31.5.12


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एयर इंडिया, किंगफिशर में संकट से जेट एयरवेज की बल्ले बल्ले
 
नई दिल्ली: एयर इंडिया और किंगफिशर एयरलाइंस में संकट से अगर किसी को सबसे अधिक लाभ हुआ है तो वह है जेट एयरवेज। यही वजह है कि निजी क्षेत्र की विमानन कंपनी जेट एयरवेज द्वारा चालू वित्त वर्ष के दौरान 100 विमानों का आर्डर दिए जाने की संभावना है।

सेंटर फार एशिया पैसिफिक एविएशन (कापा) का अनुमान है कि भारतीय विमानन कंपनियों को इस साल 1.4 अरब डॉलर का घाटा हो सकता है जिसमें सबसे अधिक 1.3 अरब डॉलर का नुकसान एयर इंडिया को होने की आशंका है।

कापा ने ‘भारतीय परिदृश्य 2012.13’ शीर्षक से जारी विश्लेषण रपट में कहा है कि जहां किंगफिशर को 22 से 26 करोड़ डालर का नुकसान होने का अनुमान है, शेष चार निजी विमानन कंपनियों. जेट एयरवेज, इंडिगो, स्पाइसजेट और गोएयर को कुल मिलाकर करीब 20 करोड़ डालर का मुनाफा हो सकता है।

रपट में कहा गया है कि यद्यपि एयर इंडिया और किंगफिशर में संकट अन्य सभी विमानन कंपनियों के लिए सकारात्मक है, इसका सबसे अधिक फायदा जेट एयरवेज को हो रहा है।

कापा ने कहा है कि किंगफिशर की उड़ानों की संख्या 66 से घटकर 16 पर आने और एयर इंडिया में पायलटों की हड़ताल के चलते उसका अंतरराष्ट्रीय परिचालन प्रभावित होने से जेट एयरवेज के लिए घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार और खुल गया है।

30.5.12

शुक्राणु आपस में भेद और स्पर्धा भी करते हैं

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sperm-raceएक नई शोध से प्रजनन क्रिया के एक और नए पक्ष का खुलासा हुआ है. हार्वर्ड विश्वविद्यालय की पोस्टडोक्टरल रीसर्चर हैदी फिशर के अभ्यास के अनुसार जीवसृष्टि के कुछ प्रकारों में वीर्य के शुक्राणु द्वारा आपस में स्पर्धा किए जाने की बात साबित हुई है.

फिशर ने पता लगाया है कि प्रोमिशियस [बहु पत्निक – एक से अधिक मादाएँ रखने वाले] प्रकार के जीवों [विशेष रूप से चूहों] में यह प्रक्रिया आम तौर पर पाई गई है. इस जाति के चूहों में विभिन्न नरों के शुक्राणु एक-दूसरे से भेद कर पाने में सक्षम होते हैं और यही नहीं अंडकोष तक पहले पहुँचने के लिए वे आपस में स्पर्धा भी करते हैं.

इस प्रकार के चूहों [डीयर माउस] की मादाएँ एक साथ कई नर चूहों के साथ सम्भोग करती है. सम्भोग की प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद एक नर के शुक्राणु आपस में मिलकर समूह बना लेते हैं और किसी अन्य नर के शुक्राणुओं के समूह से पहले अंडकोष तक पहुँचने का प्रयास करने लगते हैं. वीर्य के विभिन्न समूहों के बीच एक तरह की स्पर्धा शुरू हो जाती है.

शुक्राणु द्वारा आपस में भेद करने की तकनीक इतनी विकसित है कि दो भाईयों के शुक्राणु भी आपस में भेद कर लेते हैं स्पर्धा शुरू हो जाती है.

लेकिन ऐसा केवल प्रोमिशियस प्रकार के जीवों में ही पाया जाता है. मोनोगेमस [एक पत्निक – केवल एक ही पत्नी रखने वाले] प्रकार के जीवों के शुक्राणु आपस में भेद नहीं करते हैं और ना ही एक दूसरे से स्पर्धा करते हैं. लेकिन प्रोमेशियस प्रकार के जीवों में यह प्रक्रिया आम तौर पर पाई गई है.

इस बारे में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के नेचुरल साइंस के प्रोफेसर होपी होस्ट्रा का मानना है कि – शुक्राणु के द्वारा आपस में भेद करना और स्पर्धा करने की प्रक्रिया हमारे अनुमान से कहीं अधिक जटील और विकसित है. और चूँकि 95% जीवसृष्टि प्रोमिशियस प्रकार की है इसलिए यह मान सकते हैं कि ना केवल चूहों बल्कि कई अन्य जीवों में भी यह प्रक्रिया पाई जाती होगी.

लेकिन यह अभी तक ज्ञात नहीं है कि इन जीवों के शुक्राणु आपस मे भेद कैसे कर लेते हैं?

भारत में ई-कचरे का खतरा

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e-waste2भारत में ई-कचरा घातक दर से बढ रहा है और इससे देश के पर्यावरण को नुकसान पहुँच रहा है और भविष्य में इसके घातक परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

आज भारत 100000 टन रेफ्रिजरेटर का कचरा, 275000 टन टीवी का कचरा, 56300 टन कम्यूटर का कचरा, 4700 टन प्रिंटर का कचरा और 1700 टन मोबाइल फोन का कचरा प्रति वर्ष तैयार होता है. यदि इसमें बाहरी देशों से मंगवाए जाने वाले कानूनी और गैरकानूनी कचरे को भी जोड़ लिया जाए तो स्थिति और भी विकट स्वरूप ले लेती है.

मेल टुडे की एक खबर के अनुसार, सन 2020 तक मात्र कम्प्यूटरों का कचरा ही 500% की दर से बढेगा. टीवी और रेफ्रिजरेटर का कचरा भी दुगनी या तिगुनी रफ्तार से बढेगा और मोबाइल फोन का कचरा करीब 18 गुना अधिक हो जाएगा.

भारत में कचरे के रिसाइकलिंग की कोई सटीक प्रणाली लागू नहीं की गई है. अधिकतर ई-कचरा अनियोजित तरीके से होता है और यह कार्य स्थानीय कबाड़ी करते हैं. रिसाइकलिंग के लिए बड़े और सुनियोजित कारखाने स्थापित नहीं किए गए हैं. स्थानीय कबाड़ी ई-कचरे में से बहुमूल्य धातु प्राप्त कर करते हैं. लेकिन इसकी दर काफी कम होती है और अधिकतर कचरा युहीं छोड़ दिया जाता है.

