन्तला गौतम, अमर सिंह की लोकमंच की रीटा लक्ष्मी सहित बसपा के अनुराग गौतम की जमानत भी जब्त हुई| ये हाल तब है जब यहाँ बसपा का विधायक था| महान दल रामविलास माथुर और जन क्रांति पार्टी के पवन गौतम को भी जनता ने विधायक बनने के काबिल न समझा|
अमृतपुर विधानसभा से समाजवादी पार्टी के नरेन्द्र जीते| यहाँ कुल 158457 वैध मत पड़े जिसमे जमानत बचाने के लिए 26410 वोट चाहिए थे जिससे कम से कम इज्जत बच सके| भाजपा के सुशील शाक्य और जन क्रांति पार्टी के डॉ जितेन्द्र यादव की जमानत तो बच गयी मगर वर्तमान कायमगंज के बसपा विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप ग्नाग्वर, बसपा के महावीर राजपूत सहित अन्य सभी की जमानत न बच सकी|
Posted on : 06-03-2012 | By : पंकज दीक्षित | In : Politics, Politics- Sapaa, Politics-BJP, Politics-BSP, Politics-CONG., Politics-Election2012, Politics-JKP, Politics-Salman
२- अमृतपुर से सपा के नरेन्द्र सिंह यादव 18971 वोट से जीते
३- फर्रुखाबाद से निर्दलीय विजय सिंह 147 वोट से जीते
४- कायमगंज से सपा के अजीत कठेरिया 21838 वोट से जीते
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Uttar Pradesh – Bhojpur | ||
Result Declared | ||
Candidate | Party | Votes |
---|---|---|
JAMALUDDIN SIDDIQUI | Samajwadi Party | 51650 |
MUKESH RAJPUT | Jan Kranti Party(Rashtrawadi) | 33021 |
SAURABH RATHORE | Bharatiya Janata Party | 27953 |
MAHESH SINGH RATHORE | Bahujan Samaj Party | 22212 |
RAM SEWAK SINGH | Indian National Congress | 21202 |
BHAWAR SINGH | Mahan Dal | 9235 |
SHYAM KUMAR | Independent | 1243 |
URMILA | Independent | 1007 |
MUNNI DEVI | Apna Dal | 798 |
SARVENDRA SINGH | Nationalist Congress Party | 757 |
AVINEESH KUMAR SINGH | Independent | 703 |
HARGOVIND SINGH | Rashtriya lokmanch | 633 |
PADAMSINGH | Independent | 579 |
CHANDER KISHOR | Janvadi Party(Socialist) | 496 |
DURGAWATI | Independent | 474 |
EZAJ AHAMAD | Independent | 363 |
Uttar Pradesh – Amritpur | ||
Result Declared | ||
Candidate | Party | Votes |
---|---|---|
NARENDRA SINGH YADAV | Samajwadi Party | 50911 |
DR. JITANDRA SINGH YADAV | Jan Kranti Party(Rashtrawadi) | 31940 |
SUSHIL KUMAR SHAKYA | Bharatiya Janata Party | 29288 |
MAHAVIR SINGH | Bahujan Samaj Party | 20597 |
KULDEEP GANGWAR | Indian National Congress | 14635 |
SATYA RAM | Independent | 1956 |
PRAMOD SINGH | Rashtriya lokmanch | 1592 |
BAKE LAL | Independent | 1310 |
SONIYA KINNAR | Independent | 1241 |
MAN MOHAN PRAKASH | Independent | 1203 |
SURESH CHANDRA | Independent | 1090 |
ROHIT KUMAR BATHAM | Vanchit Jamat Party | 731 |
ARUN KUMAR | Independent | 722 |
ANUP KUMAR | Independent | 547 |
SATYENDRA PRAKASH | Adarsh Rashtriya Vikas Party | 492 |
MOHIT | Kisan Sena | 202 |
