17.2.13

सुनामी पीड़ितों के लिए रहस्यमयी सोने की ईंटें!

 रविवार, 17 फ़रवरी, 2013 को 12:52 IST तक के समाचार

किसी अज्ञात व्यक्ति ने सुनामी पीडित बंदरगाह के लिए सोने की ईटें भेजी है.
सुनामी से तबाह हुए जापान के छोटे से मछली पकड़ने वाले बंदरगाह में लोगों को आज कल सोने की ईंटें मिल रही हैं.
सोने की ये ईंटें किसी अनाम व्यक्ति ने पार्सल के ज़रिए भेजी हैं.
दस दिन पहले सोने की ईंटें मियागी प्रांत के इशिनोमिकी में मिलनी शुरु हुईं.
सुनामी सहायता समूह और मछली बाजार में काम करने वालों को दो किलोग्राम वज़न वाली सोने की ईंटें मिली हैं, जिनकी कीमत बाज़ार में कम से कम दो लाख पचास हज़ार डॉलर है.
एक स्थानीय अखबार ने इस घटना को "सोने की सद्भावना" कहा है.
11 मार्च 2011 को जापान में आए 9.0 तीव्रता के भूकंप और विशाल सुनामी के चलते लगभग उन्नीस हज़ार लोग मारे गए थे और फुकुशिमा परमाणु संयंत्र भी तबाह हो गया था.
इशिनोमिकी राजधानी टोकियो के उत्तर पूर्व में करीब 350 किमी दूर स्थित है. यहाँ तीन हज़ार लोग मारे गए थे और चालीस हज़ार से अधिक इमारतें नष्ट हो गई थीं.
"" इस पार्सल को मैंने इसे बेहद सावधानी से खोला. इसे खोलने के बाद मैं दंग रह गया था क्योंकि इसमें दो 24 कैरेट सोने की ईटें थीं, जिन्हें कागज में लपेटा गया था."
क्यूनिओ सूनो
बंदरगाह और मछली बाज़ार को संचालित करने वाली कंपनी के प्रमुख का कहना है कि उन्हें दो किलो सोने की ईंट वाला एक पार्सल मिला है.

भेजने वाले का पता नही

इशिनोमिकी फिश मार्केट कंपनी लिमिटेड के प्रमुख क्यूनिओ सूनो ने सामचार ऐजेंसी एएफपी को बताया कि इस पार्सल पर भेजने वाले का कोई नाम पता नही था,"चूंकि इस पार्सल को विविध माल के रुप में चिह्नित किया गया था इसलिए मैंने इसे बेहद सावधानी से खोला"
उन्होंने कहा, "इसे खोलने के बाद मैं दंग रह गया था क्योंकि इसमें दो 24 कैरेट सोने की ईंटें थीं, जिन्हें कागज़ में लपेटा गया था."
इस पर कोई संदेश और कोई वापसी का पता भी नही था, हालांकि बताया गया कि इस पार्सल को उत्तर-पश्चिमी शहर नागानो से भेजा गया था.
सूनो का कहना है कि वो इस धन का इस्तेमाल उस मछली बाजार के पुनर्निर्माण में करेंगे, जिसे आजकल में टेंट में लगया जा रहा है.
ठीक इसी तरह इशिनोमिकी के पुनरुद्धार के लिए काम कर रही संस्था के योशी कनिको को भी दो सोने की ईंटें मिली हैं.
उनका कहना है, "हम दानदाता की कद्र करते हैं, हम इसे बर्बाद नही होने देगें."

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