मोबाइल फोन और कम्प्यूटर में 3% सोना और चाँदी, 13% पेलेडियम और 15% कोबाल्ट होता है. आधुनिक उपकरणों में 60 से अधिक मूल्यवान या अनावश्यक धातुएँ होती है. इन उपकरणों की यदि आधुनिक प्रणाली से रिसाइकलिंग की जाए तो ये धातुएँ फिर से प्राप्त हो जाती है और साथ ही साथ पर्यावरण का संतुलन भी बना रहता है.

लेकिन भारत, ब्राज़ील, मैक्सिको जैसे देशों में इस ओर अभी तक उतना ध्यान नहीं दिया गया है जितनी जरूरत है.

इंसान बना भगवान, बनाई सिंथेटिक जिंदगी

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craig-ventor-sytheticविज्ञान के क्षैत्र में यह सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक मानी जा सकती है. अमरीका के वैज्ञानिकों ने पहली बार सिंथेटिक कोशिका बनाने में कामयाबी हासिल की है.

इस तरह से इंसान कृत्रिम जिंदगी बनाने के और करीब पहुँच गया है.

साइंस पत्रिका में छपी खबर के अनुसार डॉक्टर क्रेग वेंटर की अगुवाई में एक टीम ने कंप्यूटर के ज़रिए चार रसायनों को मिलाकर कोशिका बनाने में कामयाबी पाई है.

अब शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि वे बैक्टिरीया की कोशिकाएँ बनाने में कामयाब हो जाएंगे.

लाभ:
सिंथेटिक कोशिका बन जाने पर दवाईयाँ और ईँधन बनाना सरल हो जाएगा और इससे ग्रीनहाउस गैसों पर भी नियंत्रण स्थापित किया जा सकेगा. इससे तेल पर निर्भरता कम हो जाएगी और वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड भी कम हो जाएगा.

डॉ. वेंटर के अनुसार यह नया बैक्टेरियम साबित करता है कि हम यह "कर" सकते हैं. हम शरीर के सम्पूर्ण जीनोम को बदल सकते हैं. नए फंक्शन डाल सकते हैं और अवांछित तत्व निकाल सकते हैं. इस शोध से पहले सब कुछ "लिखित" था परंतु अब "वास्तविक" है.

हानि:
लेकिन हर कोई इस शोध से खुश नहीं है. ब्रिटेन की जीनवॉच संस्था की डॉक्टर हेलन के अनुसार सिंथेटिक बैक्टिरिया का इस्तेमाल ख़तरनाक हो सकता है. इसके लाभ कम और नुकसान अधिक होंगे. इससे वातावरण में कई तरह के बदलाव होंगे और अलग अलग प्रकार के जीव बनाने की होड शुरू होगी.

कुछ विश्लेषक इस काम की नैतिकता को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं.

चन्द्रमा पर है उम्मीद से कहीं अधिक पानी

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moon-waterभारत के चन्द्रयान मिशन और अमेरिका की अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था नासा के कई प्रयोगों ने साबित किया है कि चन्द्रमा की धरती पर पानी उपलब्ध है. परंतु अब तक यह माना जाता था कि चन्द्रमा पर मौजूद पानी बर्फ के रूप में ही उपलब्ध है. जबकि एक नई शोध बताती है कि चन्द्रमा पर उम्मीद से कहीं अधिक पानी मौजूद हो सकता है परंतु वह सतह के ऊपर नहीं है.

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार चन्द्रमा की सतह के भीतर और पथरीली जमीन के अंदरूनी भागों के अंदर पानी मौजूद हो सकता है. अगर इस पर और अधिक शोध की जाए तो इससे भविष्य के चन्द्र मिशनों को काफी मदद मिल सकती है.

कार्निजी इंस्टिट्यूट ऑफ वाशिंगटन के फ्रांसिस मैकक्यूबिन, जिनकी अध्यक्षता में यह शोध हुई, कहते हैं - हम 40 वर्षों से यही मानते आए थे कि चन्द्रमा की धरती पर पानी नहीं है. वह सूखी है. परंतु हमारी शोध ने साबित किया है कि चन्द्रमा के प्रति 10 लाख भागों में से 5 में पहले के अनुमानों की अपेक्षा दुगनी मात्रा में पानी मौजूद है. यह पानी चन्द्रमा की पथरीली सतह के भीतर है.

कहाँ से आया पानी:
वैज्ञानिक मानते हैं कि आज से 45 करोड़ वर्ष पहले मंगल ग्रह के आकार का कोई ग्रह पृथ्वी से टकराया होगा और इससे चन्द्रमा का जन्म हुआ होगा. इस टकराहट से पृथ्वी के कुछ हिस्से उखड़ गए और उनके साथ कई पदार्थ भी चले गए. ये टुकड़े जुडकर चन्द्रमा के स्वरूप में विकसित हुए और वहाँ मैग्मा विकसित हुई. इससे वहाँ मौजूद पानी सुरक्षित रह सका.

इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने आज से 40 वर्ष पहले चन्द्रमा की धरती पर गए अपोलो यान मिशन के दौरान एकत्र की गई चन्द्रमा की चट्टानों का विश्लेषण किया. शोधकर्ताओं ने पाया कि इन चट्टानों में हाईड्रोजन और ऑक्सिजन कम्पाउंड की मौजूदगी है जो यह साबित करती है कि उन चट्टानों के आसपास पानी है.

लेकिन इनकी रसायनिक उपस्थिति काफी कम है और इसलिए आज तक इन रसायनिक कम्पाउंडों का पता नहीं लग सका था. परंतु अब आधुनिक तकनीकों की मदद से यह पता चल गया है कि चन्द्रमा की धरती पर पानी है और वह भी उम्मीद से अधिक.

पाषाण युग में होती थी बड़ी शल्य चिकित्साएँ

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stone-ageआज तक माना जाता था कि पाषाण युग के हमारे पूर्वजों को चिकित्सकीय अनुभव तो था परंतु शल्य चिकित्सा के क्षैत्र में उनका अनुभव सीमित ही था. परंतु कुछ नई शोधें यह बताती है कि पाषाण युग में भी शल्य चिकित्सा ना केवल की जाती थी बल्कि 'अंग विच्छेदन' यानी Amputation जैसी जटिल शल्य चिकित्सा भी आम बात थी.

