देवभूमि में अपराध
Updated on: Wed, 18 Jul 2012 03:10 PM (IST)
पहाड़ की फिजाओं में मर्यादा खत्म होती जा रही है और काम, क्रोध व
लोभ बढ़ रहा है। यही कारण है कि समाज में अराजकता फैल रही है। प्रदेश में
बढ़ता अपराध का ग्राफ न केवल प्रदेश की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि
गिरते सामाजिक मूल्यों का भी परिचायक है। गलत राह पर चल रहे कुछ लोगों की
मानसिकता व शालीनता की हद पार करने की प्रवृत्तिपहाड़ के सौंदर्य को कलुषित
करने में लगी है। बिलासपुर में पशु चराने गई युवती से दुष्कर्म का मामला हो
या सुजानपुर में नाबालिगका शारीरिक शोषण या धर्मशाला में शादी का झांसा
देकर दुष्कर्म का, यही साबित करते हैं कि कुछ लोगों की आंख का पानी सूख
चुका है। नारी को अपमानित करने वाले शायद भूल बैठे हैं कि जिसने उन्हें
जन्म दिया, वह भी एक नारी ही है। पुराणों में नारी को भगवान के समान माना
गया है। नारी की यह दुर्गति समाज के पतन की प्रतीक भी है। दुखद यह है कि
किशोर पीढ़ी भी ऐसे अपराधों में संलिप्त है। हत्या, लूट व ठगी के बढ़ते
मामले पहाड़ की संस्कृति से न मेल खाते हैं और न ही सभ्य समाज कभी इसे
स्वीकार कर सकता है। प्रदेश सरकार 'बेटी है अनमोल' जैसे अभियान चलाकर बेटी
को सुरक्षित बनाने के लिए प्रयास कर रही है पर ऐसे लोग अपने कृत्यों से इस
अभियान को पलीता लगाने में कसर नहीं छोड़ रहे। क्या कारण हैं कि नारी अब घर
में ही सुरक्षित नहीं है? इस सवाल का जवाब हर वह व्यक्ति जानना चाहता है,
जिसकी संवेदना मरी नहीं है और जिसके दिल में सामाजिक सरोकार अब भी सांस ले
रहे हैं। युवा पीढ़ी देश का भविष्य है। इसी पीढ़ी को आगे चलकर देश संभालना
है। अगर वह पथभ्रष्ट हो रही है तो अभिभावकों, परिजनों और शिक्षकों की
जिम्मेदारी अहम हो गई है। उन्हें बच्चों को सही राह पर ले जाना होगा। उसे
ऐसे मार्ग पर चलने से रोकना होगा जिसमें कांटे ही कांटे हैं। माना कि आवेश
में आकर ही लोग आपराधिक वारदातों को अंजाम देते हैं पर इसे रोका जा सकता
है। यदि लोग खुद पर नियंत्रण कर लें तो ऐसी नौबत ही नहीं आएगी। सोच-विचार
के बाद ही कोई कदम उठाया जाना चाहिए। हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है और हम
सबका दायित्व है कि ऐसे कार्यो से दूर रहें, जो इसकी छवि को नुकसान
पहुंचाते हैं।
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