क्या है स्वामी नित्यानंद सेक्स स्कैंडल
रोहिणी स्वामी
| बैंगलोर, 3 मार्च 2010 | अपडेटेड: 11:00 IST
दावा किया जा रहा है कि इन तस्वीरों में छिपा है एक संत का ऐसा चेहरा, जिसे देखकर लोगों की आस्था डगमगा जाएगी. दावा है कि वीडियो में दिखाई दे रही तस्वीरों में गेरुए लिबास में जो शख्स दिख रहे हैं, वो शख्स कोई और नहीं बल्कि तमिलनाडु के बेहद चर्चित संत स्वामी नित्यानंद हैं.
स्वामी नित्यानंद का असली नाम राजशेखर है और वो तमिलनाडु के थिरुनामलाई के रहने वाले हैं. नित्यानंद स्वामी का थिरुनामलाई और बैंगलोर में बहुत बड़ा आश्रम है. इन्ही जगहों में से कहीं पर संत को कैमरे में कैद किया जा रहा है. वीडियो में साड़ी पहने एक महिला दिखती है जिसके साथ बाबा को बाद में आपत्तिजनक हालात में देखा जाता है. कुछ ऐसा ही होता है सफेद रंग के सलवार सूट में दिख रही एक अन्य महिला के साथ भी.
स्वामी नित्यानंद का सेक्स वीडियो सामने आने से आक्रोशित लोगों ने उनके पुतलें फूंक कर प्रदर्शन किया. गुस्साए लोगों ने शहर में लगे उनके होर्डिंग भी तोड़ दिए, उनकी फोटो को पैरों से कुचला और जूते चप्पलों से मारा.
सेक्स स्कैंडल के आरोपी को भी बना दिया महामंडलेश्वर
महाकुंभ नगर (इलाहाबाद)/ब्यूरो | Last updated on: February 13, 2013 8:15 AM IST
विवादित
संतों को पदवी दिए जाने का सिलसिला लगातार जारी है। जूना अखाड़े की तरफ से
राधे मां को महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर विवाद चल ही रहा है और अब
मंगलवार को पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी की ओर से विवादित संत नित्यानंद
स्वामी को महामंडलेश्वर बना दिया गया। नित्यानंद स्वामी सेक्स स्कैंडल में
पकड़े जा चुके हैं।
नित्यानंद के अलावा पावनधाम, हरिद्वार के स्वामी सत्यप्रकाशानंद को भी मंत्रोच्चार के बीच पट्टाभिषेक और चादर ओढ़ाकर महामंडलेश्वर की पदवी दी गई। पट्टाभिषेक के बाद दोनों ही महामंडलेश्वरों ने अखाड़े के आराध्य की आराधना की और पुकार में भेंट चढ़ाई। हालांकि महानिर्वाणी के इस कदम का अखाड़ों मे विरोध भी है। कई अखाड़ों ने उन्हें समर्थन की चादर नहीं ओढ़ाई।
त्रिवेणी रोड स्थित छावनी में अखाड़े की परंपरा के मुताबिक उन्हें चादरविधि के तहत निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वदेवानंद पुरी ने चादर ओढ़ाकर महामंडलेश्वर की पदवी दी। इसी क्रम में अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानंद पुरी सहित अखाड़े के अन्य महामंडलेश्वरों ने भी उन्हें तिलक लगाया और चादर ओढ़ाई। महाकुंभ में महानिर्वाणी की ओर से अब तक पांच संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया।
बनते ही विवादों से घिरे
नित्यानंद ध्यानपीठम के पीठाधीश्वर नित्यानंद स्वामी पर गंभीर चारित्रिक आरोप हैं। उनका मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है। निरंजनी के सचिव श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि किसी संत को महामंडलेश्वर बनाना अखाड़े का अधिकार है लेकिन इस पद की गरिमा और मर्यादा होती है, जिस पर रमता पंचों को विचार करना चाहिए, लेकिन इस बारे में पारदर्शिता नहीं बरती गई। उन्होंने साफ कहा कि नित्यानंद स्वामी इस पद के योग्य नहीं है।
वहीं अखाड़े के सचिव और श्रीमहंत रवींद्र पुरी का कहना है कि दक्षिण के संतों को जगह न दिए जाने की शिकायत अरसे से की जाती रही है, इसीलिए अखाड़े में दक्षिण के संतों को भी जगह दी गई। जहां तक नित्यानंद स्वामी का मामला है, वह अखाड़े के साधु हैं और बीते अर्द्धकुंभ में भी शामिल हुए थे। किसी तरह का विवाद उनकी निजी जिंदगी से जुड़ा है, इससे अखाड़े का कोई लेना देना नहीं है।
नित्यानंद के अलावा पावनधाम, हरिद्वार के स्वामी सत्यप्रकाशानंद को भी मंत्रोच्चार के बीच पट्टाभिषेक और चादर ओढ़ाकर महामंडलेश्वर की पदवी दी गई। पट्टाभिषेक के बाद दोनों ही महामंडलेश्वरों ने अखाड़े के आराध्य की आराधना की और पुकार में भेंट चढ़ाई। हालांकि महानिर्वाणी के इस कदम का अखाड़ों मे विरोध भी है। कई अखाड़ों ने उन्हें समर्थन की चादर नहीं ओढ़ाई।
त्रिवेणी रोड स्थित छावनी में अखाड़े की परंपरा के मुताबिक उन्हें चादरविधि के तहत निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वदेवानंद पुरी ने चादर ओढ़ाकर महामंडलेश्वर की पदवी दी। इसी क्रम में अटल पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी महामंडलेश्वर स्वामी शुकदेवानंद पुरी सहित अखाड़े के अन्य महामंडलेश्वरों ने भी उन्हें तिलक लगाया और चादर ओढ़ाई। महाकुंभ में महानिर्वाणी की ओर से अब तक पांच संतों को महामंडलेश्वर बनाया गया।
बनते ही विवादों से घिरे
नित्यानंद ध्यानपीठम के पीठाधीश्वर नित्यानंद स्वामी पर गंभीर चारित्रिक आरोप हैं। उनका मामला अब भी अदालत में विचाराधीन है। निरंजनी के सचिव श्रीमहंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि किसी संत को महामंडलेश्वर बनाना अखाड़े का अधिकार है लेकिन इस पद की गरिमा और मर्यादा होती है, जिस पर रमता पंचों को विचार करना चाहिए, लेकिन इस बारे में पारदर्शिता नहीं बरती गई। उन्होंने साफ कहा कि नित्यानंद स्वामी इस पद के योग्य नहीं है।
वहीं अखाड़े के सचिव और श्रीमहंत रवींद्र पुरी का कहना है कि दक्षिण के संतों को जगह न दिए जाने की शिकायत अरसे से की जाती रही है, इसीलिए अखाड़े में दक्षिण के संतों को भी जगह दी गई। जहां तक नित्यानंद स्वामी का मामला है, वह अखाड़े के साधु हैं और बीते अर्द्धकुंभ में भी शामिल हुए थे। किसी तरह का विवाद उनकी निजी जिंदगी से जुड़ा है, इससे अखाड़े का कोई लेना देना नहीं है।
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