क्यों 'काली और जाली' है भारतीय अर्थव्यवस्था?
बुधवार, 19 दिसंबर, 2012 को 10:23 IST तक के समाचार
भारतीय अर्थव्यवस्था तो इस साल अवैध वित्तीय लेन देन के चलते करीब 1.6 अरब डॉलर (क़रीब 85 अरब रुपए) का नुकसान उठाना पड़ा है.
इतना ही नहीं बीते एक दशक के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को 123 अरब डॉलर (करीब 6,642 अरब रुपए) का नुकसान हुआ है.ये आकलन वाशिंगटन स्थित शोध संस्थान ग्लोबल फाइनेंसियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) का है. संस्था ने काली और जाली अर्थव्यवस्था पर अध्ययन कर ये रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट के मुताबिक इस दशक में काली अर्थव्यवस्था के चलते नुकसान के मामले में भारत आठवें नंबर पर हैं.
जीएफआई के निदेशक रेमंड बाकर ने कहा, “भारत में अवैध लेन देने के लिहाज से पिछले कुछ सालों में स्थिति सुधरी है लेकिन अब भी अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.”
काले धन से अर्थव्यवस्था को नुकसान ( बीते एक दशक में)
चीन- 1,47,960 अरब रुपए
मैक्सिको- 25,704 अरब रुपए
मलेशिया- 15,390 अरब रुपए
सऊदी अरब- 11,340 अरब रुपए
रुस- 8,208 अरब रुपए
फिलिपींस- 7,452 अरब रुपए
नाइजीरिया- 6,966 अरब रुपए
भारत-6,642 अरब रुपए
मैक्सिको- 25,704 अरब रुपए
मलेशिया- 15,390 अरब रुपए
सऊदी अरब- 11,340 अरब रुपए
रुस- 8,208 अरब रुपए
फिलिपींस- 7,452 अरब रुपए
नाइजीरिया- 6,966 अरब रुपए
भारत-6,642 अरब रुपए
जीएफआई के प्रमुख अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के सह लेखक देव कार कहते हैं, “नुकसान के लिहाज से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 123 अरब डॉलर (6,642 अरब रुपए) बहुत बड़ी रकम है.”
देव कार कहते हैं, “यह भारतीय नागरिकों के लिए बड़ी चिंता की बात है क्योंकि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और देश में आधारभूत ढांचे के निर्माण पर कुल मिलाकर 100 अरब डॉलर (करीब 5400 अरब रुपए) खर्च हुआ है यानी काले धन के चलते होने वाला नुकसान इससे कहीं ज़्यादा है.”
जीएफआई की ये रिपोर्ट ये भी बताती है कि भारत के कुल सकल घरेलू उत्पाद की 50 फ़ीसदी जितनी रकम काली अर्थव्यवस्था की भेंट चढ़ जाती है. रिपोर्ट के मुताबिक 1948 से लेकर 2008 के बीच साठ साल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को करीब 462 अरब डॉलर (करीब 24,948 अरब रुपए) का नुकसान हुआ है.
चीन को सबसे ज़्यादा नुकसान
"शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और देश में आधारभूत ढांचे के निर्माण पर कुल मिलाकर 100 बिलियन डॉलर (करीब 5400 अरब रुपये) खर्च हुआ है यानि काले धन के चलते होने वाला नुकसान इससे कहीं ज़्यादा है."
देव कार, जीएफआई के अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के लेखक
“विकासशील देशों में अवैध वित्तीय लेनदेन- 2001 से 2010” के नाम से जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सभी विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को 2010 में 858.8 अरब डॉलर (करीब 46,375 अरब रुपए) का नुकसान हुआ है.
यह बीते एक दशक में नुकसान के हिसाब से दूसरा सबसे ख़राब साल साबित हुआ है. इससे पहले 2008 के दौरान विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को 871.3 अरब डॉलर( करीब 47,050 अरब रुपए) का नुकसान सहना पड़ा था.
रिपोर्ट के मुताबिक 2001 से 2010 के दौरान दुनिया भर के विकासशील देशों को काले धन के चलते 5860 अरब डॉलर (3,16,440 अरब रुपए) का नुकसान हुआ है.
ग्लोबल फाइनेंसियल इंटेग्रिटी ने दुनिया भर के नेताओं से अपील की है कि वे काले धन के लेन देन पर अंकुश लगाने के लिए अपने अपने देशों में पारदर्शी व्यवस्था को बढ़ावा दें.
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