13.7.12

  Rash ma mami ke grthi sulji




कैरो। प्राचीन मिस्र में नील नदी के किनारे विकसित मिस्र सभ्यता (3150-30 ईसा पूर्व) के अद्भुत पिरामिड, रहस्यमय ममी व समृद्धशाली अवशेष दुनिया भर के इतिहासकारों व पुरातत्वविदों को आकर्षित करते रहे हैं। ऎसे ही अवशेषों में 127 साल पहले सन् 1881 में मिस्र की राजधानी कैरो से करीब 500 किलोमीटर दक्षिण स्थित "डाइर एल बाहरी" घाटी में वर्षों से दुनिया की नजरों से ओझल एक चकित कर देने वाला समाधि स्थल मिला था, जहां सन् 1886 में पुरातत्वविद् गैस्टोन मैस्पेरो ने प्राचीन मिस्र के 40 राजा-रानियों की ममी (शव) को उजागर किया था। इनमें रामासेसे महान, सेती प्रथम और तूतमोसिस तृतीय जैसे विख्यात फेरो (राजा) की ममी भी शामिल थी। लेकिन इनमें से एक ममी बिल्कुल अलग थी। रहस्यमय परिस्थितियों में पाए जाने के कारण तब इस ममी की पहचान नहीं की जा सकी थी और इसका नाम "मैन ई" रख दिया गया था।
राजकुमार था "मैन ई"
अब वैज्ञानिकों के एक दल ने आधुनिक फोरेंसिक तकनीक की मदद से इस रहस्यमय ममी की पहेली को सुलझा लेने का दावा किया है। सीटी स्केनिंग, एक्सरे फेसियल रिकॉग्निशन, त्रि-आयामी फोटोग्राफी जैसी परिष्कृत तकनीक के इस्तेमाल से ममी के परीक्षण के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहंुचे हैं कि "मैन ई" वास्तव में प्रिंस पेन्टवेयर की ममी है। पेन्टवेयर रामासेसे तृतीय का पुत्र था, जिसने अपनी मां "टिई" के साथ मिलकर फेरो का कत्ल कर गद्दी हथियाने की योजना बनाई थी। इस कहानी को एक प्राचीन भोजपत्र के आधार पर भी बल मिल रहा है, जिसमें वर्णित है कि रानी "टिई" रामासेस तृतीय को सिंहासन से हटाकर अपने बेटे को राजा बनाना चाहती थी क्योंकि पेन्टवेयर को साम्राज्य का उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया गया था।
अजीब थी "मैन ई" की ममी!
दरअसल "मैन ई" के ममी का चेहरा दर्दनाक चीत्कार की मुद्रा में था। इसके हाथ-पैर इतने सख्त बंधे हुए थे कि हडि्डयों पर रस्सियों के निशान अब तक बने हुए हैं। ममी को प्राचीन मिस्र सभ्यता में अपवित्र समझे जाने वाली बकरी की खाल में लपेटा गया था। इसे बिल्कुल सामान्य जगह पर दफनाया गया था और इसकी ताबूत भी बगैर सजावट की थी। ममी के साथ ताबूत में कोई शिलालेख भी नहीं रखा गया था। ऎसा प्रतीत होता था कि इस ममी को कभी न खत्म होने वाले नरकवास के हवाले कर दिया गया था, क्योंकि प्राचीन मिस्र वासियों का मानना था कि ममी की पहचान गुप्त रखने से उसकी आत्मा भटकती रहेगी और मृत्यु के बाद वह दूसरे जीवन में प्रवेश नहीं कर पाएगी।

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