पिछड़ेपन की स्याह तस्वीर
Updated on: Fri, 27 Jul 2012 03:01 PM (IST)
अरबों रुपये का सर्वशिक्षा अभियान, प्रदेश को एजुकेशन हब बनाने
का संकल्प, सौ करोड़ का ड्यूल डेस्क आपूर्ति का ऑर्डर, 25 हजार अध्यापकों की
भर्ती की घोषणा, एजुसेट, हर सरकारी स्कूल का अपना भवन होने का लक्ष्य, मिड
डे मील, हर स्कूल में प्रयोगशाला, हर विद्यालय में कंप्यूटर लैब व जनरेटर
सेट का महत्वाकाक्षी प्रोजेक्ट. ये सारी योजनाएं यमुनानगर के पोबारी गाव को
चिढ़ाती प्रतीत हो रही हैं। दुर्भाग्य की बात है कि इस मध्यम दर्जे के इस
गाव में एक भी साक्षर नहीं, बच्चों ने स्कूल का मुंह नहीं देखा क्योंकि
स्कूल है ही नहीं। आखिर शिक्षा विभाग किस आधार पर राज्य को सौ फीसद साक्षर
बनाने के सपने देख रहा है? गहनता से सर्वेक्षण किया जाए तो पोबारी से
मिलते-जुलते कई गाव और मिल सकते हैं। 10 से 15 फीसद साक्षरता वाले दर्जनों
गाव अकेले मेवात जिले में हैं। योजनाओं की बहुतायत में क्त्रियान्वयन कहीं
दूर जा छिटका दिखाई दे रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं कि राज्य सरकार ने
शिक्षा क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और संसाधन उपलब्ध करवाने में कभी
कंजूसी नहीं दिखाई परंतु उसे यह भी गंभीरता से आकलन करना चाहिए कि
उद्देश्य की पूर्ति के लिए धरातल पर कितना काम हुआ। संसाधन झोंक कर
इंफ्रास्ट्रक्चर की सिर्फ नींव तैयार करना ही क्या मूल उद्देश्य है? उस
नींव पर ऊंचे भवन खड़े करने के लिए क्या कोई और आएगा? पोबारी गाव में आज तक
स्कूल क्यों नहीं खुला? वोटर लिस्ट, स्वास्थ्य अभियान तथा जनसंख्या
सर्वेक्षण के दौरान किसी सरकारी विभाग की नजर में यह गाव क्यों नहीं आया?
गाव में सड़क तो दूर, गली तक नहीं, आवागमन के साधन नहीं, स्वास्थ्य सेवा तो
दूर, मूलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जा रहीं। सरकार गंभीरता से विचार
करे कि इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है? पूरे प्रदेश
में विशेष अभियान चला कर ऐसे अन्य गावों की तत्काल पहचान होनी चाहिए।
सर्वशिक्षा अभियान के लिए आए धन का सभी जिलों और गावों में समान उपयोग होना
चाहिए। व्यावहारिकता की पहचान के बाद ही योजनाएं लागू हों। योजना निर्माण
और अमल के बीच जितनी विसंगति, जितना अंतर होगा, सरकार की दक्षता पर उतने ही
प्रश्नचिह्न चस्पा होंगे। पोबारी में शिक्षा, स्वास्थ्य, जनसुविधाएं,
बिजली-पानी के लिए दीर्घकालिक योजना बनाने में विलंब नहीं होना चाहिए। सबसे
तेज गति से विकसित हो रहे राज्य में सरकार की छवि और साख पर पोबारी की वजह
से बट्टा न लग जाए, इसके लिए समग्र प्रयास किए जाएं।
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