एम्स में अव्यवस्था
देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित अस्पताल दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान
संस्थान (एम्स) में मरीजों व उनके परिजनों के ठहरने के लिए उपयुक्त
व्यवस्था न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों को
जहां भीषण गर्मी में खुले आकाश के नीचे लू के थपेड़ों का सामना करना पड़ता
है, वहीं सर्दी के दिनों में वे हाड़ कंपा देने वाली ठंड में ठिठुरने को
मजबूर होते हैं। दिल्ली में इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है, पारा सारे
रिकॉर्ड तोड़ रहा है लेकिन एम्स में इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों व
उनके परिजनों को गर्मी व लू के साथ अस्पताल में अव्यवस्था का भी सामना करना
पड़ रहा है, जो उनके लिए बड़ी मुसीबत बन रही है। एम्स परिसर में बड़ी संख्या
में मरीजों व उनके परिजनों को लू के थपेड़ों के बीच पेड़ या किसी दीवार की
छांव ढूंढते आसानी से देखा जा सकता है। किसी सामान्य अस्पताल की तरह एम्स
में भी मरीजों को ठहराने के लिए वार्ड की व्यवस्था है, वहीं हार्ट व न्यूरो
विभाग का वेटिंग रूम भी है, साथ ही एक नाइट शेल्टर भी चल रहा है। लेकिन
मरीजों की संख्या को देखते हुए यह व्यवस्था बहुत कम प्रतीत होती है। एम्स
में देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में गंभीर रोगी इलाज की उम्मीद लेकर
आते हैं, लेकिन मरीजों का दबाव अधिक होने के कारण यहां आते ही उनमें से
ज्यादातर को आगे की कोई न कोई तारीख बता दी जाती है। यहीं से उनकी समस्या
शुरू होती है। आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों व उनके परिजनों के लिए दिल्ली
में अस्पताल परिसर से इतर कहीं और रहना संभव नहीं होता, ऐसे में वे इलाज का
समय आने का इंतजार करने के लिए एम्स परिसर में ही कोई न कोई कोना ढूंढ
लेते हैं। यही नहीं, कई बार मरीजों को इलाज के दौरान वार्ड में बेड नहीं
मिलता, जिसके कारण उन्हें एम्स परिसर में ही किसी कोने में पड़े रहकर इलाज
कराना पड़ता है। गंभीर रोगों से ग्रस्त लोगों के लिए उम्मीद की आखिरी किरण
के रूप में तब्दील हो चुके एम्स में उनकी ऐसी दुर्दशा यकीनन चिंताजनक है।
एम्स प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करे कि यहां मरीजों को
जल्द इलाज मिले और उन्हें किसी प्रकार की परेशानी भी न होने पाए। मरीजों
की अधिक संख्या को देखते हुए प्रशासन को उनके ठहरने के लिए भी उचित
व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि पहले से बीमार लोगों व तीमारदारों को मौसम की
मार न झेलनी पड़े।
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