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Posted on : 03-03-2012 | By : जेएनआई डेस्क | In : Politics, Politics- Sapaa, Politics-BJP, Politics-BSP, Politics-CONG., Politics-Election2012, Politics-JKP, Politics-Salman, समाचार
फर्रुखाबाद : चुनाव में किस मठाधीश का कितना करिश्मा चला यह 6
मार्च को काउंटिंग के बाद बूथ का रिकार्ड देखकर पता चल जायेगा| राज ये भी
खुलेगा कि जिसकी बूथ में नहीं चलती उसने पूरी कौम का ठेका ले रखा था| ये
मठाधीश चुनाव में सियासी हो गए और मीडिया की रौशनी से भी बचते रहे| ऐसे
लोगों को बेपर्दा करना जरूरी भी है जो बहुत बड़े आदर्शवादी बनते हैं और
परदे के पीछे क्या- क्या गुल खिलाते हैं| वैसे जब जनाब सियासी खेल में
शामिल होने का शौक पाल सकते है तो परदे में कैसा रहना| मीडिया में आने में
हिचक नहीं भी होनी चहिये।

इस मामले में कारी मुख़्तार आलम कादरी मिसाल हो सकते हैं। जो सीरत कमेटी के सदर रहे। मजहबी जलसों में बतौर आलिम तक़रीर भी करते हैं लेकिन बहिन जी का नीला रंग भा गया तो छिपना-छिपाना भी क्या…! पहले विधायक ताहिर हुसैन के लिए दुआएं कीं और फिर उमर साहब के लिए। कारी साहब उन लोगों से बहुत अच्छे हैं जो नाक पर मक्खी नहीं बैठने देते और माल हर पार्टी का डकार जाते हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान की बात हैं एक निर्दलीय उम्मीदवार के बारे में खबर मिली की वह एक मदरसे में एक ऐसे ही मठाधीश से मिलने गए हैं| मीडिया के लोग निर्दलीय उम्मीदवार से मिलने पहुंचे तो मठाधीश ने कैमरा देखते ही मुह बनाया, बोले कैमरा इधर न घुमाना नहीं तो दूसरे लोग नींद हराम कर देंगे।
मठाधीश महोदय अपने मदरसे के बच्चों और अध्यापकों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार से “वजन” के साथ बात कर रहे थे| खास बात ये कि उनके आस पास जो 15-20 लोगो की भीड़ थी उनमे मोहल्ले का एक भी मतदाता नहीं था। बाद में इन साहब की एक बसपा प्रत्याशी और एक केन्द्रीय मंत्री से मुलाकात भी चर्चा में रही| मतदान से पहले वाली रात तक जो-जो हुआ वह तो कोई चतुर सियासी शख्स भी नहीं करता।
हाजी दिलदार हुसैन, हाजी मुजफ्फर हुसैन रहमानी और हाजी मोहम्मद अहमद अंसारी ही नहीं सभासद आशु खान, रफ़ी अंसारी, असलम अंसारी. सभासद पुत्र लाईक खान और इज़हार कुरैशी ने परदे में कुछ नहीं रखा| वे बसपा के साथ थे तो थे। हकीकत में साल भर यही नाम मुस्लिम सियासत में सक्रिय दीखते हैं। पर मठाधीशों की भूमिका में जो ज्यादातर थे वे लोग जो मजहबी तो हैं पर सियासी नहीं। जलसों में वे तक़रीर तो अच्छी करते हैं पर लोग सियासी फैसले उनसे पूछकर नहीं करते और सियासी दखल भी नहीं मानते। यह अलग बात है कि लोग उन्हें तबज्जो देते हैं और चुनाव में उनकी चौखट पर हाजिरी देते हैं और इसी वजह से शायद उन्हें ठेका लेते देर नहीं लगती।
ऐसे एक मठाधीश तो बहुत पहले एक बार सपा के लिए बूथ- बूथ घूमे। इससे उनका मामला ख़राब भी हुआ। इस चुनाव में उनके यहाँ हाई प्रोफाईल नेता सहित उन सभी उम्मीदवारों ने हाजिरी दी जो मुस्लिम वोटों पर चुनाव लड़ रहे थे। एक मठाधीश एक दरगाह से जुड़े हैं| हर चुनाव में उनकी दरगाह पर उम्मीदवारों की रौनक रहती है। माल भी आता है। इस बार बेचारे उदास थे। नेता उनके यहाँ गए पर माल देकर नहीं आये। उदास मन से बोले इस बार तो दरगाह की गोलक में केवल 400 रुपये निकले| कोई कुछ देकर नहीं गया। अब फ्री में तो दुआ होती नहीं।
