किसानों की आत्महत्या
Updated on: Tue, 17 Jul 2012 11:43 AM (IST)
विपक्ष लगातार किसानों की आत्महत्या का मुद्दा उठा रहा है लेकिन
सरकार उसकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से
लेकर कृषि मंत्री तक ने राज्य में किसानों की आत्महत्या से इन्कार किया है।
उनके मुताबिक कृषि संबंधी कारणों से किसी ने आत्महत्या नहीं की है। मुख्य
विपक्षी पार्टी माकपा का कहना है कि कर्ज के बोझ से दब कर किसानों ने
आत्महत्या की है। अब तक राज्य में आत्महत्या करनेवाले किसानों की संख्या 64
तक पहुंच गयी है। इस मुद्दे पर विपक्ष के शोरगुल मचाने के बावजूद सरकार ने
कोई कदम नहीं उठाया। अब किसानों की आत्महत्या का मामला कोर्ट तक पहुंच गया
है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने किसानों की आत्महत्या पर राज्य व केंद्र सरकार से
तीन सप्ताह के अंदर हलफनामा मांगा है। अधिवक्ता अनंत दास की ओर से दायर
जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जयनारायणन पटेल की
अध्यक्षतावाले डिवीजन बेंच ने राज्य में बढ़ती किसानों की आत्महत्या पर
राज्य व केंद्र सरकार को अदालत के समक्ष अपना पक्ष रखने को कहा है। राज्य
में बढ़ती किसानों की आत्महत्या और उनकी अन्य समस्या पर वामपंथी किसान
संगठनों ने आंदोलन की घोषणा की है। किसानों को उनकी फसल का मूल्य नहीं मिल
रहा है। महंगाई के मार से किसान परेशान हैं। अधिक लागत के कारण छोटे किसान
खेती करने में असमर्थ हैं। इस मुद्दे पर अब वामपंथी किसान संगठनों का
हस्ताक्षर अभियान शुरु होगा जो लगातार 30 अगस्त तक चलेगा। किसानों की
समस्या पर हस्ताक्षर संग्रह कर उसे राज्य के सभी एसडीओ को सौंपा जायेगा।
एसडीओ के मार्फत उसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजा जायेगा। पश्चिम बंगाल
प्रादेशिक कृषक सभा ने किसानों की आत्महत्या पर लगातार आंदोलन की यह लंबी
कार्यसूची घोषित की है। एक तरफ हाईकोर्ट ने किसानों की आत्महत्या पर सरकार
से जवाब तलब किया है और दूसरी ओर वामपंथी किसान संगठनों ने लगातार आंदोलन
शुरू किया है। आंदोलन के समक्ष सरकार भले ही नहीं झुके, लेकिन वह इस मुद्दे
पर कोर्ट को जवाब देने से नहीं बच सकती। किसानों की आत्महत्या संवेदनशील
और चिंता का विषय है। इसे राजनीति से अलग हट कर देखना चाहिए और आत्महत्या
के कारणों का पता लगाना चाहिए। विपक्ष ही नहीं सरकार में शामिल कांग्रेस ने
भी किसानों की आत्महत्या पर चिंता जतायी है और इस मामले में मुख्यमंत्री
से हस्तक्षेप की मांग की है। विपक्ष ने आत्महत्या करनेवाले किसानों की सूची
भी बनायी है। मृत किसानों के नाम व पता के साथ विपक्ष की यह तालिका सही है
या गलत, इसकी जांच करना भी सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार यदि इस पर पहले
ही गंभीरता से विचार करती तो कोर्ट को हस्तक्षेप नहीं करना पड़ता। किसानों
की आत्महत्या पर सरकार को गंभीरता से विचार कर इसकी जांच कराना चाहिए।
विपक्ष का तथ्य सही है या गलत, यह भी जांच के बाद ही पता चलेगा।
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