युवक ने बुद्धिमानी के बल पर पाई राजा की कृपा
Source: Bhaskar news | Last Updated 01:22(31/05/12)
घोड़ा एक कदम भी हिल-डुल नहीं पा रहा था। उधर लुटेरे बढ़ते चले आ रहे थे। तभी कुछ नवयुवक वहां आए। वे स्थिति की गंभीरता को समझ गए और उन्होंने लुटेरों पर हमला कर उन्हें भगा दिया। राजा ने अपना असली परिचय देते हुए उनमें से हर एक युवक को अपनी इच्छित वस्तु मांगने के लिए कहा।
एक युवक ने धन मांगा, दूसरे ने मकान। तीसरे को सभासद पद चाहिए था, तो चौथे को खेत। पांचवें ने अपने गांव तक सड़क बनवाने की मांग की और छठे ने कहा कि राजा वर्ष में दो बार मेरे घर में मेहमान बनें।
राजा पांचों की इच्छा पूर्ण करने के बाद छठे के घर मेहमान बनकर आया तो उसे जर्जर घर में रहना पड़ा और जमीन पर सोना पड़ा। तब राजा ने उसे एक शानदार मकान बनवा दिया और राजा के प्रत्येक आगमन पर उसे कुछ न कुछ सौगात मिलती रही।
अपनी बुद्धिमानी से इस युवक ने राजा का आतिथ्य मांगकर स्वयं का जीवन सदा के लिए खुशहाल बना लिया। सार यह है कि यथोचित लाभ पाने के लिए अवसरों का उपयोग बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से करना चाहिए।
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