एक दूसरी दरगाह पर इस बार उम्मीदवारों की चहल कदमी कम रही। राजनीति के कुछ और राज भी सिलसिलेबार बेपर्दा होंगे। यह जानना जरूरी है कि जो लोग झूठ न बोलने और चाल-फरेब न करने की खूब ताकीद करते हैं वे चुनाव में हर तरह के खेल करते रहे और दूध के धुले भी बनने की कोशिश करते रहे|
मीडिया में नाम आते ही बौखला गए एक मौलाना साहब
चुनाव प्रचार शबाब पर चल रहा था| कौन किसके साथ है इसी सुर्खियाँ मीडिया में छपने लगी थी कि एक दिन हाथी वाले उम्मीदवार ने मीडिया को फलां मौलाना के अपने साथ होने की खबर मीडिया में रिलीज करा दी| बस फिर क्या था मौलाना साहब उखड गए| देर रात तक मीडिया के दफ्तर में फोन करते रहे कि वे हाथी के साथ नहीं है| उनसे पूछा गया किसके साथ है तो वोले वे किसी के साथ रहे रहे मगर हाथी के साथ नहीं है| मीडिया ने वापस हाथी वाले उमीदवार से सम्पर्क किया और उलाहना दिया कि अगर झूठी खबर दुबारा दी तो पूरे चुनाव में कवरेज की जगह नहीं पाओगे| स्थिति तुरंत साफ़ करो कि मौलाना ने तुम्हारे लिए कुछ कहा कि नहीं| हाथी वाले ने मौलाना के कन्नौज स्थित गुरु को फोन लगाया और मौलाना को तुरंत मुह पर ताला लगाने का फरमान जारी करवाया| जैसे तैसे मामला सम्भला, उसके बाद ही मीडिया में मौलाना के फोन आना बंद हुए| मगर उसी रात पंजे के समर्थक वसीम जमा खान का मीडिया दफ्तर में फोन आया कि उन्ही मौलाना ने मैडम को समर्थन दिया है और जल्द ही एक पत्र मीडिया के दफ्तर में पहुच जायेगा| खैर बिना पत्र के खबर न छपने की शर्त के कारण खबर पूरे चुनाव में मौलाना के समर्थन की न छप सकी क्यूंकि चुनाव ख़त्म हो गया चिट्ठी नहीं आई| बात वही हुई मियाँ गए थे चौवे बनने दुबे बन लौट आये| राज की बात तो खुली कि जनाब ने मुस्लिम वोटो के चाहने वाले तीनो उम्मेदवारो को जेब गरम करके दुआ दे दी थी| हाथी वाले ने खबर छपवा दी तो बाकी के दोनों नेताओ ने खाट खड़ी करनी शुरू कर दी थी|
इस मामले में कारी मुख़्तार आलम कादरी मिसाल हो सकते हैं। जो सीरत कमेटी के सदर रहे। मजहबी जलसों में बतौर आलिम तक़रीर भी करते हैं लेकिन बहिन जी का नीला रंग भा गया तो छिपना-छिपाना भी क्या…! पहले विधायक ताहिर हुसैन के लिए दुआएं कीं और फिर उमर साहब के लिए। कारी साहब उन लोगों से बहुत अच्छे हैं जो नाक पर मक्खी नहीं बैठने देते और माल हर पार्टी का डकार जाते हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान की बात हैं एक निर्दलीय उम्मीदवार के बारे में खबर मिली की वह एक मदरसे में एक ऐसे ही मठाधीश से मिलने गए हैं| मीडिया के लोग निर्दलीय उम्मीदवार से मिलने पहुंचे तो मठाधीश ने कैमरा देखते ही मुह बनाया, बोले कैमरा इधर न घुमाना नहीं तो दूसरे लोग नींद हराम कर देंगे।
मठाधीश महोदय अपने मदरसे के बच्चों और अध्यापकों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार से “वजन” के साथ बात कर रहे थे| खास बात ये कि उनके आस पास जो 15-20 लोगो की भीड़ थी उनमे मोहल्ले का एक भी मतदाता नहीं था। बाद में इन साहब की एक बसपा प्रत्याशी और एक केन्द्रीय मंत्री से मुलाकात भी चर्चा में रही| मतदान से पहले वाली रात तक जो-जो हुआ वह तो कोई चतुर सियासी शख्स भी नहीं करता।
