युवा अमरीकी सपनों की मंजिल बनता भारत
गुरुवार, 22 नवंबर, 2012 को 06:58 IST तक के समाचार
अमरीका की सिलिकॉन वैली हमेशा से
उन प्रतिभाशाली और दक्ष प्रवासी भारतीयों के लिए सपनों की मंजिल रही है जो
अपना बिजनेस शुरू करना चाहते हैं. लेकिन अब उल्टी गंगा बह रही है.
अमरीका में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो अपनी बिजनेस योजनाओं के साथ भारत का रुख कर रहे हैं.लेकिन उन्होंने भारत को चुना.
"किसी से कम नहीं भारत"
वैलरी ने पांच साल पहले कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली छोड़ी और बंगलौर चली आईं और अब अपनी खुद की मोबाइल मार्केटिंग कंपनी जिपडायल चला रही हैं.काउफमन फाउंडेशन का शोध कहता है कि 2005 से सिलिकॉन वैली में शुरू होने वाली आधी से ज्यादा कंपनियां प्रवासियों की रही हैं. वहां एक तिहाई कंपनियों की शुरुआत भारतीय प्रवासियों ने की.
"हर किसी को एक महीने में पता चल जाता है कि वो महीने के आखिर में वापस अपने देश जाएगा या फिर यहीं रहेगा."
वालेरी वागोनर, युवा अमरीकी उद्यमी
वैलरी कहती हैं, “हर किसी को एक महीने में पता चल जाता है कि वो महीने के आखिर में वापस अपने देश जाएगा या फिर यहीं रहेगा.”
उन्होंने चीन की बजाय भारत को इसलिए चुना क्योंकि यहां का बाजार अंग्रेजी भाषी है.
वो बताती हैं, “यहां बिजनेस खड़ा करने और कुछ नया करने के बहुत अवसर हैं. यही इस बाजार की खासियत है.”
वैलरी ने भारत में मोबाइल फोन के फैलते बाजार और यहां ‘मिस कॉल की संस्कृति’ में अपने लिए संभावनाएं तलाशीं.
उन्होंने एक ऐसी टेक्नोलजी विकसित की जिसमें एक नंबर डायल कर लोग प्रतियोगिता या ईनामी ड्रॉ में शामिल हो सकते हैं. इसके बाद वो फोन काट देते हैं और उन्हें टेक्स्ट मैसेज के रूप में विज्ञापन प्राप्त होते हैं. इससे फोन कॉल करने की लागत बच जाती है.
एशिया में अब भी नई चीजें करने के नाम पर पश्चिम की नकल की जाती है. अमेजन वेबसाइट का भारतीय संस्करण इसकी मिसाल है. लेकिन वैलरी का मानना है कि दुनिया भर को मौलिक विचार देने के मामले में एक दिन बंगलौर भी सिलिकॉन वैली को टक्कर दे सकता है.
चुनौती में अवसर
अमरीका की सिलिकॉन वैली में स्थित स्टार्टअप जीनोम शोध परियोजना के अनुसार बंगलौर भी दुनिया के उन 10 चुनिंदा शहरों में है जो कारोबार शुरू करने के लिए सबसे मुआफिक हैं.
सीन ब्लाग्सवेट सात साल पहले माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च का दफ्तर स्थापित करने के लिए सिएटल से बंगलौर पहुंचे. वो बताते हैं, “मैं मानता हूं कि बुद्धिमत्ता का स्तर पूरी दुनिया में समान होता है. अगर यहां दुनिया की कुल आबादी का छठा हिस्सा रहता है तो विश्व की दिमागी ताकत का छठा हिस्सा भी यहीं होगा.”
कुछ साल बाद उन्होंने अपने अमरीकी साथी वीर कश्यप के साथ मिल कर खुद का बिजनेस शुरू किया.
इन नए उद्यमियों के लिए भारत की गरीबी और लचर बुनियादी ढांचा जैसी समस्याएं एक चुनौती होती हैं. लेकिन अपना कारोबार शुरू करने वाले विदेशियों के लिए ये चुनौती एक अवसर भी हो सकता है, बशर्ते वो लोगों की समस्याओं को दूर करने का सही बिजनेस मॉडल विकसित कर लें.
सीन और वीर ने मिल कर ऐसी वेबसाइट तैयार की जो निम्न मध्यमवर्गीय भारतीयों को उनकी काबलियत के हिसाब से नौकरी तलाशने में मदद करती है.
"शुरू में यहां बहुत अलग और अनजाना सा महसूस होता था. हम कभी भारत नहीं आए थे, और यहां इतना आगे बढ़ पाएंगे, इसका अंदाज़ा तो बिल्कुल नहीं था. लेकिन इस उभरते देश का बाज़ार बहुत फायदेमंद निकला."
एडम साश, युवा अमरीकी उद्यमी
वैसे किसी भी विदेशी के लिए भारत में बिजनेस शुरू करना अब भी खासा चुनौतीपूर्ण है. विदेशी होने के नाते आपको वीजा मंजूर कराने, बैंक खाता खुलवाने और कॉन्ट्रैक्ट साइन कराने में दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है.
बदलता भारत
भारत कई तरह से बदल रहा है. इसी बदलाव में एडम साश को बड़ी संभावना दिखी.एडम ने न्यूयॉर्क में एक डेटिंग वेबसाइट शुरू की. लेकिन उन्हें जल्द ही अहसास हो गया किसी और बाजार में उनकी इन सेवाओं की कहीं ज्यादा जरूरत है. और वो भारत चले आए.
वो कहते हैं, “शुरू में यहां बहुत अलग और अनजाना सा महसूस होता था. हम कभी भारत नहीं आए थे, और यहां इतना आगे बढ़ पाएंगे, इसका अंदाज़ा तो बिल्कुल नहीं था. लेकिन इस उभरते देश का बाज़ार बहुत फायदेमंद निकला.”
धीरे धीरे एडम और उनके साथियों ने देखा कि उनके ग्राहकों का सबसे बड़ा केंद्र भारत बनता जा रहा है. भारत में पारंपरिक रूप से शादी से पहले डेटिंग का चलन नहीं है, लेकिन अब शहरों में युवाओं के बीच इसका चलन बढ़ रहा है.
एडम की वेबसाइट stepout.com के इस वक्त 45 लाख रजिस्टर्ड यूजर हैं जिनमें से 95 प्रतिशत भारत से हैं.
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