2005 मे पेरिस से 40 मील दूर बथीरस-बोलनकॉर्ट स्थान पर पुरातत्वशाष्त्रिओं को एक हाडपिंजर मिला था. माना जाता है कि उस व्यक्ति को करीब 7000 वर्ष पहले दफनाया गया होगा. उस हाडपिंजर का परीक्षण करने पर पता चला कि उसकी जटिल शल्य चिकित्सा की गई थी और उसके बाद वह सामान्य जीवन भी जी रहा था. विशेषज्ञों के अनुसार किसी तीक्ष्ण औजार से उस व्यक्ति की हमरेस हड्डी को काट कर निकाल दिया गया था. उस व्यक्ति को सम्भवत ओस्टियोरथराइटस की बिमारी थी.

शल्य चिकित्सा के लिए उसे बेहोश भी किया गया होगा और इसके लिए उस समय के लोग दर्द निवारक पौधे जैसे कि हैल्लुसिनोजेनिक दतुरा का उपयोग करते होंगे. इसके अलावा घावों पर मरहम लगाने के लिए भी विभिन्न वनस्पतियों का उपयोग होता होगा.

परीक्षण के दौरान यह पता चला कि शल्य चिकित्सा की वजह से उस व्यक्ति को कोई इंफेक्शन नहीं लगा था और अपनी शल्य चिकित्सा के बाद वह व्यक्ति सामान्य जीवन जी रहा था. इससे पता चलता है कि पाषाण युग में भी शल्य चिकित्सा काफी उन्नत रही होगी.

पत्रिका

‘लाल’ माओवादियों की ‘काली कमाई’

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naxalsदेश भर में सरकार विरूद्ध अभियान चलाने के लिए और लाखों की संख्या में कार्यरत “कामरेडों” के भरण पोषण और हथियारों के लिए माओवादियों को पैसा कहाँ से मिलता है?
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द्वितीय विश्वयुद्ध : 70 साल की हुई भयानक त्रासदी

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world-war1 सितम्बर 1939 सुबह 4:45 का समय था. जर्मनी की एक बैटलशिप पोलेंड के डांज़िंग के किले की शुभेच्छा मुलाकात के लिए आई थी. पोलेंडवासियों और अधिकारियों को कोई अनुमान नहीं था कि क्या होने वाला है. अचानक इस बैटलशिप ने गोले उगलने शुरू कर दिए और द्वितीय विश्वयुद्ध छिड़ गया. इस युद्ध ने जापान से लेकर अमेरिका तक को प्रभावित किया. हिटलर की नाज़ी सेनाएँ शुरूआती सफलता पाती गई और अंतत: जब हारी तो देश दो फाड़ हो गया था.

द्वितीय विश्वयुद्ध ने 5 करोड़ लोगों को प्रभावित किया था, अधिकतर मारे गए थे या फिर गम्भीर रूप से घायल हुए थे. त्रासदी यह है कि इनमें से अधिकतर आम लोग थे. इतनी बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की यह पहली घटना है.

1 सितम्बर 1939 को जब जर्मन सेनाओं ने पोलेंड पर आक्रमण किया था तो फ्रांस, ब्रिटेन और कोमनवैल्थ देशों की सेनाओं ने जर्मनी के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया था लेकिन यह सच है कि इन देशों ने पोलेंड की कुछ खास सहायता नहीं की थी, फलस्वरूप पोलेंड ने जल्द ही जर्मनी के आगे घुटने टेक दिए थे.
इसके बाद जर्मनी के कदम बढते ही गए और डेनमार्क और नोर्वे पर जीत हासिल करने के बाद नाज़ी सेनाओं का अगला लक्ष्य रूस की तरफ हो गया. और इतिहासकार इसी को हिटलर की सबसे बड़ी भूल मानते हैं.
22 जून, 1941 को जर्मनी ने इटली, रोमानिया, हंगेरी, स्लोवेनिया और फिनलैंड के साथ मिलकर रूस पर हमला कर दिया था और इससे मित्र देशों को एक नया साथी मिल गया.
अमेरिका शुरू में इस युद्ध का हिस्सा नहीं था, लेकिन धीरे धीरे वह भी इस युद्ध में शामिल हो गया. युद्ध 6 साल तक चला था और इस दौरान अमेरिका में रिलीज हुई करीब 1500 फिल्मों में से 25% तक फिल्में युद्ध आधारित थी. कहा जाता है कि उस काल में करीब 10 करोड़ लोगों ने सिनेमाघरों में जाकर फिल्में देखी थी और इससे जो बॉक्स ऑफिस कमाई हुई थी वह आज भी एक रिकार्ड है.

6 साल बाद नाजी सेनाओं के घुटने टेकने के बाद जब युद्ध समाप्त हुआ तो विश्व में तुरंत ही शांति की स्थापना नहीं हो गई थी. युद्ध समाप्त होने पर अन्य कई विवाद और विद्रोह फट निकले थे. चीन में संघर्ष हुए. ग्रीस में एंग्लो अमेरिकन लोगों और वामपंथ समर्थकों के बीच गृहयुद्ध छिड़ गया था. जर्मनी दो भागों में विभाजित हुआ. उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर आक्रमण किया, आदि.
इस युद्ध ने करीब 1.2 करोड़ यहुदी लोगों को मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया था. ये वे लोग थे जो कभी पूर्वी यूरोप के व्यापारी हुआ करते थे. जर्मन सेनाओं ने उनको अमानवीय यातनाएँ दी.

द्वितीय विश्वयुद्ध दुनिया का सबसे भयानक युद्ध था. इसकी प्रासंगिकता आज 70 साल बाद भी बनी हुई है.

"टेक्स हेवन" देश और काले धन का गोरखधंधा

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tax-havenएक उदाहरण देखें. एक कम्पनी भारत में सूचिबद्ध है. उसे भारत में व्यापार करने के लिए विभिन्न प्रकार के असंख्य कर चुकाने होते हैं. यही कम्पनी किसी टेक्स हेवन के रूप में चिह्नित देश जैसे कि मोरिशयस में एक और कम्पनी खोल लेती है.