हाजी दिलदार हुसैन, हाजी मुजफ्फर हुसैन रहमानी और हाजी मोहम्मद अहमद अंसारी ही नहीं सभासद आशु खान, रफ़ी अंसारी, असलम अंसारी. सभासद पुत्र लाईक खान और इज़हार कुरैशी ने परदे में कुछ नहीं रखा| वे बसपा के साथ थे तो थे। हकीकत में साल भर यही नाम मुस्लिम सियासत में सक्रिय दीखते हैं। पर मठाधीशों की भूमिका में जो ज्यादातर थे वे लोग जो मजहबी तो हैं पर सियासी नहीं। जलसों में वे तक़रीर तो अच्छी करते हैं पर लोग सियासी फैसले उनसे पूछकर नहीं करते और सियासी दखल भी नहीं मानते। यह अलग बात है कि लोग उन्हें तबज्जो देते हैं और चुनाव में उनकी चौखट पर हाजिरी देते हैं और इसी वजह से शायद उन्हें ठेका लेते देर नहीं लगती।
ऐसे एक मठाधीश तो बहुत पहले एक बार सपा के लिए बूथ- बूथ घूमे। इससे उनका मामला ख़राब भी हुआ। इस चुनाव में उनके यहाँ हाई प्रोफाईल नेता सहित उन सभी उम्मीदवारों ने हाजिरी दी जो मुस्लिम वोटों पर चुनाव लड़ रहे थे। एक मठाधीश एक दरगाह से जुड़े हैं| हर चुनाव में उनकी दरगाह पर उम्मीदवारों की रौनक रहती है। माल भी आता है। इस बार बेचारे उदास थे। नेता उनके यहाँ गए पर माल देकर नहीं आये। उदास मन से बोले इस बार तो दरगाह की गोलक में केवल 400 रुपये निकले| कोई कुछ देकर नहीं गया। अब फ्री में तो दुआ होती नहीं।
एक दूसरी दरगाह पर इस बार उम्मीदवारों की चहल कदमी कम रही। राजनीति के कुछ और राज भी सिलसिलेबार बेपर्दा होंगे। यह जानना जरूरी है कि जो लोग झूठ न बोलने और चाल-फरेब न करने की खूब ताकीद करते हैं वे चुनाव में हर तरह के खेल करते रहे और दूध के धुले भी बनने की कोशिश करते रहे|
मीडिया में नाम आते ही बौखला गए एक मौलाना साहब
चुनाव प्रचार शबाब पर चल रहा था| कौन किसके साथ है इसी सुर्खियाँ मीडिया में छपने लगी थी कि एक दिन हाथी वाले उम्मीदवार ने मीडिया को फलां मौलाना के अपने साथ होने की खबर मीडिया में रिलीज करा दी| बस फिर क्या था मौलाना साहब उखड गए| देर रात तक मीडिया के दफ्तर में फोन करते रहे कि वे हाथी के साथ नहीं है| उनसे पूछा गया किसके साथ है तो वोले वे किसी के साथ रहे रहे मगर हाथी के साथ नहीं है| मीडिया ने वापस हाथी वाले उमीदवार से सम्पर्क किया और उलाहना दिया कि अगर झूठी खबर दुबारा दी तो पूरे चुनाव में कवरेज की जगह नहीं पाओगे| स्थिति तुरंत साफ़ करो कि मौलाना ने तुम्हारे लिए कुछ कहा कि नहीं| हाथी वाले ने मौलाना के कन्नौज स्थित गुरु को फोन लगाया और मौलाना को तुरंत मुह पर ताला लगाने का फरमान जारी करवाया| जैसे तैसे मामला सम्भला, उसके बाद ही मीडिया में मौलाना के फोन आना बंद हुए| मगर उसी रात पंजे के समर्थक वसीम जमा खान का मीडिया दफ्तर में फोन आया कि उन्ही मौलाना ने मैडम को समर्थन दिया है और जल्द ही एक पत्र मीडिया के दफ्तर में पहुच जायेगा| खैर बिना पत्र के खबर न छपने की शर्त के कारण खबर पूरे चुनाव में मौलाना के समर्थन की न छप सकी क्यूंकि चुनाव ख़त्म हो गया चिट्ठी नहीं आई| बात वही हुई मियाँ गए थे चौवे बनने दुबे बन लौट आये| राज की बात तो खुली कि जनाब ने मुस्लिम वोटो के चाहने वाले तीनो उम्मेदवारो को जेब गरम करके दुआ दे दी थी| हाथी वाले ने खबर छपवा दी तो बाकी के दोनों नेताओ ने खाट खड़ी करनी शुरू कर दी थी|
