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ऐतिहासिक महत्त्व को समझाता 'विश्व धरोहर दिवस' (18 अप्रैल विशेष)
17/04/2010
भोपाल (कमल सोनी) 17/अप्रैल/2010/(ITNN)>>>> 18 अप्रैल को पूरे विश्व में विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मानाने का मुख्य उद्देश्य भी यहे है कि पूरी दुनिया में ऐतिहासिक महत्व की धरोहरों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाइ जा सके. धरोहर अर्थात मानवता के लिए अत्यंत महत्व की जगह, जो आगे आने वाली पीढि़यों के लिए बचाकर रखी जाएँ, उन्हें विश्व धरोहर स्थल के रूप में जाना जाता है. ऐसे महत्वपूर्ण स्थलों के संरक्षण की पहल यूनेस्को ने की थी. जिसके बाद एक अंतर्राष्ट्रीय संधि जो कि विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण की बात करती है के 1972 में लागू की गई. तब विश्व भरा के धरोहर स्थलों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में शामिल किया गया. पहला प्राकृतिक धरोहर स्थल, दूसरा सांस्कृतिक धरोहर स्थल और तीसरा मिश्रित धरोहर स्थल. इनके बारे में हम आगे बात करेंगे. लेकिन पहले यह जन लें कि विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत कब हुई. विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत 18 अप्रैल 1982 को हुई थी जब इकोमास संस्था ने टयूनिशिया में अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल दिवस का आयोजन किया. इस कार्यक्रम में कहा गया कि दुनियाभर में समानांतर रूका से इस दिवस का आयोजन होना चाहिए. इस विचार का यूनेस्को के महासम्मेलन में भी अनुमोदन कर दिया गया और नवम्बर 1983 से 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई.
विश्व धरोहरों में भारत महत्वपूर्ण स्थान पर :- विश्व धरोहरों के मामले में भारत का दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान है और यहां के ढाई दर्जन से अधिक ऐतिहासिक स्थल, स्मारक और प्राचीन इमारतें यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं. हर साल 18 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व धरोहर दिवस 26 साल से निरंतर विश्व की अद्भुत, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के महत्व को दर्शाता रहा है. भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का जिक्र करें तो ऐसे बहुत से स्थानों का नाम जहन में आता है जिन्हें विश्व धरोहर सूची में महत्वपूर्ण स्थान हासिल है लेकिन मुहब्ब्त के प्रतीक ताजमहल और मुगलकालीन शिल्प की दास्तां बयान करने वाले दिल्ली के लालकिले ने इस सूची को भारत की ओर से और भी खूबसूरत बना दिया है. ताजमहल को पिछले वर्ष कराए गए एक विश्वव्यापी मतसंग्रह के दौरान दुनिया के सात अजूबों में अव्वल नंबर कार रखा गया था. विश्व धरोहर सूची में शामिल भारत की अजंता की गुफाएं 200 साल पूर्व की कहानी कहती नजर आती हैं लेकिन इतिहास के कान्नों में धीरे-धीरे ये भुला दी गईं और बाद में बाघों का शिकार करने वाली एक ब्रिटिश टीम ने इनकी फिर खोज की. विश्व धरोहर सूची में शामिल एलोरा की गुफाएं दुनिया भर को भारत की हिन्दू, बौध्द और जैन संस्कृति की कहानी बताती हैं. ये गुफाएं लोगों को 600 और 1000 ईस्वीं के बीच के इतिहास से रूबरू कराती हैं. भारत को विश्व धरोहर सूची में 14 नवंबर 1977 में स्थान मिला. तब से अब तक 27 भारतीय स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया जा चुका है. इसके अलावा फूलों की घाटी को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के एक भाग रूप में इस सूची में शामिल कर लिया गया है.
ऐतिहासिक दिल्ली :- दिल्ली की संस्कृति यहां के लंबे इतिहास और भारत की राजधानी रूप में ऐतिहासिक स्थिति से पूर्ण प्रभावित रहा है. यह शहर में बने कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारकों से विदित है. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने दिल्ली शहर में लगभग 1200 धरोहर स्थल घोषित किए हैं, जो कि विश्व में किसी भी शहर से कहीं अधिक है. और इनमें से 175 स्थल राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित किए हैं. पुराना शहर वह स्थान है, जहां मुगलों और तुर्क शासकों ने कई स्थापत्य के नमूने खडए किए हैं, जैसे जामा मस्जिद (भारत की सबसे बड़ी मस्जिद) और लाल किला. दिल्ली में फिल्हाल तीन विश्व धरोहर स्थल हैं – लाल किला, कुतुब मीनार और हुमायुं का मकबरा. अन्य स्मारकों में इंडिया गेट, जंतर मंतर (१८वीं सदी की खगोलशास्त्रीय वेधशाला), पुराना किला (१६वीं सदी का किला). बिरला मंदिर, अक्षरधाम मंदिर और कमल मंदिर आधुनिक स्थापत्यकला के उदाहरण हैं.
