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May 29,2012

वेटेरिनरी साइंस आत्मसंतुष्टि और उ”वल भविष्य

Updated on: Wed, 16 May 2012 12:00 AM (IST)
 
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वेटेरिनरी साइंस आत्मसंतुष्टि और उ”वल भविष्य
पशु-पक्षियों में होने वाले रोगों का पता लगाकर उन्हें उससे छुटकारा दिलाना वेटेरिनरी साइंस के विशेषज्ञों का प्रमुख कार्य है। भारत के प्राचीन ग्रंथों से पता लगता है कि पशुपालन वैदिक आर्यो के जीवन और जीविका से जुडा था। पुराणों में भी पशुओं के प्रति भारतवासियों का प्रेम झलकता है। अनेक पशु-पक्षी देवी-देवताओं के वाहन माने गये हैं। कहा जाता है कि पांडव बंधुओं में नकुल अश्व चिकित्सा और सहदेव ने गोशास्त्र नामक पुस्तक लिखी थी। ऐतिहासिक युग में अशोक द्वारा स्थापित पशुचिकित्सालय का स्पष्ट पता लगता है। कौटिल्य ने अपने अर्थशास्त्र में अश्वों एवं हाथियों के रोगों की चिकित्सा के लिए सेना में पशुचिकित्सकों की नियुक्ति की थी। विदेशों में भी पशुओं का महत्व बहुत प्राचीन काल से समझ लिया गया था। ईसा से 1900-1800 वर्ष पूर्व के ग्रंथों में पशु रोगों पर प्रयुक्त होने वाले नुस्खे पाए गए हैं। पशु चिकित्सा का पहला विद्यालय फ्रांस के लियोन में 1762 ई. में खुला था। वर्तमान में पशु चिकित्सा कॅरियर का बहुत बडा सेक्टर बन का उभरा है।
क्यों पढें वेटेरिनरी साइंस
यदि आपको पशु-पक्षियों से प्रेम है और उनकी सेवा करना चाहते हैं तो यह पेशा कल्याण, प्रतिष्ठा और पैसे के हिसाब से बहुत ही शानदार हो सकता है। पशुओं में होने वाली बीमारियों का पता लगाकर और उनका इलाज करके जो आपको संतुष्टि मिलेगी उसका कोई मोल नहीं है। इसके अलावा आप पशुधन में इजाफा करने में अहम भूमिका निभाएंगे। वर्तमान में पशुपालन एक इंडस्ट्री के रूप में उभरकर धनोपार्जन का माध्यम बना है। यदि आप वेटेरिनरी से रिलेटेड कोर्स कर लेते हैं तो रोजगार के लिए भटकना नहीं पडेगा।
क्या करते हैं वेटेरिनरी चिकित्सक
वेटेरिनरी चिकित्सक का कार्य पशुओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखना, बीमारियों से छुटकारा दिलाना उनके रहन-सहन एवं खान-पान में सुधार करना तथा उनकी उत्पादन तथा प्रजनन क्षमता बढाना होता है। इसके अलावा पशुओं से मनुष्यों में होने वाले रोगों से बचाव के लिए चिकित्सकीय उपाय ढूंढने का कार्य भी करते हैं।
जरूरी स्किल्स
पशु-पक्षियों से प्रेम
पशु पक्षियों के व्यवहार की जानकारी
पशु-पशुओं के मौसमी रोगों की जानकारी
धर्य और लगातार कार्य करने की क्षमता
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
वेटेरिनरी साइंस में ग्रेजुएशन करने के लिए इंट्रेंस एग्जामिनेशन होता है। इस परीक्षा में बैठने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री एवं बायोलॉजी तथा अंग्रेजी विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। यह परीक्षा वेटेरिनरी काउंसिल ऑफ इंडिया के द्वारा हर वर्ष आयोजित की जाती है। प्रत्येक राज्य के वेटेरिनरी कालेज की 15 प्रतिशत सीटें इस परीक्षा द्वारा भरी जाती हैं। शेष सीटें राज्य के वेटेरिनरी कॉलेज स्वयं प्रवेश परीक्षा आयोजित करके भरते हैं। इसमें पोस्टग्रेजुएशन करने के लिए वेटेरिनरी साइंस में ग्रेजुएशन और पी-एचडी. के लिए पोस्टग्रेजुएशन होना अनिवार्य है।
जॉब्स की संभावनाएं
भारत सरकार की उदारीकरण नीतियों तथा वेटेरिनरी इंडस्ट्री के व्यावसायीकरण के कारण यह इंडस्ट्री प्रतिवर्ष ग्रोथ कर रही है। सरकारी तथा गैर सरकारी पशुचिकित्सालयों में पशुचिकित्सक, एनीमल हसबैंड्री डिपार्टमेंट, पोल्ट्री फार्म, डेयरी इंडस्ट्री, मिल्क एंड मीट प्रोसेसिंग इंडस्ट्री, फूड मैन्यूफैक्चरिंग, फार्मास्युटिकल वैक्सीन प्रोडक्शन इंडस्ट्री से संबंधित मल्टीनेशनल कम्पनियों के आने से इसमें नौकरी की डिमांड बढी है। इसके अलावा निजी अस्पताल खोलकर आप धन अर्जित कर सकते हैं, रिसर्च एंड डेवलेपमेंट तथा शिक्षण संस्थानों में शिक्षक के रूप में नौकरी कर सकते हैं। इसके जानकार बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी कार्य कर सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
बिहार वेटरिनरी कॉलेज, पटना
बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, रांची
गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार
कालेज ऑफ वेटरिनरी साइंस एंड एनीमल हसबैंड्री मथुरा, यूपी
एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना
शेर-ए काश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी, जम्मू
हिमाचल प्रदेश कृ षि विश्वविद्यालय, पालमपुर
नरेन्द्र देव यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, फैजाबाद

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