'बेहतर होता नाक की जगह गला काट देता'
शुक्रवार, 3 अगस्त, 2012 को 07:58 IST तक के समाचार
बत्तीस साल पहले दो बच्चों की एक युवा मां बचने के इरादे से पाकिस्तान के मध्य पंजाब के हरे-भरे खेतों से भाग रही थीं.
पतली, उत्साह से भरपूर और परिवार में सबसे खूबसूरत
मानी जाने वाली अल्लाह रखी ने अभी-अभी अपने पति गुलाम अब्बास के हाथों
पिटाई सही थी.तीन दशक बाद, आज भी वैसे ही उत्साहित, लेकिन अब एक दादी बन चुकी अल्लाह रखी मुझे उसी जगह पर ले गईं जहाँ उनसे उनकी खूबसूरती छीन ली गई थी और काफी हद तक उनकी जिंदगी भी.
घटना
उन्होंने उस घटना को याद किया और कहा, ''उसने मुझसे कहा कि यहां बैठो और मेरी बात सुनो. मैंने उससे कहा कि उसने मेरी जिंदगी नष्ट कर दी है और मैं अपने मां-बाप के घर जा रही हूं. वो मेरी छाती पर बैठ गया और अपनी जेब से एक ब्लेड निकाल लिया. उसने मेरा नाक काट डाला और मेरी आंखों में खून चला गया. फिर उसने मेरा टखना काट डाला.''खून से लथपथ उसे अस्पताल के बजाय घर ले जाया गया ताकि वो पुलिस से शिकायत न कर सके.
बाद में गुलाम को गिरफ्तार कर लिया गया और उसने छह महीने जेल में बिताए.
कैद बना जीवन
फिर अल्लाह रखी की कैदी की तरह जीवन की शुरुआत हुई -- अकेले रहना, आईना न देखना और अपना चेहरा छुपाना--यहां तक कि अपने बेटे और बेटी से भी.वो कहती हैं, ''बेहतर होता अगर वो मेरे नाक की जगह मेरा गला काट देता.''
अपने साधारण घर में वो बीते सालों को याद करती हैं जब वो हमेशा एक कपड़े से अपना चेहरा ढक कर रखती थी.
वो कहती हैं, ''मैंने इसे कभी नहीं हटाया क्योंकि खुद को देखने में दर्द होता था. मैं किसी शादी या अंतिम संस्कार में शरीक नहीं होती थी क्योंकि लोग पूछते रहते थे कि क्या हुआ. अगर कभी पड़ोस के बच्चे आते थे और मुझे देखते थे तो डर के मारे चिल्लाते थे. मैं खुद दो मरा हुआ समझती थी.''
अब एक सफेद कपड़ा उनके बालों को ढकता है लेकिन उन्हें अपने चेहरे को ढकने की जरूरत नहीं है.
अब वो मुस्करा सकती हैं. उसके माथे से लेकर नई नाक तक एक गहरा दाग है.
नई नाक
उनकी नई नाक उनकी पसली की हड्डी से पाकिस्तान के सर्जन प्रो हमीद हसन ने लगाई है जिन्होंने मार्च के महीने में उनका मुफ्त इलाज किया था."अब मैं उसके बारे में क्या कह सकता हूं? बेहतर होगा कि आप न पूछें. यह सब उसका दोष था. जो कुछ हुआ वो उसके अपराधों की वजह से हुआ. वो बिना किसी कारण के नहीं हुआ था"
ग़ुलाम अब्बास
वो अपने पति के घर वापस आ गई हैं. सिर पर पगड़ी पहने उनका पति विचारमग्न लग रहा है जबकि अल्लाह रखी अपनी कहानी सुना रही है.
इतने सालों के बाद भी उनमें कोई पछतावा नहीं है.
अब भी भावहीन
जब मैंने उनसे इस हमले के बारे में पूछा तो उनके जवाब शीघ्र और भावहीन थे.उन्होंने कहा, ''अब मैं उसके बारे में क्या कह सकता हूं? बेहतर होगा कि आप न पूछें. यह सब उसका दोष था. जो कुछ हुआ वो उसके अपराधों की वजह से हुआ. वो बिना किसी कारण के नहीं हुआ था.''
वो इसके बारे में अधिक बात करने से इंकार करते हैं.
अल्लाह रखी उनके जवाब सुनती हैं लेकिन जवाब में बहुत कम बोलती हैं. वो कहती हैं, ''मैनें उन्हें कभी सजा नहीं दी. वो मैंने खुदा पर छोड़ दी है.''
उनका ध्यान एक मजदूर पर केंद्रित है जो पास में ही धूप में एक दीवार बना रहा है. फटे कपड़ों में यह पुरुष उसका बेटा अजहर है. इसी का प्यार उसे वापस घर ले आया है.
बेटे की खातिर
"वो कहता है, मेरी पत्नी की तरह रहो या फिर जाओ. मैं जाने को तैयार हूँ. मैं मरने को भी तैयार हूँ. लेकिन मैं उसकी पत्नी बनने को तैयार नहीं"
अल्लाह रखी
लेकिन अल्लाह रखी जोखिम उठा रही हैं. उनका कहना है कि गुलाम उन्हें तंग करता रहता है और बाहर निकालने की धमकी देता है.
अल्लाह रखी बताती हैं, ''वो कहता है, मेरी पत्नी की तरह रहो या फिर जाओ. मैं जाने को तैयार हूँ. मैं मरने को भी तैयार हूँ. लेकिन मैं उसकी पत्नी बनने को तैयार नहीं.''
मानवाधिकार कार्यकर्ता भी यहां चेतावनी देते हैं कि यहां और महिलाओं की हालत भी ऐसी हो सकती है.
पाक में पुरुष
पाकिस्तान के कई हिस्सों में पुरुष नियम बनाते हैं और महिलाओं को उनके उल्लंघन के लिए पीटा या मारा जा सकता है.पिछले साल 900 महिलाएं 'सम्मान' के लिए हत्याओं का शिकार हुई थी और नौ महिलाओं के नाक या कोई और अंग काटे गए थे.
थट्टा पिरा में सूर्यास्त हो रहा है और अल्लाह रखी अपने बेटे के लिए कुएं से भर कर पानी लाती हैं जो दीवार बना रहा है.
वो कहती हैं, ''खुदा हमारी इबादत को सुनेगा.''
फिलहाल अल्लाह रखी काम की तलाश कर रही हैं क्योंकि वो अब अपना चेहरा दिखा सकती हैं.
और इस साहसी महिला की एक और योजना है. वो अपनी नाक छिदवाना चाहती हैं.
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