आगरा का किला :- आगरा का किला एक यूनेस्को घोषित विश्व धरोहर स्थल है, जो कि भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थित है। इसे लाल किला भी कहा जाता है। इसके लगभग 2.5 कि.मी. उत्तर-पश्चिम में ही, विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताज महल स्थित है। इस किले को चहारदीवारी से घिरी प्रासाद (महल) नगरी कहना बेहतर होगा। यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण किला है। भारत के मुगल सम्राट बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां व औरंगज़ेब यहां रहा करते थे, व यहीं से पूरे भारत पर शासन किया करते थे। यहां राज्य का सर्वाधिक खजाना, सम्पत्ति व टकसाल थी। यहां विदेशी राजदूत, यात्री व उच्च पदस्थ लोगों का आना जाना लगा रहता था, जिन्होंने भारत के इतिहास को रचा।
साँची का स्तूप :-  सांची भारत के मध्य प्रदेश राज्य के रायसेन जिले, में स्थित एक छोटा सा गांव है। यह भोपाल से ४६ कि.मी. पूर्वोत्तर में, तथा बेसनगर और विदिशा से १० कि.मी. की दूरी पर मध्य-प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यहां कई बौद्ध स्मारक हैं, जो तीसरी शताब्दी ई.पू से बारहवीं शताब्दी के बीच के काल के हैं। सांची में रायसेन जिले की एक नगर पंचायत है। यहीं एक महान स्तूप स्थित है। इस स्तूप को घेरे हुए कई तोरण भी बने हैं। यह प्रेम, शांति, विश्वास और साहस के प्रतीक हैं। सांची का महान मुख्य स्तूप, मूलतः सम्राट अशोक महान ने तीसरी शती, ई.पू. में बनवाया था। इसके केन्द्र में एक अर्धगोलाकार ईंट निर्मित ढांचा था, जिसमें भगवान बुद्ध के कुछ अवशेष रखे थे। इसके शिखर पर स्मारक को दिये गये ऊंचे सम्मान का प्रतीक रूपी एक छत्र था।
विश्व धरोहर में शामिल हो सकता है मध्यप्रदेश का भोजपुर शिवालय :- भोजपुर के शिव मंदिर का नाम जल्दी ही वर्ल्‍ड हेरिटेज में जुड़ सकता है. अगर ऐसा होता है, तो मध्‍यप्रदेश और भारत की कीर्ति में भी वृद्धि होगी. अब जबकि भोजपुर के शिव मंदिर को भी विश्व धरोहर में शामिल करने की कवायद तेज हो चली है, ऐसे में अगर यूनेस्को की मुहर इस पर लग जाती है, तो रायसेन जिला विश्व का एकमात्र ऐसा जिला होगा, जिसमें तीन विश्व धरोहरें होंगी. चंदेल वंश के राजा भोज द्वारा ग्यारहवीं शताब्दी में निर्मित भोजपुर का शिव मंदिर एक ऐतिहासिक धरोहर है. भोजपुर मंदिर की देखरेख कर रहे पुरातत्व अधिकारियों द्वारा 29 जनवरी को एक प्रस्ताव तैयार कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), नई दिल्ली को भेजा गया है. इसमें प्रमुख रूप से इस बात को दर्शाया गया है कि इस तरह का अनूठा शिव मंदिर विश्‍व में इकलौता है. इतना विशाल शिवलिंग दुनिया भर में कहीं नहीं है. शिव मंदिर में रोजाना औसतन तीन से चार हजार पर्यटक एवं श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है. छुट्टी के दिन यह तादाद बढ़ कर पांच हजार तक हो जाती है. भोजपुर का शिव मंदिर अगर विश्व धरोहर में शामिल हो जाता है, तो रायसेन जिले का नक्‍शा ही बदल जायगा क्योंकि जिले में दो विश्व धरोहर पूर्व से ही मौजूद हैं. इसमें सांची एंव भीमबैठका के जिले में स्थित होने के कारण विश्‍व पटल पर अपनी अलग पहचान कायम करने वाले रायसेन जिले के राजस्व में बढ़ोतरी होगी. वर्ल्‍ड हेरिटेज में भोजपुर शिवालय को शामिल कराए जाने के प्रयासों के मद्देनजर मंदिर के आस-पास अतिक्रमण को हटाया जाएगा.
