9/11 से लेकर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तक...टापू जहाँ बड़े चरमपंथी पनाह लेते हैं
शनिवार, 16 फ़रवरी, 2013 को 09:40 IST तक के समाचार
रेत, समंदर और नीला आसमां. पहली नजर में फिलीपींस का सुलु टापू जन्नत सरीखा लगता है. लेकिन ये खूबसूरती आपको धोखा दे सकती है.
अमरीका में
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9/11 हमले के साज़िशकर्ता खालिद शेख मोहम्मद, 90 के दशक में
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले में संदिग्ध रमज़ी युसुफ, बाली हमलों के
साज़िशकर्ता-इन सबने सुलु में वक़्त गुजारा है.
यही वजह थी कि न्यूयॉर्क और वाशिंगटन में सितंबर 11 के हमलों के ठीक बाद अमरीकी फौज यहां पहुंच गई थी.
अमरीकी टास्क फोर्स के कमांडर कर्नल मार्क मिलर सुलु के बारे में कहते हैं,“साल 1994 और 2001 के बीच जहां कहीं भी चरमपंथी हिंसा हुई है उसके तार कहीं न कहीं से सुलु से जुड़े हुए है. या तो इसका इस्तेमाल सुरक्षित पहनाहगाह के तौर पर या योजना बनाने के लिए या फिर प्रशिक्षण के लिए किया गया है”.
अबू सय्याफ
"साल 1994 और 2001 के बीच जहां कहीं भी चरमपंथी हिंसा हुई है उसके तार कहीं न कहीं से सुलु से जुड़े हुए हैं"
कर्नल मार्क मिलर, अमरीकी टास्क फोर्स
मलेशिया और इंडोनेशिया में सक्रिय जेमाह इस्लामिया जैसे संगठनों के सदस्यों की मौजदूगी भी सुलु में देखी जा सकती है. इनके तार अल कायदासे जुड़े होने की बात जग जाहिर है.
स्थानीय मुस्लिम समुदाय के बीच ठोस आधार रखने वाले अबू सय्याफ किसी रहस्यमयी संगठन की तरह लगता है.
सुलु के स्थानीय नागरिकों के लिए अपने आस पास हिंसक चरमपंथियों की मौजूदगी और उनसे जुड़ी बातें रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो गई हैं.
16 साल लोवेल लौज़ेन कहती हैं,“डर आपको अपनी पसंद का काम करने से रोकता है. अगर आप दरिया किनारे, जंगलों में जाना चाहते हैं तो आप इन खतरों की वजह से डर जाते हैं”.
सुलु का पिछड़ापन
सुलु में बाल मृत्यु की दर सबसे अधिक है. यहां व्यस्क साक्षरता की स्थिति भी सबसे खराब है.
"डर आपको अपनी पसंद का काम करने से रोकता है. अगर आप दरिया किनारे, जंगलों में जाना चाहते हैं तो आप इन खतरों की वजह से डर जाते हैं"
लौवेल लौज़ेन, स्थानीय नागरिक
हालांकि कई चरमपंथी संगठनों की मौजूदगी के बावजूद फिलिपींस की सेना धीरे-धीरे इस इलाके में बढ़त बना रही है.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनकी कामयाबी का श्रेय अमरीकी मदद को भी जाता है.
चरमपंथियों के पास इस इलाके के एक तिहाई हिस्से पर ही अब असर रह गया है. लेकिन यह केवल जमीन पर कब्जे की लड़ाई भर की बात नहीं है. सुलु के स्थानीय लोगों का भरोसा जीतना भी इस लड़ाई का एक हिस्सा है.
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