7.1.13


महिलाएं त्रस्‍त हैं : महिला आयोग राजनीति में व्‍यस्‍त है



महिला सशक्तिकरण का ढोल पीटने वाली नीतीश सरकार इन दिनों महिलाओं पर हो रही ज्यादती का जवाब देने में परेशान है. पटना में स्कूली छात्रा के गैंग रेप मामले के हाईप्रोफाइल होते ही दबी खबरों की बाढ़ आ गई. लगा जैसे साइकिल से स्कूल जाती लड़कियां एक बार फिर असुरक्षित हो गईं. राजनीतिक दलों के अलावा कई महिला संगठनों ने इन घटनाओं पर अपना गला सा़फ किया और राष्ट्रीय और प्रदेश महिला आयोग आमने सामने आ गई. राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य डॉ चारूवली खन्ना ने पटना आते ही बिहार में जंगलराज बताकर सनसनी फैला दी. उन्होंने कहा कि बिहार में महिलाएं असुरक्षित हैं. छोटी-छोटी स्कूली छात्राएं गैंगरेप की शिकार हो रही हैं. महिलाओं के साथ गैंगरेप एवं हिंसा के मामलों में वृद्धि हो रही हैं. उनकी सुरक्षा को लेकर पुलिस एवं प्रशासन की चुप्पी हिंसा को बढ़ावा दे रही है. लड़कियों को साइकिल देने की योजना किस काम की, अगर उनकी इज्जत ही सुरक्षित नहीं. डॉ. खन्ना बीते माह पटना में एक स्कूली छात्रा के साथ गैंगरेप एवं रोहतास के विक्रमगंज में लड़कियों के साथ छेड़खानी के मामलों की जांच करने आई थी. डॉ. खन्ना ने कहा कि महिलाओं एवं स्कूली छात्राओं के साथ होने वाली घटनाओं में पुलिस की भूमिका संवेदनहीन रही है. पीड़िता को पुलिस की मदद एवं सहानुभूति नहीं मिलती, उन्हें तिरस्कार एवं दुर्व्यव्हार का सामना करना पड़ता है. उन्होंने छात्राओं के साथ छेड़खानी की घटना के प्रति लापरवाही को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि राज्य महिला आयोग की दो सदस्य रोहतास ज़िले की हैं, लेकिन वे इस घटना से अनजान हैं. वर्ष 2007 से ही यहां विक्रमगंज अनुमंडल अंतर्गत सूर्यपूरा थाने के अलीगंज में कॉलेज की छात्राओं के साथ छेड़खानी, फब्तियां कसना, बस से खींच लेना और बंदूक दिखा कर छेड़-छाड़ करना आम बात है. इससे लड़कियां अपनी पढ़ाई छोड़ने को विवश हैं. इस मामले में स्थानीय पुलिस एवं जिलाधिकारी एवं प्रशासन मूक बनी बैठी है. डॉ. खन्ना ने कहा कि राजधानी में गैंगरेप मामले में आरोपी पकड़े गए हैं, लेकिन एक आरोपी के कई नाम होना ही इस मामले को संदिग्ध बना रहा है. डॉ. खन्ना ने कहा कि बिहार में कई महिला थाने काग़ज़ों पर संचालित हैं और जो चल रहे हैं उनमें मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. राज्य महिला आयोग की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि लगता है बिहार में जंगलराज है. खन्ना के इन बयानों के बाद का़फी बवाल मचा. बिहार राज्य महिला आयोग की सदस्य चंद्रमुखी देवी ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चारुवली खन्ना केंद्र सरकार की प्रतिनिधि बनकर पटना आईं और राजनीति करके चली गई. उनका कहना है कि चारूवली के आगमन से यह उम्मीद बंधी थी कि महिलाओं की सुरक्षा में यदि कहीं चूक है तो वह उसका समाधान बताएंगी, लेकिन वह यहां राजनीतिक एजेंडे पर काम करने आएंगी, यह सोचा नहीं था. पूर्व विधायक चंद्रमुखी देवी के मुताबिक खन्ना का सुर कुछ कांग्रेसी प्रतिनिधियों से मिलने के बाद बदला और वह बिहार में जंगलराज है, महिलाएं सुरक्षित नहीं है और यहां महिला आयोग सजग नहीं है, जैसे आरोप लगाने लगी. जिस साइकिल योजना से सूबे की छात्राओं ने उड़ान भरना सीखा, उसे उन्होंने बेमानी ठहरा दिया. उन्होंने चारुवाली को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा है कि यदि राष्ट्रीय महिला आयोग को उसकी जानकारी पहले से थी तो उसने इस राज्य महिला आयोग को हस्तांतरित क्यों नहीं किया. सीधे छात्राओं की परेड कराने का क्या औचित्य है, आखिर पांच साल तक इस मामले को दबाकर रखने और उसके बाद संज्ञान लेने के क्या निहितार्थ हैं. चंद्रमुखी देवी का कहना है कि वह चारुवली खन्ना के बयान और विचार से सहमत नहीं हैं और उसके कड़े शब्दों में निंदा करती हैं. पटना के गैंगरेप की घटना पर उन्होंने खन्ना से सवाल किया है कि क्या पूरे देश में ऐसा कोई उदाहरण है कि चार दिन के अंदर एफआईआर के साथ ही सारे आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो जाए. इसके बाद उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने भी कहा कि खन्ना राजनीति करने आईं थी और करके चली गईं. दूसरी तऱफ कांग्रेस का कहना है कि राज्य सरकार को राष्ट्रीय महिला आयोग ने आईना दिखाया. राजनीतिक दलों के बीच आरोप प्रत्यारोप तो चलता ही रहता है, लेकिन संवैधानिक संस्थाओं के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाना नई बात है. राज्य महिला आयोग की कार्यकुशलता गूंजा के मामले में हम देख चुके हैं. चंद्रमुखी देवी ही इस मामले को देख रही थी. सवाल यह है कि अगर आयोग को ऐसे ही काम करना है तो इसके रहने या न रहने का मतलब क्या है.

