14.7.12

वैज्ञानिकों का दावा,ब्रह्मांड के निर्माण से उठा पर्दा!

Jul 04, 2012 at 10:12pm IST

नई दिल्ली।ब्रह्मांड के निर्माण के रहस्य से इंसान ने आज पर्दा उठाने का दावा किया। इंसान ने वो कण खोज निकाला है जिससे सृष्टि बनी, इंसान बना। जिसे गॉड पार्टिकल या ईश्वरीय कण या हिग्म बोसोन कहा जाता है। ये वो कण है जिसे आप हवा की तरह महसूस तो कर सकते हैं लेकिन देख नहीं सकते। ये सृष्टि को रचने की ताकत रखता है इसीलिए इसे ईश्वर के नाम से जोड़ा गया है। स्विटजरलैंड और फ्रांस की सीमा पर जमीन से 100 मीटर नीचे - 27 किलोमीटर लंबी सुरंग नुमा प्रयोगशाला में काम करने वाले सैकड़ों वैज्ञानिकों की मेहनत आज रंग लाई।
करीब तीस हजार करोड़ रुपए खर्च कर ये कण तलाशा गया है। इसे 100 सालों की सबसे बडी खोज कहा जा रहा है, लेकिन ये खोज अपने पीछे दो अहम सवाल पीछे छोड़ गईं हैं- पहला- क्या इंसान अब ईश्वर बनने की कोशिश में है? क्या वो कुदरत के साथ खेल रहा है? दूसरा- आखिर इस नई खोज से मानवजाति का क्या फायदा होगा?
वैज्ञानिकों का दावा,ब्रह्मांड के निर्माण से उठा पर्दा!
सदी का सबसे बड़ा महाप्रयोग सफल हुआ और
इंसान कुदरत के सबसे बड़े राज को सुलझाने के करीब पहुंच गया है। स्विटजरलैंड और फ्रांस की सीमा पर बनी लैब तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। वैज्ञानिकों ने उस सर्वशक्तिमान कण को खोज निकाला है जो ब्रह्मांड का रचयिता है। जिसे धार्मिक परिभाषा में ईश्वर या भगवान की संज्ञा दी जा सकती है।
50 सालों से सिर्फ किताब और वैज्ञानिक फॉर्मूलों में कैद ईश्वरीय कण की मौजूदगी का ऐलान जिनेवा में 21 देशों के समूह- यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च यानि सीईआरएन के हेड ने किया। इस कण की तलाश में सर्न की दो दो टीमें जुटी थी। उन्हें ये प्रयोग जमीन के 100 मीटर नीचे बनी 27 किलोमीटर लंबी सुरंग नुमा लार्ज हेडरॉन कोलाइडर यानि एलएचसी में करना था। 21 देशों के 15 हजार वैज्ञानिक सदी के इस महाप्रयोग में जुटे थे। 2008 से लेकर 2012 तक चार सालों में इस सुरंग के भीतर अनगिनत प्रयोग किए गए।
लक्ष्य था इस सुरंग के भीतर वैसा ही माहौल पैदा करना जैसा 14 अरब साल पहले बिग बैंग के वक्त हुआ था। जब तारों की भयानक टक्कर से ये आकाश गंगा बनी थी। उस आकाश गंगा का एक छोटा सा हिस्सा मात्र थी हमारी पृथ्वी। माना जाता है कि उस वक्त अंतरिक्ष में हुए उस महा विस्फोट के बाद ही पहली बार ईश्वरीय कण या हिक्स बोसोन नजर आए थे।
उस बिग बैंग को दोबारा प्रयोगशाला में पैदा करने का काम बेहद टेढ़ा था। उसके लिए इस सुरंग के भतर प्रोटोन्स कणों को आपस में टकराया गया। प्रोटोन किसी भी पदार्थ के सूक्ष्म कण होते हैं। जिनकी टक्कर से ऊर्जा निकलती है। माना जा रहा है कि ऐसी असंख्य टक्करों के बाद करीब 300 ईश्वरीय कण पैदा हुए। ये ईश्वरीय कण या गॉड पार्टिकल किसी भी अणु या ऐटम को भार यानि मास और स्थायित्व देते हैं। इस पार्टिकल के जरिए ही अणुओं में ठौर आता है और वो किसी भी शक्ल में बदलते हैं। यानि ये कण ही रचना करता है-इसीलिए इसे ईश्वर समान माना गया है।
यानि अगर वैज्ञानिकों के दावे को सही माना जाए तो इंसान ने जीवन की सबसे मुश्किल पहेली सुलझा ली है। लेकिन वैज्ञानिक अब भी कह रहे हैं कि ये गॉड पार्टिकल कैसा है, इसे जानने में अभी वक्त लगेगा। लेकिन ये पक्का है कि ये खोज साइंस की परिभाषा और सृष्टि के निर्माण की समझदारी बदल सकती है।
1969 में ब्रिटेन के रिसर्चर पीटर हिक्स ने सबसे पहले ईश्वरीय कण की मौजूदगी की बात कह कर सबको चौंका दिया था। उस वक्त ये कण सिर्फ पार्टिकल फिजिक्स की थ्योरी में मौजूद था। जाहिर है आज इतने सालों बाद अपनी उस कल्पना को सच होते देखना हिक्स के लिए बेहद रोमांचक अनुभव था। हिक्स को खास तौर पर सर्न ने इस ऐलान के लिए जिनेवा बुलवाया था।
ईश्वर का कण मिल गया। वो कण मिल गया जिसे सृष्टि और जीवन के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। ये नया कण है जो विज्ञान को नई ऊंचाई तक ले जाएगा। वैसे भी इंसान इस ब्रह्मांड का सिर्प 4 फीसदी हिस्सा ही जानता है, हिक्स बोसोन या गॉड पार्टिकल या ईश्वरीय कण, ये हमारे ज्ञान को नई सीमाएं देगा। इसीलिए इसे सदी की सबसे बड़ी और रोमांचक खोज माना जा रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.