इसके बाद मोरिशियस की कम्पनी भारत में स्थित मूल कम्पनी का अधिग्रहण कर लेती है. मोरिशयस में चुँकि टेरिटोरियल सिस्टम ऑफ टेक्सेसन है इसलिए उस कम्पनी को मात्र अपने मोरिशयस में होने वाले व्यापार के लिए कर चुकाना होता है, वह भी मामूली. परंतु भारत में होने वाले व्यापार के लिए कोई कर चुकाना नहीं पड़ता और इस तरह से वह कम्पनी भारी मुनाफा कमाती है परंतु कर नहीं चुकाती.

एक और उदाहरण. मोरिशियस स्थित कम्पनी किसी भारतीय कम्पनी को शेयर बेच देती है. उसे भारत में कोई कर नहीं चुकाना पड़ता. दूसरी तरफ मोरिशियस जैसे टेक्स हेवन देश में केपिटल गैन टेक्स ही नहीं है. इसलिए उस कम्पनी को वहाँ भी कोई कर नहीं चुकाना पड़ता.

यह टेक्स हेवन देशों में जारी गोरखधंधों के उदाहरण हैं, और आईपीएल में इसका व्यापक स्तर पर उपयोग किया गया है. आईपीएल में तथा आईपीएल की फ्रेंचाइज़ी टीमों में कहाँ से, किसने और किस तरह से पैसे लगाए यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है और बहुत कम सम्भावना है कि इस भूलभूलैया को कभी सुलझाया जा सके. यह एक ऐसा जाल है जो दुनिया भर में फैला हुआ है और यह जितना दिखता उससे कहीं अधिक छिपा हुआ है. आईपीएल और उसके निलम्बित गवर्नर ललित मोदी पर आरोप है कि टेक्स हेवन देशों के नियमों की आड़ में उन्होनें अरबों रूपयों के घोटाले किए हैं और स्वजनों को फायदा पहुँचाया है.

टेक्स हेवन देश:
टेक्स हेवन देश वे देश होते हैं जहाँ की सरकार विदेशी पूंजी निवेश को बढावा देने के लिए तरह तरह की भारी छूटें देती हैं. इन देशों में विदेशी व्यापार पर काफी कम कर वसूला जाता है. इसलिए जिन देशों में करों की दर काफी अधिक होती है [भारत सहित] वहाँ की कम्पनियाँ इन देशों में अपनी शाखाएँ खोल लेती है और उसके बाद ना-ना प्रकार से करों की बचत करती हैं. यही नहीं इन देशों में निवेश की जारी रही पूंजी के विषय में कोई सवाल नहीं किए जाते यानी कि यह पूछने वाला कोई नहीं होता कि जो पैसा निवेश किया जा रहा है वह कहाँ से आया. इससे काले धन को आसानी से सफेद बनाया जा सकता है.

इन देशों की सरकारें अपने देश में स्थापित हो रहे नए उद्योगों को प्रोत्साहित करने के हर कदम उठाती हैं. उन्हें बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की समस्त सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध कराई जाती हैं. कर काफी कम होते हैं और उनकी दर भी काफी कम होती है इसलिए कम्पनी के लिए अपनी बैलेंस शीट को सुधारने का मौका मिल जाता है.

दूसरी तरफ यदि उस कम्पनी के मूल देश में यदि उस कम्पनी के ऊपर कोई जाँच की जाए तो उससे संबंधित आँकड़े किसी टॆक्स हेवन देश से प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है. कई देशों ने इस तरह के नियम बना रखें है जिससे वहाँ व्यापार कर रही कम्पनियों की समस्त वित्तिय जानकारी गुप्त रखे जाने का प्रावधान है.

दुनिया में कुछ टेक्स हेवन देश जहाँ काफी व्यापारिक गतिविधियाँ होती हैं वे हैं - मोरिशियस, सिंगापुर, स्वित्ज़रलैंड, बरमुडा, मकाऊ, दुबई आदि.

तरीका:
टेक्स हेवेन देशों में व्यापार करने और कर बचाने के कई तरीके हैं. इनमें से प्रमुख तरीके इस प्रकार से हैं -

जगह बदल लेना:
20वीं शताब्दी के बाद से अधिक कर लगाने वाले देशों के नागरिकों के द्वारा कम अथवा कर ना लगाने वाले देशों में स्थाई हो जाने का चलन बढा है. कर चोरी के मामले में फँसे लोग किसी ऐसे देश में स्थायी हो जाते हैं जो उन्हें सुरक्षा प्रदान करे. उनके लिए वहाँ रहना जरूरी नहीं, वे बस नागरिकता ले लेते हैं.

सम्पत्ति का स्वामित्व ट्रस्ट को सौंपना:

सम्पत्ति को कर से बचाने के लिए यह तरीका अपनाया जाता है. किसी भी टेक्स हेवेन देश में कोई ट्रस्ट बनाया जाता है जिसका मुख्य ट्रस्टी जो होता है वह अपने घर या अन्य सम्पत्ति का मालिकाना हक उस ट्रस्ट के नाम कर देता है. इस तरह से उस सम्पत्ति पर लगने वाला कर बच जाता है और इस तरह के ट्रस्ट नियम बनाए जाते हैं कि मुख्य ट्रस्टी की मृत्यु के बाद उस ट्रस्ट उसके शेयर उसकी संतान के पास चले जाएँ.

ट्रेडिंग करना:
कुछ व्यापार ऐसे होते हैं जिनके लिए किसी एक भौगोलिक स्थान की आवश्यकता नहीं रहती. उदाहरण के लिए बिमा कम्पनियाँ. ये कम्पनियाँ कर बचाने के लिए अपना मुख्यालय किसी टेक्स हेवेन देश में ले जाती हैं.

निवेश:

आज के बड़े उद्योगों के लिए निवेश बैंकिग कम्पनियों, म्यूचुअल फंड, संस्थागत निवेशकों से आता है. वे लोग ये पैसा किसी टेक्स हेवेन देश में जमा करते हैं. और फिर वहाँ से उन पैसों का निवेश किया जाता है. यह पैसा उस देश में कहाँ से आया यह कोई नहीं पूछता.