Posted on : 25-02-2012 | By : पंकज दीक्षित | In : Politics, Politics- Sapaa, Politics-BJP, Politics-BSP, Politics-CONG., Politics-Election2012, Politics-JKP, Politics-Salman
चर्चा है अमृतपुर विधानसभा में एक खानदानी ने चीनी, साड़ी, तेल बाट डाला| दूसरे प्रत्याशी ने शराब, नोट, क्रिकेट किट और जाने क्या क्या बाटा| तीसरे प्रत्याशी ने भी शराब बाट दी| नगर फर्रुखाबाद की सीट पर एक प्रत्याशी ने रातो रात करोडो बाट डाले| प्रधानो को 50-50 हजार भेजे गए| ये रुपया बस्ते के रुपये के इतर रहा| खबर है चुनाव में एक ठेकेदार ने न केवल पैसे देकर पूरे चुनाव में भीड़ जुटाई बल्कि अपना बजट 3 करोड़ को पार दिया| बहती गंगा में कार्यकर्ताओ की जगह ठेकेदारों ने खूब हाथ धोये| प्रधान, बीडीसी सदस्य सहित छोटे मोटे नेता भी बिके| कई तो कई कई जगह बिक गए| अब 6 तारीख तक यही ठेकेदार अपने अपने प्रत्याशियो को भारी बहुमत से जिता रहे है| हाथी वाले प्रत्याशी तो 35 हजार से अपनी जीत का दावा कर रहे है तो भाजपा वाले अंडर करंट के वोट गिना रहे है| साइकिल वाले तो सरकार बनने पर अपने विधायक का मंत्र्यालय तय करने में लगे है| वहीँ अलमारी (जन क्रांति पार्टी) वाले प्रत्याशी 4 में से तीन सीट पक्की मान बैठे हैं| जीत कांग्रेस वाले भी कर रहे है| 4 में से तीन सीट उनकी भी निकल रही है| समर्थक अपने अपने वोट गिना रहे है और प्रत्याशियो को धैर्य बंधा रहे है| मगर जो अकाट्य सत्य है वो है सीट तो केवल चार है और विधायक भी केवल चार बनेगे| बाकी सब भ्रम और वोटरों की माया है| समर्थक इस मायाजाल से प्रत्याशी को बाहर निकलने नहीं देना चाहता और प्रत्याशी बाहर नहीं निकलना चाहता| इसी में दोनों का मोक्ष लगता है|
चुनाव में वोट पड़ चुके है, शराबी मतदाताओ की शराब उतर चुकी है, जिससे मिलते है उसी की जीत का दावा कर रहे है| शतरंज की चल की तरह हर प्रत्याशी अपने कम दूसरे के आंकड़े गिनने में ज्यादा लगा है| गणित अभी भी वही चल रही है कितने ठाकुर, कितने लोधी, कितने यादव, कितने ब्रह्मण, कितने शाक्य, कितने कुर्मी, कितने मुसलमान और जाने कितने क्या क्या| मतदाता चतुर और होशियार हो गया है ये मानने को अभी भी तैयार नहीं है नेता| उनका मानना है जनता बिरादरी पर मरती है| 6 तारीख के बाद माहौल बदल जायेगा| 64 प्रत्याशियो में से केवल 4 होली मनाएंगे बाकी क्या करेंगे भगवन ही मालिक| पैसा तो सब का खर्च हो गया| पतंग हो या बाल्टी, अलमारी हो या साइकिल सबने दिल खोल कर खर्च किया है| अब खर्च का पैसा कैसे वापस आएगा इस का गुना भाग भी लग रहा है| एक प्रत्याशी ने 10 बीघा खेत गिरवी रखा तो दूसरे ने अपने एक काले धन के सम्राट रिश्तेदार से उधर लेकर चुनाव चुनाव खेल लिया| वोट मांगते समय जिसके पाँव बिना मुह देखे ही छू लिए थे हारने के बाद गालिओं के लिए तैयार रहे| वोटर सा..साला बहुत हरामी है ये जुमला बहुतायत में निकलने वाला है|
