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एक बेटा जो चाहता है माँ-बाप का सत्यानाश

 बुधवार, 1 अगस्त, 2012 को 12:51 IST तक के समाचार

अब ऐसे ही बोल पाता है शौर्य
शौर्य के पिता और उनकी सौतेली मां ने उनकी इतनी प्रताड़ना की है कि अब वो बमुश्किल बोल पाते हैं. शौर्य बता रहे हैं कि कैसे उन्हें पीटा जाता था और भला-बुरा कहा जाता था.
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दिल्ली की एक अदालत 13-वर्षीय शौर्य बल्हारा की हत्या की कोशिश के आरोप में उनके पिता सेना के पूर्व मेजर ललित और उसकी सौतेली माँ प्रीती, को बुधवार को आजीवन कारावास तक की अधिकतम सजा सुना सकती है.
जयपुर में नाना-नानी के घर रह रहे शौर्य की कहानी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, कि कोई माँ-बाप अपने मासूम बच्चे के साथ ऐसा कैसे कर सकता है.
आँखों पर बड़ा सा चश्मा पहने हुए शौर्य के होठों पर सूजन है, उसकी जीभ सूजी हुई है. शौर्य बताता है कि उसके मुँह में जबरदस्ती डंडा या बेलन डाल दिया जाता था जिसका नतीजा ये कि उसके मुँह में गहरी चोटें आईं. इस वजह से उसके मुँह से शब्द धीरे-धीरे निकलते हैं, और मुश्किल से समझ में आते हैं.
शौर्य
शौर्य की कहानी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
उसके सिर पर आज भी चोट के निशान हैं.
ये सात साल पहले के उन बुरे दिनों की याद दिलाते हैं जब उसके माँ-बाप ने उसके साथ ऐसा सलूक किया जो शायद कोई अपने दुश्मन से भी नहीं करे.
शौर्य के साथ मारपीट के कारण उसके शरीर का बाँया हिस्सा लकवाग्रस्त है.

'खून से लथपथ'

शौर्य बताते हैं, “वो डंडे से मुझे इतना मारते थे कि मैं बेहोश हो जाता था. जब उठता था तो देखता था कि पूरा शरीर खून से लथपथ है.”
शौर्य हाथों के इशारे से एक-एक बात को विस्तार से समझाता है.
शौर्य की नानी सावित्री बताती हैं कि मारपीट और मुँह में डंडा डालने की वजह से शौर्य पहले खाना भी नहीं खा पाता था.
उन्होंने कहा, “जब हम शौर्य से मिले थे तो उसके मुँह से माँस जैसा कुछ लटका हुआ था. काफी इलाज के बाद अभी भी इसकी स्पीच-थेरपी और फिजियोथेरपी चल रही है.”
शौर्य अपनी नानी के साथ
अपनी नानी के साथ शौर्य. शौर्य के पिता और सौतेली मां पर हत्या की कोशिश का मुकदमा चल रहा है
अदालत ने ललित और प्रीति को शौर्य की हत्या की कोशिश करने का दोषी पाया. साथ ही उन्हें बच्चों के साथ दुर्वव्यवहार के तहत बने कानून को तोड़ने का भी दोषी पाया है. दिल्ली स्थित सेना के अस्पताल ने शौर्य के साथ हुए दुर्वव्यवहार की पुष्टि की, हालाँकि ललित के मुताबिक अस्पताल प्रशासन का रवैया पक्षपातपूर्ण रहा है.
11 जनवरी 1999 में जन्मे शौर्य की माँ मीनाक्षी की मौत के बाद उनके पिता ललित ने प्रीति से दूसरी शादी की, लेकिन ये शौर्य के बुरे दिनों की शुरुआत थी.
25 अप्रैल 2002 में शौर्य को कीटनाशक पीने से हालत खराब होने के कारण दिल्ली स्थित सेना के अस्पताल में भर्ती करवाया गया.