आईपीएल टीमें और पैसों का लेनदेन:
आईपीएल और उसकी टीमों के बारे में हर दिन नित नई जानकारियाँ प्राप्त हो रही हैं और नए नए खुलासे होते जा रहे हैं. इन खुलासों पर गौर करें तो यह धारणा और भी मजबूत होती है कि आईपीएल में जितना पर्दे के ऊपर दिखता है उससे कहीं अधिक पर्दे के पीछे छिपा हुआ है. उदाहरण के लिए राजस्थान रोयल्स टीम के मालिक के बारे में यदि किसी आम आदमी से पूछा जाए तो उसका जवाब होगा शिल्पा शेट्टी. जबकि वास्तविकता यह है कि शिल्पा शेट्टी ने टीम में प्रत्यक्ष निवेश भी नहीं किया है. राजस्थान रोयल्स की असली मालिक इमर्जिंग मीडिया स्पोर्टिंग है जो मोरिशियस में पंजीकृत है. उस कम्पनी का 44% हिस्सा ललित मोदी के साडु सुरेश चेलारमानी के पास 32% हिस्सा मोदी के नजदीकी मनोज बडाले के पास है ऐसी खबर है. शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा के पास 11 से 15% हिस्सा ही है. परंतु असली मालिक वे और उनकी पत्नी शिल्पा ही लगते हैं.

कुछ यही हाल किंग्स इलेवन पंजाब और केकेआर का भी है. जहाँ टीवी पर चेहरे अलग हैं और पर्दे के पीछे का संचालन किसी अन्य के पास.

7 गरीब देशों के "रईस" तानाशाह और उनका वैभव

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दुनिया के कई देशों की बागडोर आज भी तानाशाहों के हाथों में हैं. ऐसे अधिकतर देश गरीब हैं और वहाँ की प्रजा के लिए मूलभूत सुविधाएँ भी उपलब्ध नही है. परंतु वहाँ के शासक अति वैभवी जीवन जीते हैं. ऐसे ही कुछ तानाशाहों के वैभव का ब्यौरा -

किम जोंग 2 (उत्तर कोरिया) kim-jong-2
उत्तर कोरिया से सही आँकडे प्राप्त करना काफी कठीन है, परंतु कुछ स्रोतों के अनुसार उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग 2 के पास अकूट धन दौलत है. किम जोंग के बैंक खातों में 5 बिलियन से अधिक राशि जमा है, उसके पास 17 से अधिक वैभवी घर हैं. पार्टियों के शौखिन किम जोंग प्रति वर्ष अपने अधिकारियों के साथ जमकर पार्टी मनाते हैं और उसमें लगने वाली शराब की कीमत ही करोड़ो में होती है.

एक खबर के अनुसार किम जोंग ने अपने सभी घरों को गुप्त भूमिगत रेल नेटवर्क से जोड़ रखा है. एक बीच के पास स्थित अति वैभवी घर के तीन फ्लोर जमीन के नीचे है और वहाँ से समुद्र के अंदर की दुनिया देखी जा सकती है.


रोबर्ट मुगाबे (जिम्बाब्वे)

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क्या हुआ कि जिम्बाब्वे के नागरिक गरीबी में जीवन बिताने को मजबूर हैं. वहाँ ना तो रोजगार है और ना ही लोगों के पास खाने पीने का सामान परंतु इससे 86 वर्षीय राष्ट्रपति को कोई फर्क नहीं पडता. मुगाबे ने 2008 में 2.6 करोड अमेरिकी डॉलर खर्च कर नया महल बनवाया है जिसमें 25 तो स्नानघर हैं. उसके सभी घरों के ऊपर चीन से दान में मिली एंटी एयरक्राफ्ट गने लगी हैं. मुगाबे के पास ऐसे 3 घर और हैं. उसकी पत्नी ने एक बार गरीब लोगों के लिए घर बनाने के लिए जमा किए गए फंड का इस्तेमाल अपने 30 कमरों के महल 'ग्रेसलेंड' को बनाने में किया था, जिसे विवाद उत्पन्न होने के बाद बेच दिया गया. वैसे मुगाबे की घोषित आय सालाना 57000 डॉलर ही है.

अली बेन बोंगो (गेबन)
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अली बेन बोंगो के पिता ने उच्च जीवनशैली की सीमाओं को पार किया था. उसके पास फ्रांस में 45 घर थे, एक बुगाती स्पोर्ट्स कार थी और 12 दूसरी कारे थी. बोंगो परिवार खरीददारी के लिए बोइंग 747 विमान में बैठकर पेरिस जाता है.

बोंगो परिवार के फ्रांस और अमेरिका में कई वैभवशाली घर हैं और उनके पास कितनी जमीन है इसकी तो कोई गिनती ही नहीं है.


थान शु (बर्मा)
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बर्मा में सैनिक शासन है. वहाँ की जुंता ने 2005 में देश की नई राजधानी का निर्माण करवाना शुरू किया. इसके पीछे तर्क यह था कि रंगून ज्यौतिषी के हिसाब से शुभ नहीं है. परंतु वास्तविकता यह है कि वहाँ के सैन्य अधिकारियों को खुली जगह में घर चाहिए थे जो कि रंगून में सम्भव नही थे.

इस प्रकार नई राजधानी नायपिदा का निर्माण शुरू हुआ. यहाँ 50 शीर्ष सैन्य अधिकारियों के लिए 20 लाख अमेरिकी डॉलर वाले वैभवी घर बन रहे हैं. और जुंता के नेता थान शु अपने लिए 100 कमरों का महल बनवा रहा है. थान शु ने अपनी जिंदगी गुप्त ही रखी है परंतु उसके और उसके परिवार के द्वारा शोपिंग के लिए हवाईजहाज में बैठकर सिंगापुर जाना और महंगे उपहार खरीदना सारी कहानी बयान कर देते हैं.


मोबुतो सेसे सेको (जायरे)
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जायरे के पूर्व राष्ट्रपति मोबुतो सेको ने अति वैभवशाली जीवन जीया है. जायरे की प्रति व्यक्ति आय महज 150 अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष है परंतु मोबुतो के पास अकूट सम्पत्ति है. सेको के पास असंख्य महल, याच, निजी जेट और अन्य कीमती वस्तुएँ हैं. उसका एक महल चीनी पेगोडा पर आधारित है और इसको बनाने में 1 अरब से अधिक रूपए लगे हैं. कहा जाता है कि उसकी पत्नियों के पास 1000 से अधिक कपडे हर समय मौजूद होते है और वे एक कपडा दूसरी बार नही पहनती.


