TIME के बाद अब ओबामा को सताने लगी भारत की चिंता
Jul 16, 2012 at 07:49am IST | Updated Jul 16, 2012 at 08:06am IST
नई दिल्ली। देश की लगातार गिरती
अर्थव्यवस्था को लेकर व्यापार में भारत के सहयोगी देशों की भी चिंता बढ़ने
लगी है। भारत के विदेशी निवेश में अमेरिका की भी अहम भूमिका है, लेकिन
अमेरिका को अब लगता है कि भारत में निवेश का माहौल बिगड़ता जा रहा है।
अमेरिकी
राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में साफ तौर
पर कहा कि अमेरिकी निवेशक भारत में निवेश करना चाहते हैं लेकिन रिटेल सहित
कई क्षेत्रों में पाबंदी की वजह से अमेरिकी निवेशक भारत से मुंह मोड़ने लगे
हैं।
ओबामा
ने कहा कि दोनों देशों में रोजगार के अवसर पैदा करना आवश्यक है और भारत के
विकास के लिए ये निहायत जरूरी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों
देशों में आर्थिक संबंध बढ़ाने के लिए निवेश का अच्छा माहौल बनाने की जरूरत
है।
ओबामा
की मानें तो अब वक्त आ गया है कि भारत आर्थिक क्षेत्र में सुधार के लिए एक
नई लहर पैदा करे। हालांकि ओबामा की इस नसीहत को सरकार ने सिरे से खारिज कर
दिया है।
संसदीय
कार्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि रिटेल में मल्टीब्रांड को लेकर सरकार
पूरी तरह तैयार है। किसी अन्य देश के मुताबिक भारत अपनी आर्थिक नीति तय
नहीं करता है। दुनिया में सभी इस बात को मान रहे हैं कि संकट के बाद भी
भारत अपनी ग्रोथ रेट 7 प्रतिशत के आसपास बनाए हुए है। हमें बूस्ट अप की
जरूरत है।
उधर
विपक्ष ने भी ओबामा के बयान को ये कहते हुए खारिज कर दिया है कि अमेरिका
पहले अपने घर को मजबूत करे। लेकिन खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को लेकर उसने एक
बार फिर सरकार पर हमला बोला है।
बीजेपी
उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि रुपया कंगाल हो रहा है और डॉलर
मालामाल हो रहा है। केंद्र सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए जनता चाह रही है।
केंद्र सरकार को अब कदम उठाना पड़ेगा। देश आर्थिक आपातकाल के दौर से गुजर
रहा है।
ओबामा
ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की धीमी रफ्तार पर तो चिंता जताई है
लेकिन उन्होंने यह भी माना कि विकास की दर प्रभावशाली है। दुनिया की
अर्थव्यवस्था में भारत की अहमियत को स्वीकारते हुए ओबामा ने कहा कि भारतीय
अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार के असर से दुनिया भर के देश प्रभावित हो रहे
हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका को भारत के अंदरुनी मामलों में दखल देने का
हक नहीं है लेकिन वक्त का तकाजा है कि भविष्य में आर्थिक खुशहाली के लिए
भारत प्रभावशाली दिशा खुद तय करे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.