बादशाह शाहजहाँ नहीं पर शाहजहाँ से कम भी नहीं
मंगलवार, 16 जुलाई, 2013 को 07:22 IST तक के समाचार
ये ताजमहल असल से जरा छोटा है. काफ़ी छोटा है. यह किसी नदी के किनारे भी नहीं है.
न इसमें पच्चीकारी का काम है और न ये कीमती पत्थरों से सजाया गया है.बस जज़्बा वही है जो शाहजहाँ का था. अपनी बीवी से बेपनाह मोहब्बत.
बेगम से वादा
वो आगरा से तकरीबन 100 मील दूर स्थित बुलंदशहर के एक छोटे से गाँव में रहते हैं.
उन्होंने अपनी पत्नी तज्जमुली बेगम से एक वादा किया था.
मकबरा
यादगार
10 लाख रुपए से ज़्यादा लग चुके हैं और कम से कम छह लाख रुपए की अभी और जरूरत होगी.
वक्त और पैसा
लेकिन वो किसी से कोई मदद नहीं लेते. इस पर हसन कादरी कहते हैं, " ये किसी पीर का मज़ार नहीं है. यह सिर्फ मेरी बीवी का मज़ार है और बीवी का मज़ार होने की वजह से अगर मैं किसी से कुछ पैसा लेकर इसमें लगाऊं तो लोग कहेंगे कि कब्र चंदे की है. ये नहीं हो सकता."
एहसास
न दवा, न दुआ
जैसे जैसे इस नए ताजमहल की खबर फैली है. आस-पास के देहात के लोग इसे देखने आने लगे हैं.
कादरी का ताजमहल
कादरी कहते हैं:
"छोड़ दो अब ये दुनिया तुम्हारी नहीं. दुनियावालों को बस एक नज़र देख लो.
आज जन्नत सजी है तुम्हारे लिए, बाग-ए-जन्नत के बर्गोसज़र देख लो.
जाओ बेगम फ़ैजुल हसन कादरी जन्नत में जाकर अपना घर देख लो."
गैरमामूली दास्तान
लेकिन उनके जाने के बाद भी जब-जब लोग इस इमारत को देखेंगे तो उनकी गैरमामूली दास्तां-ए-मोहब्बत का जिक्र जरूर होगा.
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