फर्डिनांड मार्कोस (फिलिपींस)
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फिलिपींस के लोगों के पास जहाँ खाने को अन्न नहीं है वहीं वहाँ के शासक फर्डिनांड मार्कोस ने अपने वैभवी जीवन से कोई समझौता नहीं किया था. मार्कोस के पास 61 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बना महल था जहाँ माइकलएंजेलो और बोतिसले की वास्तविक पेंटिंगे लगी थी.


जीन बेडल बोकासा (सेंट्रल अफ्रीका रिपब्लिक)
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अन्य तानाशाहों के विपरित सेंट्रल अफ्रीका रिपब्लिक के तानाशाह जीन बेडल बोकासा ने कभी भी अपना वैभवी जीवन नहीं छिपाया. उसका तर्क है कि इससे उसके देश की छवि अच्छी बनती है. परंतु वास्तविकता यह है कि उसने अपने वैभवी जीवन के लिए अपने ही देश को कंगाल कर दिया है. तानाशाह बनने के बाद उसने मात्र अपनी ताजपोशी के दिन के लिए 50 लाख अमेरिकी डॉलर के हीरे पहने, और समारोह के पीछे 2 करोड अमेरिकी डॉलर खर्च किए. इस दौरान 100 लिमोसीन कारें और 130 उच्च नस्ल के घोडे प्रदर्शित किए गए. उस दिन 65000 शेम्पेन की बोतलें खोली गई और फ्रांस से विशेष रूप से बार अटेंडर बुलवाए गए.

7 महाघोटाले पिछले दो दशक के

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पिछले दो महिनों के भीतर देश में एक के बाद एक कई घोटालों से पर्दा उठा है और इससे केन्द्र सरकार को शर्मिंदा होना पड रहा है. भारत भ्रष्टाचार के मामले में अन्य देशों से काफी आगे है और यह देश के विकास को बाधित करने वाली एक सबसे बडी समस्या भी है. पिछले दो दशकों के दौरान कई बडे घोटाले सामने आए हैं. इनमें से प्रमुख 7 घोटाले ये थे -

2जी स्पैक्ट्रम घोटाला -

cong_over_raja2 संचार मंत्री अन्दीमुथु राजा ने बाजार भाव की परवाह किए बिना सात साल पहले के भावों से 2जी स्पैक्ट्रम का आवंटन कर दिया. सरकार को इससे 39 अरब का नुकसान हुआ. इस घोटाले के पर लम्बे समय तक पर्दा डालने का प्रयास किया गया. परंतु आखिर में भारी दबाव के चलते संचार मंत्री ए. राजा से त्यागपत्र मांगा गया. परंतु सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी कठघरे में खडा करते हुए पूछा कि उन्होनें जाँच कराने में देरी क्यों की?

हाउसिंग लोन घोटाला -

एक वर्ष की जाँच के बाद सीबीआई ने एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रमुख सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया. इनके ऊपर कोर्पोरेट लोन के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया. जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई उनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया के शीर्ष पदाधिकारी भी थे. यह घोटाला कितना बडा है इसका अंदाजा नहीं लग पाया है परंतु अनुमान है कि यह यह कई हजार करोड तक जाएगा.

कॉमनेवैल्थ खेल घोटाला -
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दिल्ली कॉमनेवैल्थ खेल 2010 शांतिपूर्वक सम्पन्न तो हो गया परंतु घोटालों की काली छाई इस पर भी मंडराती रही. निर्माण कार्यों में अवांछित देरी और अनाप शनाप खर्चों ने भारतीय ऑलम्पिक संघ, दिल्ली सरकार, दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली नगर निगम सहित केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय को भी कठघरे में खडा किया. कभी 2000 करोड के बजट वाले इस खेल आयोजन के पीछे 60000 करोड से अधिक खर्च कर दिए गए. अब सीबीआई इस घोटाले की जाँच कर रही है.

आदर्श सोसाइटी घोटाला -

कारगिल के शहीदों के परिवारवालों के लिए बनी इस सोसाइटी पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं, बाबुओं और सेना के ऊपरी अधिकारियों ने कब्जा कर लिया. स्वयं मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण इस घोटाले में फंस गए और उन्हें इस्तीफा देना पडा. यह सोसाइटी मुम्बई के एक सबसे महंगे इलाके में बनी है. यह इमारत कई अन्य विवादों में भी फंसी है. आरोप है कि बिल्डर ने पर्यावरण संबंधित तथा जमीन संबंधित कानूनों पर ध्यान नहीं दिया.

सत्यम घोटाला -
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एक दिन सत्यम कम्प्यूटर्स के संस्थापक रामलिंग राजू ने एक चिट्ठी लिखी और भूचाल आ गया. उन्होनें लिखा कि किस तरह से वर्षों तक कम्पनी ने लाभ अर्जित करने के झूठे आँकडे दिखाए. 1 बिलियन के लगभग इस घोटाले को भारत का एनरोन भी कहा जाता है.

हर्षद मेहता घोटाला -
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1992 में बोम्बे स्टोक एक्ष्सेंज में तूफान सा आ गया था. संसेक्स तेजी से ऊपर चढ रहा था. परंतु पर्दे के पीछे का खेल कुछ और ही था. कई भारतीय शेयर दलालों ने इंटर बैंक ट्रांसेक्शन के साथ बाजार को उफान पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसमें कई देशी और विदेशी बैंकें, बाबु और नेता भी शामिल थे. जब इस घोटाले से पर्दा उठा तो दो महिने के भीतर बाजार 40% तक गिर गया और लोगों के लाखों-करोडों रूप डूब गए. मुख्य अभियुक्त हर्षद मेहता का 2002 में निधन हो गया.

बोफोर्स तोप घोटाला -
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भारत ने जब स्वीडन से बोफोर्स तोप खरीदी तब आरोप लगा कि इस तोप को खरीदने के लिए दबाव बनाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नजदीकी लोगों को रिश्वत दी गई थी. इस घोटाले की वजह से कांग्रेस का विभाजन हुआ और 1989 के आम चुनावों में पार्टी की हार हुई. यह केस वर्षों से चल रहा है और शायद वास्तविकता कभी सामने ना आ पाए.
Danyak mulnivasi nayak ap ko roj parna chai aur samaj ma jo jan krint lany hi o is sa ho saktha hi





29.5.12

कुछ ऐसा रहा सचिन के 100 शतकों का सफरनामा

Source: Dainikbhaskar.com | Last Updated 18:10(16/03/12)




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खेल डेस्क.सचिन तेंडुलकर ने करियर का 100वां शतक लगा ही दिया। 1989 में पाकिस्तान के खिलाफ पदार्पण करने वाले सचिन ने बांग्लादेश के खिलाफ शतक लगाकर सभी देशों के खिलाफ शतक लगाने का रिकॉर्ड भी बना लिया।

ये है सचिन के शतकों का पूरा लेखा जोखा...

