21.7.12

योजना का सच

Updated on: Tue, 17 Jul 2012 02:37 PM (IST)
योजना चाहे कोई भी हो वह तभी कारगर होती है जब उसका सही तरीके से प्रचार-प्रसार किया जाए। जब संबंधित पक्षों को किसी योजना के संबंध में जानकारी ही नहीं होगी तो वे उसका लाभ कैसे उठा सकते हैं। कुछ ऐसा ही हाल फसल बीमा योजना का हुआ है और किसान व बागवान इसका लाभ नहीं उठा पाए हैं। सरकार की यह योजना प्रदेश के चुनिंदा विकास खंडों में ही लागू की गई है। बिलासपुर जिला में तो योजना महज एक साल तक ही लागू रही जबकि मंडी जिला में योजना कागजों तक ही सीमित होकर रह गई है। कुछ क्षेत्रों में जागरूकता के अभाव के कारण किसानों व बागवानों ने अपनी फसल का बीमा नहीं करवाया। इस योजना के संबंध में सबसे बड़ी दिक्कत मुआवजे का न मिलना है। किसानों व बागवानों को ओलावृष्टि से हुए नुकसान का मुआवजा नहीं मिल पाया है। कई जगह लोग क्षतिपूर्ति के लिए कार्यालयों के चक्कर काट-काट कर थक गए मगर उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। यही कारण है कि किसान व बागवान इस योजना के प्रति उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि इस योजना का लाभ नहीं मिला है लेकिन लाभार्थियों की संख्या काफी कम है। लोगों को चाहिए कि वे जागरूक हों। सरकारी स्तर पर लागू होने वाली योजनाओं के संबंध में पूरी जानकारी रखें ताकि वे उनका उचित तरीके से लाभ उठा सकें। वास्तव में फसल बीमा योजना को पूरे प्रदेश में एक साथ लागू किया जाना चाहिए था। इसके साथ ही किसानों व बागवानों को जागरूक किया जाना चाहिए था। सरकारी स्तर पर योजना की समय-समय पर समीक्षा होनी चाहिए थी, ताकि योजना के कार्यान्वयन में आने वाली कमियों को दूर किया जाता, मगर ऐसा नहीं किया गया। इससे फसल बीमा जैसी महत्वाकांक्षी योजना किसानों और बागवानों के लिए सार्थक साबित नहीं हो पाई। योजना के सही क्रियान्वयन के लिए यह जरूरी है कि उसकी प्रगति की रिपोर्ट ली जाए ताकि वह समय से पहले दम न तोड़ दे। सरकार को चाहिए कि फसल बीमा योजना के आड़े आ रही दिक्कतों का पता लगाकर उन्हें दूर किया जाए। किसानों व बागवानों को मुआवजे की भी तत्काल व्यवस्था की जाए ताकि उनकी आर्थिक स्थिति डांवाडोल न हो। प्रदेश में जो भी नई योजना शुरू की जाए उसके संबंध में समुचित तरीके से प्रचार-प्रसार किया जाए ताकि हर किसी को उसकी जानकारी मिले।

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