कांग्रेस में जान फुकने को सलमान पैदल निकले
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Posted on : 23-01-2012 | By : जेएनआई डेस्क | In : Politics-CONG., Politics-Election2012, Politics-Salman, समाचार
विधान सभा चुनाव
जुलुस में पहुंचे विकलांगो ने अपनी ट्राई साइकल पर कांग्रेस का झंडा व टैटू लगाकर जुलुस की संख्या में इजाफा किया| इसके अलावा जगह-जगह दुकानों पर सलमान ने कांग्रेसी मफलर से लोगों को सम्मानित किया|
लालदरवाजे पर आकर जुलुस ख़त्म हो गया| इस दौरान पुन्नी शुक्ला, अफताब हुसैन के अलावा काफी मात्रा में कांग्रेसी मौजूद रहे|
Posted on : 23-01-2012 | By : पंकज दीक्षित | In : EDITORIALS, Politics- Sapaa, Politics-BJP, Politics-BSP, Politics-Election2012, Politics-JKP, Politics-Salman
20.01.2012 को फर्रुखाबाद विधानसभा में JNI के 41256 मोबाइल न्यूज़ पाठको से पूछी गयी राय (फर्रुखाबाद का विधायक किसे बनना चाहिए?) में मिले परिणाम के विश्लेषण के मुताबिक साइकिल और पंजा एक दूसरे से जुड़े हैं| जुड़ने का मतलब ये है कि अगर पंजा मजबूत होता है तो साइकिल की हवा निकलेगी और पंजा (लुईस लुईस खुर्शीद) कमजोर होता है तो साइकिल (उर्मिला राजपूत) दौड़ में रहेगी| एक दूसरे के मतों को प्रभावित करने में हाथी और निर्दलीय का सम्बन्ध रहेगा| हाथी के कमजोर होने पर निर्दलीय विजय दौड़ में बना रहेगा और यदि हाथी मजबूत होता है तो नुकसान विजय का सबसे ज्यादा होगा| मजेदार स्थिति ये है कि भाजपा, जन क्रांति पार्टी और निर्दलीय अनुपम की स्थिति तठस्थ रहेगी| भाजपा (मेजर सुनील दत्त द्विवेदी) की जीत का दारोमदार साइकिल और निर्दलीय विजय के कमजोर होने पर निर्भर रहेगा| कुल मिलाकर मुकाबला त्रिकोणीय और संघर्षमय होगा| मुकाबले में एक राष्ट्रीय दल, एक प्रांतीय दल और एक निर्दलीय ही रहेगा, बाकी सब इन सबको आगे पीछे करने के फैक्टर बनेगे| फ़िलहाल मतों के पड़ने में अभी 25 दिन का वक़्त है और चुनाव एक रात में बदलता है| मगर आज सोमवार 20.01.2012 को स्थिति ये है कि उर्मिला राजपूत, विजय सिंह और मेजर सुनील ही मुकाबले की स्थिति में है अन्य को मुकाबले में आने के लिए कड़े संघर्ष की जरुरत है| ये जरुरी नहीं कि यही स्थितिया आगे भी बरक़रार रहे| अभी बड़े नेताओ के दौरे लगेंगे, वोटरों को खरीदने का लोभ लालच भी दिया जायेगा, कोई न कोई हवा चलेगी और ये सब फैक्टर भी प्रत्याशियो के मुकाबले के स्थान तय करेंगे|
सबसे बड़ा और पहली बार महिलाये और युवा वोटर नगर का विधायक तय करेंगे| इनमे जातीय आंकड़े धरे रह जायेंगे| महिला वोटरों के सामने दो महिलाओ में से किसे चुनना है ये बड़ा विकल्प होगा| पांच साल तक नगर में रहकर फर्रुखाबाद महोत्सव से लेकर लाल काली पीली महिला सेना बनाकर मीडिया में सुर्खिया बटोरने वाली उर्मिला और केंद्रीय मंत्री की पत्नी लुईस खुर्शीद में से किसे चुनना है| प्रत्याशी के साथ जुड़े साइड फैक्टर पांच साल तक भले ही निष्क्रिय रहते हो मगर चुनाव में ये फैक्टर चौराहों तिराहो और घर घर में चर्चा का विषय बनते है| वैसे केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद का मुसलमानों को खुश