वनडे में

पाकिस्तान के खिलाफ - 5

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ - 9

इंग्लैंड के खिलाफ - 2

केन्या के खिलाफ - 4

नामीबिया के खिलाफ - 1

न्यूजीलैंड के खिलाफ - 5

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ - 5

श्रीलंका के खिलाफ - 8

वेस्ट इंडीज के खिलाफ - 4

जिम्बाब्वे के खिलाफ - 5

बांग्लादेश के खिलाफ - 1

टेस्ट में...

पाकिस्तान के खिलाफ - 2

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ - 11

इंग्लैंड के खिलाफ - 7

न्यूजीलैंड के खिलाफ - 4

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ - 7

श्रीलंका के खिलाफ - 9

वेस्ट इंडीज के खिलाफ - 3

जिम्बाब्वे के खिलाफ - 3

बांग्लादेश के खिलाफ - 5

List of All Test Centuries (51) of Sachin Tendulkar
1. 119*

England

Old Trafford Cricket Ground, Manchester

14 August 1990
2. 148*

Australia

Sydney Cricket Ground, Sydney

6 January 1992

3. 114

Australia

WACA Ground, Perth

3 February 1992
4. 111

South Africa

Wanderers Stadium, Johannesburg

28 November 1992
5. 165

England

M. A. Chidambaram Stadium, Chennai

12 February 1993

6. 104*

Sri Lanka

Sinhalese Sports Club, Colombo

31 July 1993

7. 142

Sri Lanka

K. D. Singh Babu Stadium, Lucknow

19 January 1994
8. 179

West Indies

Vidarbha Cricket Association Ground, Nagpur

2 December 1994
9. 122

England

Edgbaston Cricket Ground, Birmingham

8 June 1996
10. 177

England

Trent Bridge, Nottingham

5 July 1996
11. 169

South Africa

Newlands Cricket Ground, Cape Town

4 January 1997
12. 143

Sri Lanka

R. Premadasa Stadium, Colombo

3 August 1997

13. 139

Sri Lanka

Sinhalese Sports Club, Colombo

11 August 1997
14. 148

Sri Lanka

Wankhede Stadium, Mumbai

4 December 1997

15. 155*

Australia

M. A. Chidambaram Stadium, Chennai

9 March 1998
16. 177

Australia

M. Chinnaswamy Stadium, Bangalore

26 March 1998
17. 113

New Zealand

Basin Reserve, Wellington

29 December 1998
18. 136

Pakistan

M. A. Chidambaram Stadium, Chennai

31 January 1999
19. 124*

Sri Lanka

Sinhalese Sports Club, Colombo

28 February 1999
20. 126*

New Zealand

Punjab Cricket Association Stadium, Mohali

13 October 1999


21. 217

New Zealand

Sardar Patel Stadium, Motera, Ahmedabad

30 October 1999
22. 116

Australia

Melbourne Cricket Ground, Melbourne

28 December 1999
23. 122

Zimbabwe

Feroz Shah Kotla, New Delhi

21 November 2000
24. 201*

Zimbabwe

Vidarbha Cricket Association Ground, Nagpur

26 November 2000


25. 126

Australia

M. A. Chidambaram Stadium, Chennai

20 March 2001


26. 155

South Africa

Goodyear Park, Bloemfontein

3 November 2001


27. 103

England

Sardar Patel Stadium, Motera, Ahmedabad

13 December 2001

28. 176

Zimbabwe

Vidarbha Cricket Association Ground, Nagpur

24 February 2002

29. 117

West Indies

Queen's Park Oval, Port of Spain

20 April 2002

30. 193

England

Headingley, Leeds

23 August 2002
31. 176

West Indies

Eden Gardens, Kolkata

3 November 2002

32. 241*

Australia

Sydney Cricket Ground, Sydney

4 January 2004

33. 194*

Pakistan

Multan Cricket Stadium, Multan

29 March 2004

34. 248*

Bangladesh

Bangabandhu National Stadium, Dhaka

12 December 2004

35. 109

Sri Lanka

Feroz Shah Kotla, New Delhi

22 December 2005

36. 101

Bangladesh

Bir Shrestha Shahid Ruhul Amin Stadium, Chittagong

19 May 2007

37. 122*

Bangladesh

Sher-e-Bangla National Stadium, Mirpur

26 May 2007

38. 154*

Australia

Sydney Cricket Ground, Sydney

4 January 2008

39. 153

Australia

Adelaide Oval, Adelaide

25 January 2008

40. 109

Australia

Vidarbha Cricket Association Stadium, Nagpur

6 November 2008


41. 103*

England

M. A. Chidambaram Stadium, Chennai

15 December 2008

42. 160

New Zealand

Seddon Park, Hamilton

20 March 2009


43. 100*

Sri Lanka

Sardar Patel Stadium, Motera, Ahmedabad

20 November 2009

44. 105*

Bangladesh

Zohur Ahmed Chowdhury Stadium, Chittagong

18 January 2010

45. 143

Bangladesh

Shere Bangla National Stadium, Mirpur

25 January 2010

46. 100

South Africa

Cricket Association Stadium, Nagpur

9 February 2010

47. 106

South Africa

Eden Gardens, Kolkata

15 February 2010

48. 203

Sri Lanka

Sinhalese Sports Club, Colombo

28 July 2010

49. 214

Australia

M. Chinnaswamy Stadium, Bangalore

11 October 2010

50. 111*

South Africa

SuperSport Park, Centurion

19 December 2010

51. 146

South Africa

Newlands Cricket Ground, Cape Town

4 January 2011

List of All ODI Centuries (48) of Sachin Tendulkar

1. 110

Australia

R. Premadasa Stadium, Colombo

9 September, 1994

2. 115

New Zealand

