29.1.13

कितने अंतरंग थे गांधी-कालेनबाख के रिश्ते?

 बुधवार, 30 जनवरी, 2013 को 08:30 IST तक के समाचार

बापू- कालेनबाख के बीच पत्रातचार पहली बार सार्वजनिक.
क्या मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी और यहूदी आर्किटेक्ट हरमन कालेनबाख के संबंध आत्मीयता से बढ़कर थे? यानी क्या महात्मा गांधी समलैंगिक थे?
ये कुछ असहज सवाल हैं, जिन्हें पुल्तिज़र पुरस्कार विजेता लेखक जोसेफ़ लेलीवेल्ड ने गांधी की जीवनी ‘ग्रेट सोल: महात्मा गांधी एंड हिज़ स्ट्रगल विथ इंडिया’ में पहली बार उठाए थे.
लेलीवेल्ड ने गांधी और कालेनबाख के बीच हुए पत्राचार का हवाला देते हुए 2011 में प्रकाशित अपनी पुस्तक में दावा किया था कि दोनों के बीच समलैंगिक संबंध थे.
उनके मुताबिक गांधी कालेनबाख को भेजे अपने पत्रों में खुद को अपर हाउस कहते थे और कालेनबाख को लोअर हाउस. इन संबोधन के जरिए ही लेलीवेल्ड ने दावा किया था कि दोनों के बीच रिश्ता आत्मीय संबंधों से बढ़कर था.
इस पर काफी विवाद भी हुआ. बाद में लेलीवेल्ड ने ये भी कहा कि वे दोनों के बीच आत्मीय संबंधों का जिक्र कर रहे थे.
लेकिन आखिर सच क्या था? गांधी और कालेनबाख के बीच रिश्ते कैसे थे?
यह अब सार्वजनिक होने जा रहा है. गांधी और कालेनबाख से जुड़े दस्तावेजों को पहली बार आम लोगों के सामने लाया जा रहा है.
भारत में राजनीतिक जीवन शुरू करने से पहले करीब दो दशक तक दक्षिण अफ़्रीका में रहे थे गांधी
भारत के नेशनल अर्काइव में महात्मा गांधी के पड़पोते और पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपाल कृष्ण गांधी इन दस्तावेजों को उनकी पुण्यतिथि पप सार्वजनिक करेंगे.

ख़ास था रिश्ता

नेशनल अर्काइव के महानिदेशक मुशीरूल हसन के मुताबिक इन चीजों के सार्वजनिक होने से महात्मा गांधी के जीवन के दक्षिण अफ्रीकी प्रवास के बारे में लोगों को ज़्यादा जानकारी मिलेगी और यह इतिहासकारों और गांधी पर शोध करने वालों के लिए मददगार साबित होगा.
भारत सरकार ने इन दस्तावेजों को पिछले साल अगस्त महीने में करीब सात करोड़ रुपये में खरीदा था. इज़रायल में रह रहे कालेनबाख के परिवार वालों ने इन दस्तावेजों को नीलामी के लिए दे दिया था.
उन लोगों ने इन दस्तावेजों के लिए शुरुआती कीमत 28 करोड़ रुपये मांगी थी. हालांकि बाद में भारत सरकार लंदन में इन दस्तावेजों की नीलामी करने वाले सोथबी से सात करोड़ रुपये के भुगतान पर इसे खरीदने में कामयाब रही.
इन दस्तावेजों में गांधी और कालेनबाख के आपसी संबंधों से जुड़े हजारों चीजें शामिल हैं. इनमें एक दूसरे को भेजी गई चिट्ठियां, फोटो और आपसी रिश्तों को ज़ाहिर करने वाली कई अन्य अहम चीजें शामिल हैं.

दो साल का साथ

दरअसल गांधी और कालेनबाख की मुलाक़ात दक्षिण अफ़्रीका में वर्ष 1904 में हुई थी. इसके बाद 1907 से अगले दो साल तक गांधी कालेनबाख के साथ ही रहने लगे थे.
महात्मा गांधी 1914 में वे दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे. इस दौरान कालेनबाख उनके सबसे विश्वसनीय और आत्मीय सहयोगी बने रहे.
इन दस्तावेजों में वे मार्मिक पत्र भी शामिल हैं जो महात्मा गांधी ने अपने पहले बेटे हरिलाल गांधी, दूसरे बेटे मणिलाल गांधी और तीसरे बेटे रामदास गांधी के आपसी संबंधों के बारे में लिखा है.
इन पत्रों से ये भी जाहिर होता है कि कालेनबाख के गांधी के दूसरे बेटे मणिलाल गांधी के साथ गहरी दोस्ती थी.
इसके अलावा इन दस्तावेज़ों में दक्षिण अफ्रीका प्रवास के दौरान महात्मा गांधी के दैनिक गतिविधियों से संबंधित जानकारियाँ भी मौजूद हैं. मसलन खान-पान के अलावा सत्य और अहिंसा के उनके प्रयोगों के बारे में जानकारी.
गांधी के निजी जीवन में अगर आपकी भी दिलचस्पी हो तो 30 जनवरी के बाद दिल्ली में नेशनल अर्काइव में इन दस्तावेज़ों को देखा जा सकता है.

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