किशोरी को जख्मी किया

मखदुमपुर थाना क्षेत्र के नवगढ़ गांव में एक युवक पर हजामत नहीं बनाने पर नाई के बेटी को गोली मारने का आरोप है. विशेश्र्वर ठाकुर को गांव के एक सनक मिजाज युवक ने दाढ़ी बनाने को कहा. दाढ़ी बनाने से इंकार करने पर उसने ने गोली चला दी इससे ठाकुर की सोलह वर्षीय पुत्री मधु जख्मी हो गई. सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद उसे पीएमसीएच भेज दिया गया. इस घटना की अखिल भारतीय नाई संघ ने कड़ी निंदा की है. संघ के जिला अध्यक्ष महेश ठाकुर ने कहा है कि नाईयों पर अत्याचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है. शासन प्रशासन पंगु हो गया है. अगर नाईयों पर अत्याचार नहीं रुका और आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया तो हम अपनी सेवा अनिश्चित काल तक के लिए बंद कर देंगे. दलों व विभिन्न संगठनों ने प्रशासन और राज्य सरकार के रुख की तीखी आलोचना की है.

महिला हेल्पलाइन: साढ़े चार हज़ार मामले अनसुलझे

जून  2012 तक के मामले
  निष्पादित लंबित
घरेलु हिंसा 6882 2357
दहेज हत्या 0102 0018
दहेज प्रताड़ना 1632 0653
द्वितीय विवाह 0502 0197
संपत्ति से संबंधित 0573 0228
यौन शोषण 0312 0114
मानव व्यापार 0166 0017
अन्य मामले 2639 1046

मनचलों की फब्तियों से छात्राएं रोज शर्मसार होती हैं

रोहतास ज़िला के अलीगंज की घटना ने भले ही प्रशासन को नींद से जगा दिया. वह भी महिला आयोग की चली चाबूक के कारण, लेकिन यहां अलीगंज जैसी असंख्य घटनाएं शाहाबाद प्रक्षेत्र के चारों ज़िलों में हर रोज घट रही हैं. भोजपुरी के अश्लील गीत जिन्हें राह चलते किसी को गाने से रोका नहीं जा सकता. मनचले उस समय जरूर गाते हैं, जब साईकिल से छात्राएं स्कूल आती जाती हैं. नोखा के मयारी बाज़ार के समीप बरांव भौपोखर पथ पर साईकिल से जाती छात्राओं के साथ छेड़खानी करते हुए चार युवकों को ग्रामीणों ने पक़डा, लेकिन इन युवकों के परिजन उनसे मारपीट को उतारू हो गए. मामला दो गांवों के बीच खूनी संघर्ष के रूप में बदलते-बदलते रह गया. कैमूर ज़िला के दुर्गावती प्रखंड अंतर्गत धनेक्षा गांव के पास साईकिल से जाती छात्राओं को मनचलों ने छे़डा, लेकिन वहां मौजूद गांव के युवको ने उन्हें खदेड दिया. बक्सर ज़िले के राजपुर और नवानगर प्रखंड में भी इस तरह की दो घटनाएं सामने आई. जहां पुलिस हस्तक्षेप के बाद छात्राओं के परिजनों ने आबरू का ख्याल कर शिकायत पत्र वापस ले लिया, लेकिन पूरे महीने ये छात्राएं स्कूल नहीं गईं. आरा ज़िला के पीओ प्रखंड अंतर्गत अगियांव बाज़ार में वर्ष 2011 में छात्राओं के साथ छेड़खानी के मामलें में छात्रों के दो गुटों ने मारपीट कर लिया. पुलिस हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ. ये घटनाएं शाहाबाद के रोहतास, कैमूर, भोजपुर और बक्सर ज़िला अंतर्गत विभिन्न प्रखंडों में हुई. वहीं सासाराम ज़िला मुख्यालय के गौरक्षणी मुहल्ला में कोचिंग जोन के रूप में परिवर्तित इस इलाक़े में छात्राएं का़फी दुर-दुर से प़ढने आती है. इन्हें यहां प्रतिदिन फब्तियों और छेड़खानी का शिकार होना पडता है. लोक लाज के डर से मामले पुलिस तक नहीं पहुंचते. लोग छात्राओं को ट्‌यूशन या कोचिंग में जाने से रोक देना ही बेहतर समझते हैं. रोहतास के अलीगंज में घटी घटना ने यहां के अभिभावकों को मजबूती दिया है जिसके कारण छे़डखानी करने वालों के खिला़फ आवाज़ उठाने में सहुलियत होगी. क्योंकि रोहतास का मामला अब राष्ट्रीय महिला आयोग की संज्ञान में भी है. यहां तक की लोकसभा में उठे सवाल का  जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रोहतास के मामले को लेकर पूरे बिहार में महिलाओं और छात्राओं की सुरक्षा पर सवाल खड़ा किया जो निश्चित तौर पर बिहार में सुशासन का पोल खोलता नज़र आ रहा है. राजद नेता ललन पासवान कहते हैं कि सुशासन का असली चेहरा सामने आ गया है. लडकियां जिस तरह डर के माहौल में जी रही हैं इसे देखकर यह महसूस होता है कि जंगलराज में हम जी रहे हैं. उन्होंने  कहा कि दोषियों को अगर जल्द से जल्द सज़ा नहीं दी गई तो राजद सड़क पर उतर न्याय दिलाएगा.

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