लाल ग्रह पर 30 साल पहले था जीवन!
Updated on: Sat, 11 Aug 2012 08:53 AM (IST)1976 में नासा के विकिंग मिशन के अंतर्गत लेबल्ड रिलीज एक्सपेरिमेंट का नेतृत्व उन्होंने ही किया था। यह मिशन मंगल पर गया था। लेविन को उम्मीद है कि क्यूरियोसिटी उनके उस दावे का प्रमाण उपलब्ध कराएगा जिसमें उन्होंने कहा था कि मंगल पर कार्बनिक अणुओं का पता चला है। विज्ञान पत्रिका न्यू साइंटिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक मंगल पर जीवन की खोज संबंधी इस वैज्ञानिक सिद्धात का पहले खंडन किया गया था। क्यूरियोसिटी की खोज से उनके सिद्धात को फिर से स्थापित किया जा सकता है। अपने 1976 के प्रयोग में लेविन ने मंगल ग्रह की मिट्टी को रेडियोएक्टिव कार्बन वाले पोषक तत्व के साथ मिलाया था।
उनकी परिकल्पना में कहा गया था कि अगर मिट्टी में बैक्टीरिया मौजूद होंगे तो वे पोषक तत्व में रासायनिक क्रिया प्रारंभ करेंगे और कार्बन डाइ-ऑक्साइड के रूप में अणुओं को मुक्त करेंगे। प्रयोग में पाया गया है कि कार्बन डाइ-ऑक्साइड मुक्त हुआ और इससे पता चला कि मंगल की मिट्टी में रेडियोएक्टिव कार्बन परमाणु मौजूद हैं। हालाकि एक अन्य प्रयोग में इसका विरोधाभास सामने आया है। विकिंग का गैस क्रोमैटोग्राफ मास स्पेक्ट्रोमीटर कार्बन अणुओं की खोज कर रहा था, लेकिन उसे वैसा कुछ नहीं मिला।
नासा के वैज्ञानिकों ने लेविन की खोज का खंडन करते हुए कहा था कि इन मॉड्यूल्स के बिना मंगल पर जीवन नहीं हो सकता है। अब अगर क्यूरियोसिटी कार्बनिक अणुओं का पता लगाता है तो लेविन अपने वास्तविक आकड़ों का फिर से विश्लेषण करना चाहेंगे।
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