IPCL Sports Complex Ground, Vadodara

28 October, 1994

3. 105

West Indies

Sawai Mansingh Stadium, Jaipur

11 November, 1994

4. 112*

Sri Lanka

Sharjah Cricket Association Stadium, Sharjah

9 April, 1995


5. 127*

Kenya

Barabati Stadium, Cuttack

18 February, 1996


6. 137

Sri Lanka

Feroz Shah Kotla, New Delhi

2 March, 1996


7. 100

Pakistan

Padang, Singapore

5 April, 1996

8. 118

Pakistan

Sharjah Cricket Association Stadium, Sharjah

15 April, 1996

9. 110

Sri Lanka

R. Premadasa Stadium, Colombo

28 August, 1996


10. 114

South Africa

Wankhede Stadium, Mumbai

14 December, 1996

11. 104

Zimbabwe

Willowmoore Park, Benoni

9 February, 1997


12. 117

New Zealand

M. Chinnaswamy Stadium, Bangalore

14 May, 1997


13. 100

Australia

Green Park Stadium, Kanpur

7 April, 1998

14. 143

Australia

Sharjah Cricket Association Stadium, Sharjah

22 April, 1998

15. 134

Australia

Sharjah Cricket Association Stadium, Sharjah

24 April, 1998

16. 100*

Kenya

Eden Gardens, Kolkata

31 May, 1998


17. 128

Sri Lanka

R. Premadasa Stadium, Colombo

7 July, 1998

18. 127*

Zimbabwe

Queens Sports Club, Bulawayo

26 September, 1998

19. 141

Australia

Bangabandhu Stadium, Dhaka

28 October, 1998


20. 118*

Zimbabwe

Sharjah Cricket Association Stadium, Sharjah

8 November, 1998

21. 124*

Zimbabwe

Sharjah Cricket Association Stadium, Sharjah

13 November, 199

22. 140*

Kenya

County Ground, Bristol

23 May, 1999


23. 120?

Sri Lanka

Sinhalese Sports Club, Colombo

29 August, 1999

24. 186*

New Zealand

Lal Bahadur Shastri Stadium, Hyderabad

8 November, 1999

25. 122

South Africa

IPCL Sports Complex Ground, Vadodara

17 March, 2000

26. 101

Sri Lanka

Sharjah Cricket Association Stadium, Sharjah

20 October, 2000

27. 146

Zimbabwe

Barkatullah Khan Stadium, Jodhpur

8 December, 2000

28. 139

Australia

Nehru Stadium, Indore

31 March, 2001

29. 122*

West Indies

Harare Sports Club, Harare

4 July, 2001

30. 101

South Africa

New Wanderers Stadium, Johannesburg

5 October, 2001

31. 146

Kenya

Boland Park, Paarl

24 October, 2001


32. 105*

England

Riverside Ground, Chester-le-Street

4 July, 2002

33. 113

Sri Lanka

County Ground, Bristol

11 July, 2002

34. 152

Namibia

City Oval, Pietermaritzburg

23 February, 2003

35. 100

Australia

Roop Singh Stadium, Gwalior

26 October, 2003

36. 102

New Zealand

Lal Bahadur Shastri Stadium, Hyderabad

15 November, 2003

37. 141

Pakistan

Rawalpindi Cricket Stadium, Rawalpindi

16 March, 2004

38. 123

Pakistan

Sardar Patel Stadium, Motera, Ahmedabad

12 April, 2005


39. 100

Pakistan

Arbab Niaz Stadium, Peshawar

6 February, 2006

40. 141*

West Indies

Kinrara Academy Oval, Kuala Lumpur

14 September, 2006


41. 100*

West Indies

IPCL Sports Complex Ground, Vadodara

31 January, 2007

42. 117*

Australia

Sydney Cricket Ground, Sydney

2 March, 2008


43. 163*

New Zealand

AMI Stadium, Christchurch

8 March, 2009

44. 138

Sri Lanka

R. Premadasa Stadium, Colombo

14 September, 2009

45. 175

Australia

Rajiv Gandhi International Stadium, Hyderabad

5 November, 2009

46. 200*

South Africa

Roop Singh Stadium, Gwalior

24 February, 2010

47. 120

England

M Chinnaswamy Stadium, Bangalore

27 February 2011

48. 110

South Africa

Vidarbha Cricket Association Stadium, Jamtha, Nagpur

12 March 2011

49. 114

Bangladesh

Shere Bangla National Stadium, Mirpur

16 March 2012
·

28.5.12

तेंडुलकर नहीं यह अंग्रेज है शतकों का असली बादशाह

 
Source: Dainikbhaskar.com   |   Last Updated 18:15(16/03/12)
 
 
 
 
खेल डेस्क. सचिन तेंडुलकर ने बांग्लादेश के खिलाफ सैकड़ा लगाकर शतकों का महाशतक पूरा कर लिया। इस कीर्तिमान को हासिल करने के बाद हर ओर तेंडुलकर की जय-जयकार हो रही है, लेकिन क्रिकेट जगत में सर्वाधिक सेंचुरी लगाने के मामले में सचिन अभी 10 बल्लेबाजों से पीछे हैं।

सचिन ने 100वां सैकड़ा इंटरनेशनल क्रिकेट में पूरा किया है। लेकिन क्रिकेट इतिहास में सर्वाधिक शतक लगाने का रिकॉर्ड अब भी इंग्लैंड के जैक होब्स सबसे आगे हैं। होब्स ने अपने 29 साल के करियर में 199 शतक लगाए थे। दूसरे स्थान पर इंग्लैंड के ग्रीम हिक का नाम है, जिन्होंने 178 शतक लगाए हैं।

क्रिकेट जगत में सर्वाधिक शतक लगाने वाले टॉप 11 बल्लेबाज इस प्रकार से हैं-

जैक होब्स (इंग्लैंड) - 199

ग्रीम हिक (इंग्लैंड) - 178

ग्राहम गूच (इंग्लैंड) - 172

पेट्सी हेन्ड्रेन (इंग्लैंड) - 170

वैली हैमण्ड (इंग्लैंड) - 167

ज्यॉफ्री बॉयकॉट (इंग्लैंड) - 159

फिल मीड (इंग्लैंड) - 153

हर्बर्ट सटक्लिफ (इंग्लैंड) - 151

फ्रेंक वूली (इंग्लैंड) - 145

विवियन रिचर्ड्स (वेस्ट इंडीज) - 140

सचिन तेंडुलकर (भारत) - 139