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एक साथ 20 मौतों से दहला यह शहर, बिलख-बिलख कर रोए लोग

Source: dainik bhaskar news   |   Last Updated 08:35(31/07/12)

 
कैथल. ज्वाला झाड़ी में मन्नत पूरी करने गए कई घरों के चिराग बुझ गए। हादसे में किसी ने बाप खो दिया तो किसी ने मां।

पार्षद दंपती की मौत के बाद राणा मोहल्ला में मातम का माहौल था। रोहताश के एक ही परिवार के तीन सदस्य मौत के आगोश में समा गए। मां बेटे की मौत से भी रामरति के परिवार पर कहर टूट गया। सड़क दुर्घटना में कस्बा कलायत के 20 लोगों की जान चली गई। वार्ड नंबर सात के पार्षद श्याम सिंह राणा और उनकी पत्नी भतेरी की मौत के बाद सब बदहवास थे।

घर के बाहर गली में विलाप कर रहे वृद्ध चाचा फग्गू सिंह की आंखों से आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। फग्गू राम ने कहा कि डेढ़ महीने पूर्व उसके पोते की मौत हो गई थी। अभी वह गम भूला भी नहीं पाया था कि श्याम राणा और उसकी पत्नी की मौत से उसका सब कुछ लूट गया। उसका भतीजा श्याम राणा उन्हें हर माह पेंशन लाकर देता था और गली मोहल्ले में सबका दुख दर्द साझा करता था। श्याम राणा की गोद ली बेटी रज्जी ने सुबह सात बजे श्याम राणा को फोन पर लौटने बारे पूछा तो उन्होंने 11 बजे तक आने की बात कही लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। दंपती की मौत के बाद परिवार सदमे में हैं।

हादसे में रोहताश का परिवार भी मौत के आगोश में समा गया। रोहताश के परिजन बेसुध हैं और उनका रो-रोकर बुरा हाल है। पड़ोसी धर्मपाल, ऋषिपाल, ज्ञान सिंह, कृष्ण और बलजीत ने बताया रोहताश बड़ा ही होनहार था। महीपाल के घर में भी चीत्कारें गूंज रही थी। हादसे में टाटा मालिक महीपाल और उसकी मां चमेली की भी जान चली गई।

बैरागी मोहल्ला से सूरत, कर्म सिंह और पवन ने बताया कि घटना के बाद पूरा गांव शोक में डूबा हुआ है। किसी भी के घर में चूल्हा नहीं जला। हर कोई मृतकों के परिवारों को सांत्वना दे रहा है। कृष्ण और ज्ञान सिंह ने बताया कि मन्नत पूरी करने के लिए हर महीने ये लोग ज्वाला झाड़ी जी के दर्शन करने जाते थे। लेकिन इस घटना से पूरा गांव सदमे में हैं।


हादसे में कोटड़ा गांव के रामस्वरूप और उसके बेटे अजय, रामरति उसका बेटा आशु, थुआ की डेढ़ माह की बच्ची काजल, सींसर के बिट्टू, किराली पिहोवा जिला कुरुक्षेत्र के ओमप्रकाश और उसकी पत्नी खजानी को भी मौत ने लील लिया।
स्पीड, नींद, तख्ते और सदमा मौत की वजह
कैंटर की तेज स्पीड, पीछे नींद में सोए लोग, ज्यादा से ज्यादा लोग कैंटर में आ सकें इसके लिए कैंटर में तख्तों से बने दो पार्टीशन और नींद में सोए लोगों पर टूटे तख्ते गिरना। अगर ऐसा नहीं होता तो सैनीवास के नजदीक हुए सड़क हादसे में मृतकों की संख्या इतनी नहीं होती। यह बात अभी तक इस हादसे के कारणों का जांच कर रही पुलिस के सामने आई है। पुलिस के अनुसार जिस समय यह हादसा हुआ तब कैंटर में बच्चों सहित 62 लोग थे।
इन सबके लिए कैंटर के बीच में काठ के तख्ते लगाकर दो पार्टीशन बनाए हुए थे। देखा जाए तो सैनीवास मोड़ इतना खतरनाक नहीं कि वहां इतना बड़ा हादसा हो। हादसे के समय ट्रक चढ़ाई चढ़ रहा था तो कैंटर उतर रहा था। इसलिए माना जा रहा है कि हादसे के समय ट्रक की बजाए कैंटर की स्पीड ज्यादा रही होगी।
इसके अलावा ट्रक चालक ने कैंटर से बचने के लिए ट्रक को सड़क से नीचे उतारा हुआ है। इससे लगता है कि कैंटर चालक को झपकी आई होगी। इससे वह बेकाबू होकर ट्रक में जा घुसा। कैंटर की बॉडी ट्रक की अपेक्षा कमजोर होती है। इसलिए कैंटर की बॉडी सिकुड़कर पीछे वाले हिस्से में धंसी तो पार्टीशन के लिए बनाए तख्ते टूट गए।
उस समय कैंटर के दोनों पार्टीशन में अधिकतर लोग सोए हुए थे। भिवानी में 24 शवों का पोस्टमार्टम करने वाले डॉ. मनीष पचार, डीपी यादव, नरोत्तम गोयल, संदीप चौधरी, कृष्ण कुमार और सचिन सहगल ने किया। डॉक्टरों ने बताया कि एक मृतक की छाती से काठ का तख्ता आर पार निकला हुआ था। इस तरह के मामलों में कुछ लोगों की मौत सदमें से भी हो जाती है।
सिवानी के थाना प्रभारी दलीप सिंह किरड़ोलिया ने बताया कि घटना के समय शायद कैंटर चालक को झपकी आई होगी। इससे कैंटर सामने से आ रहे ट्रक से जा टकराया। उन्होंने बताया कि घटना के समय ट्रक चढ़ाई कर रहा था वहीं कैंटर उतर रहा था। इससे लगता है कि कैंटर की स्पीड भी तेज होगी। यही सब कारण इस हादसे का कारण बने हो सकते हैं।

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