30.8.12

 दस देश की ब्राहमणवादी सरकार ने अब

ब्राहमणवाद को बढ़ावा देने के लिए

अब नया तरीक बना रहे है मनुवाद को कायम रखने के नया तरीके अपना रहे है/ क्या  मनुवादी 

 

अब महाकुंभ चला आईपीएल की राह..

 गुरुवार, 30 अगस्त, 2012 को 10:31 IST तक के समाचार

अनुमान है कि देश विदेश से तीन चार करोड़ लोग महा-कुंभ में शामिल होंगे.
उत्तर प्रदेश सरकार, क्रिकेट मैच की तरह, महाकुंभ मेले के दौरान विज्ञापन और टेलीकास्ट राइट्स की नीलामी कर के धन कमाना चाहती है.
लेकिन जानकार लोगों का कहना है कि सदियों पुराने इस धार्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव में इस तरह का नया प्रयोग काफी विवादास्पद हो सकता है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने पिछले मई महीने में नगर विकास को पत्र लिखकर निर्देश दिया था - "कुम्भ मेला 2012-13 में विज्ञापन के अधिकार की नीलामी करके एवं टेलीकास्ट राइट्स से शासन के लिए राजस्व प्राप्त किए जाए."
नगर विकास विभाग ने मुख्य सचिव का पत्र कुंभ मेला प्रशासन को भेज कर इस संबंध में 'सुस्पष्ट प्रस्ताव' मांगे थे कि, "विज्ञापन के अधिकार की नीलामी करके एवं टेलीकास्ट राइट्स से शासन के लिए किस प्रकार से राजस्व प्राप्त किया जा सकता है."
मुख्य सचिव ने महाकुंभ मेले की तैयारियों के संबंध में बृहस्पतिवार को एक बैठक बुलाई है. बैठक में इस प्रस्ताव पर भी चर्चा होनी है.

आयोजन

महाकुंभ मेला अगले वर्ष जनवरी में शुरू होकर मार्च तक चलेगा. अनुमान है कि देश विदेश से तीन चार करोड़ लोग इस मेले में शामिल होंगे. भारत सरकार इस मेले की व्यवस्था के लिए एक हजार करोड़ रूपए का अनुदान दे रही है और इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार के पास इस मेले के लिए संसाधनों की कोई कमी भी नही है.
महाकुंभ मेला हिंदू समुदाय का हजारों साल पुराना पर्व है. देश के शंकराचार्य, साधू - संन्यासियों के अखाड़े, उनके गृहस्थ भक्त और अन्य धार्मिक, सामाजिक संगठन इसके मुख्य आयोजक होते हैं.
इस पर्व में बड़ी तादाद में नागरिक शामिल होतें है इसलिए सरकार की भूमिका केवल यातायात नियंत्रण, सुरक्षा, साफ़ सफाई एवं अन्य मूलभूत नागरिक सुविधाएँ देने तक सीमित होती है.
साधू – संन्यासी हमेशा से मेले में व्यावसायिक गतिविधियों का विरोध करते रहे हैं. वर्ष 2001 के कुंभ मेले के दौरान कुछ निजी होटलों को मेला क्षेत्र में ज़मीन देने का व्यापक विरोध हुआ था. यह मामला अदालत में गया और अंत में मेला प्रशासन को अपना निर्णय रद्द करना पड़ा.
कुंभ मेले में प्रसारण अधिकार का मामला लोगों की धार्मिक और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार से जुड़ा है इसलिए इस पर और ज्यादा विवाद होने की संभावना है.

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