'पीने के लिए बाथरूम का पानी'

उसी साल अक्टूबर में उसके सिर पर गहरी चोट के कारण उसके शरीर का बाँया हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया. कभी हड्डी टूटने पर या किसी और कारण से उसे अस्पताल में भर्ती किया जाता था.
"वो मुझे खाने को कुछ नहीं देते थे. कभी सड़ी हुई ब्रेड देते थे. और खाना माँगने पर मुट्ठी भर पत्थर दे देते थे. पीने के लिए बाथरूम का काला, गंदा पानी देते थे. वो मुझे बाथरूम में बंद करके चले जाते थे. वो मुझे गंदी-गंदी गालियाँ देते थे और सबको सिखा रखा था कि इस पागल को खूब गंदी गालियाँ दो."
शौर्य
उधर ललित और प्रीति के मुताबिक समस्या बच्चे में है कि उसे बार-बार चोट लग जाती है.
शौर्य के परिवार के मुताबिक उसके साथ हुई हिंसा का असर उसके मानसिक विकास पर पड़ा है और लोगों ने उन्हें किसी मनोरोग विशेषज्ञ से संपर्क करने की सलाह दी है. शौर्य से बात करने पर लगता है कि वो अपनी उम्र से बढ़कर बातें कर रहा है.
सावित्री के मुताबिक वो पढ़ाई में अच्छा है और स्कूल में सभी उसकी तारीफ करते हैं लेकिन वो बेहद शांत हो गया है और ऐसा लगता है कि गहराई में कुछ सोचता रहता है.
वो कहती हैं, “उसे अपनी शारीरिक अक्षमताओं के बारे में पता है, इसलिए कई बार वो अपने आप में खोया रहता है.”
जब हम शौर्य के घर पहुँचे, तो वो बाहर खेल रहा था, और किसी आम बच्चे की तरह ही दिखा, लेकिन उसे अपने साथ हुई हिंसा के बारे में एक-एक बात याद है. अदालत में दिया गया उसका वक्तव्य इस मामले में बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ था.

'उनका सत्यानाश हो'

उसने बताया, “वो मुझे खाने को कुछ नहीं देते थे. कभी सड़ी हुई ब्रेड देते थे. और खाना माँगने पर मुट्ठी भर पत्थर दे देते थे. पीने के लिए बाथरूम का काला, गंदा पानी देते थे. वो मुझे बाथरूम में बंद करके चले जाते थे. वो मुझे गंदी-गंदी गालियाँ देते थे और सबको सिखा रखा था कि इस पागल को खूब गंदी गालियाँ दो.”
"वो मुझसे कहते थे कि जब तू मर जाएगा तो हम खुशी से अपने परिवार और बच्चों के साथ रहेंगे. वो मुझे गोल-गोल घुमाते थे जिससे मुझे चक्कर आ जाता था. और जब मैं बेहोश हो जाता था तो वो मेरे सिर को दीवार से भिड़ा देते थे."
शौर्य
शौर्य का कहना है कि उसकी आँखों में उंगली या लाल मिर्च का पाउडर घुसा दिया जाता था जिससे उसे कई दिनों तक दर्द रहता था और वो आँखे नहीं खोल पाता था.
“वो मुझसे कहते थे कि जब तू मर जाएगा तो हम खुशी से अपने परिवार और बच्चों के साथ रहेंगे. वो मुझे गोल-गोल घुमाते थे जिससे मुझे चक्कर आ जाता था. और जब मैं बेहोश हो जाता था तो वो मेरे सिर को दीवार से भिड़ा देते थे.”
सावित्री कहती हैं कि जब भी शौर्य पुराने दिनों को याद करता है तो वो उससे कहती हैं कि गंदी बातों को याद मत करो और पढ़ाई में मन लगाओ.
घूमने-फिरने और खेलने का शौकीन शौर्य बड़ा होकर दुकानदार बनना चाहता है ताकि वो नए लोगों से मिल सके. वो डॉक्टर इसलिए नहीं बनना चाहता ताकि दुखी लोगों से नहीं मिलना पड़े.
मुस्कुराते हुए शौर्य कहता है कि उसे पढ़ाई में मन नहीं लगता, लेकिन “पढ़ाई के बिना है ही क्या. पढ़ाई के बिना कुछ भी नहीं बन पाएँगे. पढ़ना तो पड़ता ही है.”
वो स्कूल में अपने दोस्तों के बारे में बताते-बताते हंसने लगता है.
शौर्य के परिवार के मुताबिक उसका भविष्य चुनौतीपूर्ण है, हालाँकि वो उसे सामान्य बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
वो कसरत करने जिम जाता है और योग भी करता है. हालाँकि उसका एक अलग कमरा है, लेकिन वो परिवार के बाकी सदस्यों के साथ ही सोता है.
वो अपने माता-पिता को “गंदे लोग” कह कर बुलाता है और कहता है, “उन्होंने मेरे साथ बुरा किया है. और उनका सत्यानाश हो.”

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