करने के लिए चला गया 9 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा पूरे यूपी में कितना प्रभावी होगा ये कहना मुश्किल है मगर फर्रुखाबाद में इसका असर दिखने लगा है| ये फैक्टर कांग्रेस के लिए फर्रुखाबाद में फायदे ज्यादा नुकसान कर सकता है| सभी जातियों की पसंद पर सांसद बने सलमान खुर्शीद से फर्रुखाबाद की गैर मुसलमान जनता को चुनावी फायदे के लिए दिए गए इस व्यक्तव्य की कतई उम्मीद नहीं थी| दूसरी बात ये भी है कि सलमान खुर्शीद के प्रशंसक फर्रुखाबाद में मुसलमानों के मुकाबले हिन्दू ज्यादा है जबकि उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद के बारे में ये बात कहीं नहीं ठहरती| इधर भाजपा पिछडो के हिस्सा मारे जाने की बात को चुनाव में जमकर भुनाएगी और वोटो का ध्रुवीकरण कराने का प्रयास करेगी जिसमे वो कामयाब होती दिख रही है| मगर ये पिछड़ा भाजपा के साथ रहेगा ये वोट लेने के वाले की क्षमता पर निर्भर रहेगा| कुल मिलाकर कांग्रेस को पिछडो की नाराजगी कम से कम फर्रुखाबाद में झेलनी पड़ेगी ही|
2जी घोटाला में खुर्शीद के बचाव में केंद्र सरकार
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घोटाले को सुप्रीम कोर्ट लाने वाले एनजीओ सीपीआइएल ने अर्जी दाखिल कर खुर्शीद पर जांच में दखलंदाजी का आरोप लगाया था, जिसका आधार एस्सार लूप मामले में कानून मंत्रालय की राय को बनाया गया था। इस पर दूरसंचार विभाग, सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया था। अर्जी में सीबीआई से दयानिधि मारन के मामले में स्थिति रिपोर्ट तलब किए जाने का भी अनुरोध किया गया था। दूरसंचार विभाग की ओर से दाखिल हलफनामे में आरोपों को नकारते हुए सरकार ने कहा है कि मामले में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है और कोर्ट उस पर संज्ञान भी ले चुकी है। ऐसे में अब मामले की निगरानी बंद कर देनी चाहिए। वैसे भी आगे निगरानी जारी रखी जाए कि नहीं इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुरक्षित है। फैसला सुरक्षित होने के बाद गैर सरकारी संगठन अर्जी दाखिल नहीं कर सकता और न ही ऐसी किसी अर्जी पर विचार किया जाना चाहिए।
सरकार ने एनजीओ पर आरोप लगाया है कि वह प्रचार पाने के लिए अधिकारियों, संवैधानिक पदों पर तैनात लोगों व एजेंसियों पर आरोप लगाता है और सरकार की छवि धूमिल करने की कोशिश करता है। सरकार ने अटार्नी जनरल जीई वाहनवती व खुर्शीद पर लगाए गए आरोपों पर एतराज भी जताया है। हलफनामे में कहा गया है कि अटार्नी जनरल और कानून मंत्रालय की राय रिकार्ड पर है और ट्रायल कोर्ट के दस्तावेजों का हिस्सा है। कोर्ट उस पर विचार कर रहा है। अगर उसे मामले में कुछ लगता है तो वह स्वयं उस पर संज्ञान ले सकता है।
वैसे भी जांच एजेंसी किसी भी राय से बंधी नहीं है। सरकार ने कहा है कि कानूनी राय के आधार पर किसी व्यक्ति पर जो इस सुनवाई का हिस्सा भी नहीं है, आरोप लगाना गलत है। यूएएस लाइसेंस निरस्त करने के बारे में कंपनियों को भेजे नोटिस पर सरकार ने कहा है कि अभी तक उसे सिर्फ एक कंपनी की ओर से ही जवाब मिला है। दयानिधि मारन व जांच के अन्य पहलुओं पर सीबीआई जवाब देगी।