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बेहतर होगी स्कूली शिक्षा

Updated on: Tue, 31 Jul 2012 06:05 AM (IST)
राज्य सरकार स्कूली शिक्षा को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसइबी) में ढांचागत सुधार, बड़े पैमाने पर शिक्षकों का नियोजन कर छात्र-शिक्षक अनुपात को मानक के करीब लाना, नवनियुक्त शिक्षकों की परीक्षा लेकर पढ़ाई की गुणवत्ता का स्तर ठीक रखने का प्रयास और इसके बाद नये शिक्षकों की भर्ती के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने को अनिवार्य बनाया जाना - ये सारे कदम बुनियादी और विद्यालयी पढ़ाई को बेहतर बनाने के लिए उठाये गए। गत सप्ताह इस दिशा में कुछ और निर्णय हुए। इनमें से एक फैसला ऐसा है, जिससे लगता है कि बिहार बोर्ड देश के दूसरे एक्जामिनेशन बोर्ड से स्पर्धा करने का संकल्प कर चुका है। बीएसइबी ने मैट्रिक व इंटर की परीक्षा प्रणाली में अगले वर्ष, यानी 2013 से बदलाव करने की व्यवस्था की है। इसके अनुसार बोर्ड मात्र 70 प्रतिशत अंकों की परीक्षा लेगा, शेष 30 प्रतिशत स्कूलों के अंकों का वेटेज रिजल्ट में दिया जाएगा। इन 70 प्रतिशत अंकों के लिए भी अब वस्तुपरक (आब्जेक्टिव) प्रश्न ही पूछे जाएंगे। 30 प्रतिशत अंकों के लिए स्कूलों में दो परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी, जिसमें सब्जेक्टिव व आब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जाएंगे। अगले साल 14 लाख छात्र-छात्राओं के शामिल होने की उम्मीद है। इनके लिए नई व्यवस्था यह भी होगी कि जो छात्र पहली पाली में परीक्षा देंगे, वे दूसरी पाली की परीक्षा में शामिल नहीं होंगे। दोनों पाली के प्रश्न पत्र अलग-अलग होंगे। बोर्ड ने जहां परीक्षा पद्धति में बदलाव किया है, वहीं कुछ परिवर्तन शिक्षकों की सुविधा को ध्यान में रख कर सरकार ने किये हैं। इसके अनुसार अब नियोजित शिक्षकों को वेतन के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। हर माह सीधे उनके बैंक खातों में वेतन की राशि चली जाएगी। यह व्यवस्था सभी 38 जिलों में लागू होगी, जिससे प्रारंभिक और माध्यमिक नियोजित शिक्षकों को लाभ मिलेगा। यह निर्णय शुक्त्रवार को शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम ने प्रेजेंटेशन के जरिये शिक्षकों को वेतन भुगतान संबंधी कार्य योजना की जानकारी दी। एक और नई पहल होगी, जिसके तहत शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों के फैकल्टी माध्यमिक विद्यालयों में शैक्षणिक निरीक्षण की जिम्मेवारी संभालेंगे। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिये गए हैं। इसे प्रारंभिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए ठोस कदम बताया गया है, क्योंकि अभी तक माध्यमिक विद्यालयों में निरीक्षण ही नहीं हो रहा था।

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