महिला उत्पीड़न के बढ़ते मामले
Updated on: Mon, 16 Jul 2012 03:05 PM (IST)
राज्य में महिला उत्पीड़न के बढ़ते मामले इस दृष्टि से चिंताजनक
है कि पिछले कुछ दिनों में दुष्कर्म के मामलों में काफी वृद्धि हुई है।
विगत दिवस पुंछ जिले के दारगलुन क्षेत्र में तीन युवकों ने गांव की एक
युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर हैवानियत का सबूत पेश किया। इतना ही नहीं
राजौरी के बेला कालोनी क्षेत्र में पुलिस ने एक चकलाघर का पर्दाफाश कर
पांच लोगों को गिरफ्तार किया। पकड़े गए सभी आरोपी पुलिस महकमे में तैनात
हैं। पुलिस ने चकलाघर चलाने वाली हिमाचल प्रदेश की एक युवती को भी गिरफ्तार
किया। दुख की बात यह है कि पुलिस के संरक्षण में चल रहे चकलाघर में
युवतियों को नौकरी का लालच देकर उन्हें देह व्यापार के धधे में उच्च
अधिकारियों तक को परोसा जाता था। सोचनीय विषय यह है कि एक ओर जहां राज्य
में महिला सशक्तिकरण की बात हो रही है वहां इस प्रकार की घटनाएं घटित होना
यह दर्शाता है कि आज भी पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं का शोषण हो रहा है।
यह घटनाएं राज्य में अपराध कम होने के पुलिस के दावों को भी झुठला रही हैं।
अगर हम आंकड़ों पर गौर करें तो एक माह में जम्मू संभाग में कम से कम
दुष्कर्म के छह से अधिक मामले दर्ज हुए हैं। विडंबना यह है कि महिला
उत्पीड़न के आरोपियों के खिलाफ कोई भी ठोस कार्रवाई न होने के कारण
अपराधियों के हौसले बढ़ रहे है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि राज्य
सरकार विधानसभा से लेकर कई अन्य मंचों पर महिलाओं को अधिकार देने और उनके
खिलाफ हो रहे अपराध पर अंकुश लगाने के आश्वासन देती रहती है परंतु उसकी
गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि रेजीडेसी मार्ग पर स्थित जम्मू
संभाग का एकमात्र महिला पुलिस थाना भी बंद हो गया है। कुछ वर्ष पहले राज्य
में बारह वूमेन सेल बनाने का फैसला जरूर किया गया था ताकि महिलाएं स्वयं
इन थानों में आकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकें लेकिन यह फैसला केवल कागजी
पुलिंदा बनकर रह गया। नतीजतन पीड़ित महिलाएं साधारण पुलिस स्टेशनों में
रिपोर्ट दर्ज करवाने में हिचकिचाती है जिससे कई संगीन मामले दब कर रह जाते
है। महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराध के पीछे कहीं न कहीं महिला आयोग की
कार्यप्रणाली भी जिम्मेदार है क्योंकि आयोग में सैकड़ों मामले अभी भी लंबित
हैं। सरकार को चाहिए कि महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए सरकारी तंत्र को
मजबूत करे।
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