चन्द्रमा पर है उम्मीद से कहीं अधिक पानी
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार चन्द्रमा की सतह के भीतर और पथरीली जमीन के अंदरूनी भागों के अंदर पानी मौजूद हो सकता है. अगर इस पर और अधिक शोध की जाए तो इससे भविष्य के चन्द्र मिशनों को काफी मदद मिल सकती है.
कार्निजी इंस्टिट्यूट ऑफ वाशिंगटन के फ्रांसिस मैकक्यूबिन, जिनकी अध्यक्षता में यह शोध हुई, कहते हैं - हम 40 वर्षों से यही मानते आए थे कि चन्द्रमा की धरती पर पानी नहीं है. वह सूखी है. परंतु हमारी शोध ने साबित किया है कि चन्द्रमा के प्रति 10 लाख भागों में से 5 में पहले के अनुमानों की अपेक्षा दुगनी मात्रा में पानी मौजूद है. यह पानी चन्द्रमा की पथरीली सतह के भीतर है.
कहाँ से आया पानी:
वैज्ञानिक मानते हैं कि आज से 45 करोड़ वर्ष पहले मंगल ग्रह के आकार का कोई ग्रह पृथ्वी से टकराया होगा और इससे चन्द्रमा का जन्म हुआ होगा. इस टकराहट से पृथ्वी के कुछ हिस्से उखड़ गए और उनके साथ कई पदार्थ भी चले गए. ये टुकड़े जुडकर चन्द्रमा के स्वरूप में विकसित हुए और वहाँ मैग्मा विकसित हुई. इससे वहाँ मौजूद पानी सुरक्षित रह सका.
इस शोध के लिए शोधकर्ताओं ने आज से 40 वर्ष पहले चन्द्रमा की धरती पर गए अपोलो यान मिशन के दौरान एकत्र की गई चन्द्रमा की चट्टानों का विश्लेषण किया. शोधकर्ताओं ने पाया कि इन चट्टानों में हाईड्रोजन और ऑक्सिजन कम्पाउंड की मौजूदगी है जो यह साबित करती है कि उन चट्टानों के आसपास पानी है.
लेकिन इनकी रसायनिक उपस्थिति काफी कम है और इसलिए आज तक इन रसायनिक कम्पाउंडों का पता नहीं लग सका था. परंतु अब आधुनिक तकनीकों की मदद से यह पता चल गया है कि चन्द्रमा की धरती पर पानी है और वह भी उम्मीद से अधिक.
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