ममता की छांव पर घरेलू-विदेशी रिटेलर खेल रहे बड़ा दांव
बिजनेस भास्कर मुंबई | Last Updated 02:51(14/07/12)
टैक्नोपैक की रिपोर्ट के अनुसार किड्स अपैरल व फुटवियर का बाजार 22,000 करोड़ रुपये का है
इसी रिपोर्ट के मुताबिक खिलौने का बाजार लगभग 1,000 करोड़ रुपये का है
एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार आनेवाले तीन वर्षों में किड्स मर्चेंडाइज का आकार 80,000 करोड़ रुपये का होगा
ऑनलाइन भी कम नहीं - मोतीलाल ओसवाल के कंज्यूमर रिटेल विशेषज्ञ के अनुसार मौजूदा समय में कई ऑनलाइन वेबसाइट जिसमें बेबीओए डॉटकॉम, फस्र्टक्राए डॉटकॉम, बेबीजी़वल्र्ड डॉटकॉम उपलब्ध हैं। इनके जरिए लगभग 2 फीसदी के आसपास खरीदारी हो रही है। आनेवाले कुछ वर्षों में यह बाजार काफी तेजी से विस्तार करेगा। जिसमें भारतीय ब्रांड की हिस्सेदारी बढऩे की उम्मीद है।
बच्चों व शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के उत्पादों का बाजार देश में पिछले कुछ वर्षों में बड़ा है। अब तक इस कारोबार में असंगठित क्षेत्र का सबसे ज्यादा बोलबाला था।पिछले कुछ समय में मदरकेयर व चिको जैसे विदेशी ब्रांड्स ने इस बाजार में खासी पैठ बनाई।अब घरेलू बाजार में मी एंड मॉम्स, महिंद्रा रिटेल का मॉम एंड मी के साथ ही ऑनलाइन रिटेलरों ने तेजी से प्रवेश किया है। जिसके चलते इस बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा तेज हुई है।
बच्चों व शिशुओं और गर्भवती महिलाओं के उत्पाद बेचने वाली मुंबई की मी एंड मॉम्स ने हाल में अपना पहला फ्रेंचाइज स्टोर खोला है। मी एंड मॉम्स के प्रबंध निदेश एवं अध्यक्ष नरेश खट्टर ने बिजनेस भास्कर को बताया कि यह बाजार पिछले कुछ वर्षोंं में तेजी से बढ़ा है। घरेलू बाजार में ज्यादातर असंगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी और विदेशी ब्रांड ने अपना दबदबा रखा है। हम बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए नए स्टोर खोल रहे हैं । जिसमें हम नए बाजारों में प्रवेश कर सकें।
उन्होंने बताया कि कंपनी ने बिक्री बढ़ाने के लिए ऑनलाइन कई पोर्टल के साथ करार किया है। पिछले कुछ वर्षो में नवजात शिशुओं के लिए दूध की बॉटल, नैपकिन, ट्रॉली समेत गर्भवती महिलाओं के फुटवियर, तथा अपैरल्स जैसे उत्पादों की बिक्री महानगरों तथा बड़े शहरों में जोर पकड़ रही है।अब इसका ट्रेंड दूसरे दर्जे के शहरों में भी देखा जा सकता है।
घरेलू बाजार में कई विदेशी कंपनियां पहले से बड़े रिटेलरों के साथ करार कर अपने उत्पादों को शॉप इंन शॉप के जरिए बेच रही हैं। उन्होंने बताया कि मी एंड मॉम्स का कुल राजस्व मौजूदा समय में 80 करोड़ रुपये है, जिसको अगले पांच साल में बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये पर पहुंचाना है। कंपनी के 12 स्टोर देश भर में मौजूद हैं।
बच्चों के ऑनलाइन उत्पाद बेचने वाली बंगलुरू की होपसो डॉटकॉम के संस्थापक विजय जुमानी के अनुसार बच्चों के उत्पादों को ऑनलाइन बेचना काफी लाभकारी कारोबार बनता जा रहा है। पहले इस बाजार में विदेशी ब्रांड मदरकेयर और चिको मुख्य रहे थे। लेकिन अब महिंद्रा अपने मॉम एंड मी, लिलिपुट, जीनी एंड जॉनी और मी एंड मॉम्स व एप्पल ऑफ माई जैसे कई घरेलू ब्रांड प्रवेश कर प्रतिस्पर्धा तेज कर रहे है।
टैक्नोपैक की आई एक रिपोर्ट के अनुसार बच्चों और उनसे जुड़े हुए उत्पादों का बाजार 22,000 करोड़ रुपये का है जिसमें अपैरल और फु टवियर मुख्य हैं। जिसके बाद खिलौने का बाजार लगभग 1,000 करोड़ रुपये का है। एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार आनेवाले तीन वर्षों में यह कुल बाजार 80,000 करोड़ रुपये का होगा।
मोतीलाल ओसवाल के कंज्यूमर रिटेल विशेषज्ञ के अनुसार मौजूदा समय में कई ऑनलाइन वेबसाइट जिसमें बेबीओए डॉटकॉम, फस्र्टक्राए डॉटकॉम, बेबीजी़वल्र्ड डॉटकॉम उपलब्ध हैं। इनके जरिए लगभग 2 फीसदी के आसपास खरीदारी हो रही है। आनेवाले कुछ वर्षों में यह बाजार काफी तेजी से विस्तार करेगा। जिसमें भारतीय ब्रांड की हिस्सेदारी बढऩे की उम्मीद है।
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