ग्‍यारहवीं शताब्‍दी में हुआ निर्माण :- महाभारत में वर्णित पवित्र वेतवा नदी के तट पर स्थित इस मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं शताब्‍दी में चंदेश राजा भोज ने कराया था. विश्व में सर्वाधिक विशालकाय इस शिवलिंग की ऊचांई लगभग 22 फीट और जलेहरी 12X12 फीट की आंकी गई है. 600 फीट लंबाई का मिट्टी से निर्मित रपटा, जो मंदिर से सटा हुआ है, अब तक पूर्ण रूप से सुरक्षित है. उत्‍कीर्ण चट्टानें दुनिया भर में केवल इस मंदिर के अंदर है, जिनमें मंदिर निर्माण के समय का मंदिर का डिजाईन मंदिर के अंदर चट्टान पर अब भी स्पष्‍ट दिखाई देता है. इतना विशाल शिवलिंग भारत ही नहीं, वल्कि दुनिया में भी कहीं नहीं है.
धरोहरों की श्रेणियाँ :- विश्व की धरोहरों को मुख्यतः तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहला प्राकृतिक धरोहर स्थल, दूसरा सांस्कृतिक धरोहर स्थल और तीसरा मिश्रित धरोहर स्थल.
(१) प्राकृतिक धरोहर स्थल - ऐसी धरोहर भौतिक या भौगोलिक प्राकृतिक निर्माण का परिणाम या भौतिक और भौगोलिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर या वैज्ञानिक महत्व की जगह या भौतिक और भौगोलिक महत्व वाली यह जगह किसी विलुप्ति के कगार पर खड़े जीव या वनस्पति का प्राकृतिक आवास हो सकती है.
(२) सांस्कृतिक धरोहर स्थल - इस श्रेणी की धरोहर में स्मारक, स्थापत्य की इमारतें, मूर्तिकारी, चित्रकारी, स्थापत्य की झलक वाले, शिलालेख, गुफा आवास और वैश्विक महत्व वाले स्थान; इमारतों का समूह, अकेली इमारतें या आपस में संबद्ध इमारतों का समूह; स्थापत्य में किया मानव का काम या प्रकृति और मानव के संयुक्त प्रयास का प्रतिफल, जो कि ऐतिहासिक, सौंदर्य, जातीय, मानवविज्ञान या वैश्विक दृष्टि से महत्व की हो, शामिल की जाती हैं.
(३) मिश्रित धरोहर स्थल - इस श्रेणी के अंतर्गत् वह धरोहर स्थल आते हैं जो कि प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों ही रूपों में महत्वपूर्ण होती हैं.
यूनेस्को द्वारा स्वीकृत भारत के विश्व धरोहर स्थल :- भारत को विश्व धरोहर सूची में 14 नवंबर 1977 में स्थान मिला. तब से अब तक २७ भारतीय स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया जा चुका है. आने वाले समय में कुछ और धरोहरों को विश्व धरोहार की सूची में स्थान मिल सकता है. 
<<>> आगरे का किला, उत्तर प्रदेश
<<>> अजंता की गुफाएँ, महाराष्ट्र
<<>> साँची के बौद्ध स्तूप, मध्य प्रदेश
<<>> चंपानेर पावागढ का पुरातत्व पार्क, गुजरात
<<>> छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, महाराष्ट्र
<<>> गोवा के पुराने चर्च गोवा
<<>> एलीफैन्टा की गुफाएँ, महाराष्ट्र
<<>> एलोरा की गुफाएँ, महाराष्ट्र
<<>> फतेहपुर सीकरी, उत्तर प्रदेश
<<>> चोल मंदिर, तमिलनाडु
<<>> हम्पी के स्मारक, कर्नाटक
<<>> महाबलीपुरम के स्मारक, तमिलनाडु
<<>> पट्टाडक्कल के स्मारक, कर्नाटक
<<>> हुमायुँ का मकबरा दिल्ली
<<>> काजीरंगा राष्ट्रीय अभ्यारण्य, असम
<<>> केवलदेव राष्ट्रीय अभ्यारण्य, राजस्थान
<<>> खजुराहो के मंदिर एवं स्मारक, मध्य प्रदेश
<<>> महाबोधी मंदिर, बोधगया, बिहार
<<>> मानस राष्ट्रीय अभ्यारण्य, असम
<<>> भारतीय पर्वतीय रेल पश्चिम बंगाल
<<>> नंदादेवी राष्ट्रीय अभ्यारण्य एवं फूलों की घाटी, उत्तरांचल
<<>> कुतुब मीनार, दिल्ली
<<>> भीमबटेका, मध्य प्रदेश
<<>> लाल किला, दिल्ली
<<>> कोणार्क मंदिर, उड़ीसा
<<>> सुंदरवन राष्ट्रीय अभ्यारण्य, पश्चिम बंगाल
<<>> ताजमहल, उत्तर प्रदेश

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