नौ तारीख, आठ बजे, पहले से तय था:शिंदे
शनिवार, 9 फ़रवरी, 2013 को 10:21 IST तक के समाचार
13 दिसंबर, 2001 में भारतीय संसद पर हमले में दोषी करार अफ़ज़ल गुरू को फॉंसी दे दी गई है.
केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह ने इस ख़बर की पुष्टि करते हुए कहा, "उन्हें फॉंसी दे दी गई है."पहले से तय योजना के तहत ही सुबह आठ बजे अफ़ज़ल गुरू को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फॉंसी पर लटकाया गया.
आरके सिंह ने बताया कि ये कानून की प्रक्रिया का अंतिम चरण था, जिसका पालन किया गया है.
जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में एहतिहात को तौर पर कर्फ्यू लगा दिया गया है. बताया जा रहा है कि इस मामले के बारे में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला को जानकारी पहले से थी.
पिछले साल 16 नवंबर, 2012 को राष्ट्रपति ने अफ़ज़ल गुरु की दया याचिका को गृह मंत्रालय के वापस लौटा दिया था.
"तीन फरवरी को राष्ट्रपति महोदय की दया याचिका खारिज करने की फ़ाइल मिली. चार फरवरी को मैं ने इस फ़ाइल पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद की कार्रवाई के तहत नौ फरवरी को सुबह आठ बजे अफ़ज़ल गुरु को फॉंसी दिया जाना तय किया गया."
सुशील कुमार शिंदे, केंद्रीय गृह मंत्री, भारत सरकार
दया याचिका खारिज
आरके सिंह ने बताया कि तीन फरवरी को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उनकी दया याचिका को ख़ारिज़ कर दिया.इसके बाद कैबिनेट समिति की बैठक में अफ़ज़ल गुरु को फॉंसी दिए जाने की अंतिम तैयारी पर मुहर लगाई गई.
केंद्र सरकार के इस कदम को राजनीतिक तौर पर बेहद चतुराई भरा कदम बताया जा रहा है. ससंद के बजट सत्र से ठीक पहले सरकार ने अफ़ज़ल गुरु को फॉंसी की सजा देकर विपक्ष के आरोपों की हवा निकाल दी है.
भारतीय जनता पार्टी सहित विपक्ष केंद्र सरकार पर अफ़ज़ल गुरु को लेकर दोहरा मापदंड बरतने का आरोप लगा रहा थी.
सरकार पर दबाव
पिछले साल मुंबई में आतंकी हमले के दोषी अजमल कसाब को फॉंसी दिए जाने के बाद सरकार पर अफ़ज़ल को फॉंसी दिए जाने के लिए दबाव बढ़ रहा था.भारत के संसद पर हुए आतंकी हमले में पांच चरमपंथी शामिल थे. इस हमले में नौ लोगों की मौत हुई थी, इनमें सात संसद की सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी शामिल थे. जबकि पांचों चरमपंथी जवाबी कार्रवाई में मारे गए थे.
अफ़ज़ल गुरु पर इन चरमपंथियों को मदद मुहैया कराने का आरोप सही पाया गया था. उन्हें भारी हथियार गोला बारूद के साथ दिल्ली के उनके ठिकाने से गिरफ़्तार किया गया था.
अफ़ज़ल गुरु जैश-ए-मोहम्मद के चरमपंथी थे. उन्होंने भारत की सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में फॉंसी की सजा सुनाई गई थी.
उन्हें 20 अक्टूबर, 2006 में फॉंसी की सजा दी जानी थी लेकिन उनकी पत्नी ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की, जिसके चलते अफ़ज़ल गुरु की फॉंसी टलती रही.
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