विज्ञान ने खोले तूतनख़ामुन के राज़
प्राचीन मिस्र के राजा और रानियों की शानोशौकत की बहुत सी कहानियां
सुनी सुनाई जाती है. लेकिन अब विज्ञान इन कहानियों की "असलियत" से पर्दा
उठा रहा है. तूतनख़ामुन के बारे में मज़ेदार बातें सामने आई हैं.


प्राचीन मिस्र के इतिहास के मिस्री विद्वान ज़ाही हावस का कहना है, "उस की शारीरिक विकृति और हड्डियों की कमज़ोरी इस वजह से थी कि उसके पिता अख़ेनातन ने अपनी ही सगी बहन से शादी कर उसे पैदा किया था." हावस काहिरा के मिस्री संग्रहालय में मिस्र, जर्मनी और इटली के विशेषज्ञों की एक टीम के शोध परिणाम पेश कर रहे थे. ये परिणाम जर्नल ऑफ़ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन में भी प्रकाशित हुए हैं.
प्राचीन मिस्र के फ़राओ राजाओं में भाई-बहन और बाप-बेटी के बीच शारीरिक और वैवाहिक संबंध अनहोनी बात नहीं थे. शायद वे नहीं जानते थे कि सगे ख़ून वाले वैवाहिक संबंधों से हमेशा आनुवंशिक बीमारियों का ख़तरा रहता है.
तूनख़ामुन क़रीब 3,300 साल पहले मात्र आठ साल की आयु में राजा बना था और11 साल बाद, केवल 19 साल की आयु में दुनिया से चल भी बसा. उसने अपने पिता अख़ेनातन की एक-ईश्वरवादी सूर्य-उपासना का अंत किया था. लेकिन जब वह दुनिया से गया, तो फ़राओ शासनकाल का ही सूर्यास्त हो गया.

विशेषज्ञों ने डीएनए परीक्षा के लिए तूतनख़ामुन के अतिरिक्त 15 और ऐसे शवों के नमूने लिए, जो ममी के रूप में भूमिगत तहख़ानों में मिले थे. कुछ शवों की पहचान नहीं हो पाई थी. उन्हें केवल नंबर से या किसी कामचलाऊ नाम से जाना जाता था. डीएनए विश्लेषणों से पता चला कि केवी25वाईएल नंबर वाली ममी तूतनख़ामुन की मां होनी चाहिए, लेकिन उसका नाम या परिचय अब भी साफ़ नहीं हो पाया है.
साफ़ इतना ही है कि तूतनख़ामुन के माता-पिता सगे भाई-बहन थे. यह पहले से पता था कि तूतनख़ामुन के पिता अख़ेनातन की पहली पत्नी और अपने समय की एक सबसे सुंदर महिला नेफ़ेरतिती की केवल बेटियां थीं, कोई बेटा नहीं था. नेफ़ेरतिती का शव या तो अभी तक मिला नहीं है या उस

कह सकते हैं कि राजा होते हुए भी तूतनख़ामुन का जीवन माता पिता के बीच के सगे ख़ून के रिश्ते का अभिशाप बन कर रह गया था. हावस का कहना है, "वह हड्डी गलने के अस्थिक्षय का गंभीर रोगी था. उस का बांया पैर और पैर का अंगूठा टेढ़ा था, सूजा हुआ था, दर्द करता था. इसीलिए वह लंगड़ाता था. लाठी के सहारे चलता था. शिकार के समय तीर बैठ कर चलाता था. यदि वह सामान्य शरीर वाला होता, तो खड़े होकर निशाना साधता."
बेचारा तूतनख़ामुन. सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि जीन तकनीक की सहायता से हज़ारों वर्ष बाद भी कितना कुछ जाना और इतिहासकारों की भूल को सुधारा जा सकता है.
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