18.7.12

मिले भगवान, ऐसे बना ब्रह्मांड

FnF संवाददाता , Jul 04, 2012, 16:41 pm IST
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मिले भगवान,  ऐसे बना ब्रह्मांड जेनेवा: बह्मांड की उत्पत्ति और जीवन के सृजन संबंधी कई प्रश्नों का जवाब देने में सक्षम गॉड पार्टिकल को बुधवार को खोज लिया गया।

स्विटजरलैंड और फ्रांस की सीमा पर स्थित 27 किलोमीटर लंबी एक भूमिगत सुरंग में हिग्स बोसोन पर वर्ष 2009 से दिन-रात शोध कर रही यूरोपीय परमाणु शोध संगठन (सर्न) की दो टीमों (एटलस) और (सीएमएस) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में इससे मिलते-जुलते कण के आस्तित्व की बात स्वीकार की।

सर्न की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमें अपने आंकड़ों में एक नए कण के पाए जाने के स्पष्ट संकेत मिले हैं। यह हमारे शोध संयंत्र लार्ज हेड्रोन कोलाइडर के 125 और 126 जीईवी क्षेत्र में स्थित है। यह एक अद्भुत क्षण हैं।

हमने अब तक मिले सभी बोसोन कणों में से सबसे भारी बोसोन को खोज निकाला है। सर्न ने इन नए आंकड़ों को सिग्मा 05 श्रेणी में स्थान दिया है, जिसके मायने होतें हैं नए पदार्थ की खोज।

जिनेवा में साइंटिस्टों ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया कि उन्‍हें प्रयोग के दौरान नए कण मिले, जिनकी कई खूबियां हिग्‍स बोसोन से मिलती हैं। उन्‍होंने बताया कि वैज्ञानिक नए कणों के विश्‍लेषण में जुटे हैं।

वहीं, एटलस एक्सपेरिमेंट प्रोजेक्ट पर काम कर रहे ब्रिटिश भौतिकशास्त्री ब्रॉयन कॉक्स के मुताबिक सीएमएस ने एक नया बोसोन खोजा है जो कि स्टेंडर्ड हिग्स बोसोन की तरह ही है।

हालांकि कॉक्स ने यह भी कहा कि अधिक जानकारी के लिए हिग्स सिग्नल को प्रत्येक इवेंट में 30-प्रोटोन कॉलिजन कराना पड़ेगा जो कि काफी मुश्किल होगा क्योंकि यह एटलस प्रोजेक्ट की डिजाइन क्षमता के बाहर की बात है।

सर्न की खोज पर प्रतिक्रिया देते हुए वैज्ञानिक पीटर हिग्स ने कहा कि सर्न के वैज्ञानिक आज के नतीजों के लिए बधाई के पात्र हैं, यह यहां तक पहुंचने के लिए लार्ज हेड्रान कोलाइडर और अन्य प्रयोगों के प्रयासों का ही नतीजा है। मैं नतीजों की रफ्तार देखकर हैरान हूं।

खोज की रफ्तार शोधकर्ताओं की विशेषज्ञता और मौजूदा तकनीक की क्षमताओं का प्रमाण है। मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी कि मेरे जीवनकाल में ही ऐसा होगा।

इससे पहले, फ्रांस और स्विटजरलैंड की सीमा पर जिनेवा में बनी सबसे बड़ी प्रयोगशाला में दुनिया भर के बड़े वैज्ञानिकों को निमंत्रित किया गया था।

गौरतलब है कि गॉड पार्टिकल या हिग्स बोसोन वे कण हैं, जिसकी ब्रह्मांड के बनने में अहम भूमिका मानी जाती है। फिजिक्स के नियमों के मुताबिक धरती पर हर चीज को मास देने वाले यही कण हैं। लोगों को 1960 के दशक में इनके बारे में पहली बार पता चला। तब से ये फिजिक्स की अबूझ पहेली बने हुए हैं।

यूरोपियन ऑर्गनाइजेशन फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (सर्न) के जिनीवा के पास स्थित फिजिक्स रिसर्च सेंटर के साइंटिस्टों ने बताया कि गॉड पार्टिकल का पता तब चला, जब एटलस और सीएमएस प्रयोगों से जुड़े साइंटिस्टों ने लार्ज हैड्रोन कॉलाइडर को तेज स्पीड में चलाकर कई कणों को आपस में टकराए।

इस दौरान बोसोन के चमकते हुए अंश सामने आए, लेकिन उन्हें पकड़ना मुमकिन नहीं था। सीएमएस से जुड़े एक साइंटिस्ट ने बताया, ये दोनों ही प्रयोग एक ही मास लेवल पर गॉड पार्टिकलों के वजूद का संकेत दे रहे हैं।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर हिग्स बोसोन के वजूद की पुष्टि होती है, तो यह ब्रह्मांड के सभी मूलभूत तत्वों के रहस्यों को सामने लाने की शुरुआत होगी और यह पिछले 100 सालों में सबसे अहम खोज कही जाएगी।

विश्व के सबसे बड़े परमाणु शोध केन्द्र के दो स्वतंत्र दलों में से एक के प्रमुख जोइ इनकांडेला ने खचाखच भरे यूरोपीय परमाणु शोध केन्द्र (सर्न) में वैज्ञानिकों से कहा कि आंकड़े इस खोज के लिए जरूरी निश्चितता के स्तर तक पहुंच गये हैं।
  
लेकिन उन्होंने यह पुष्टि नहीं की कि नया अणु छोटा हिंग्स बोसोन ही है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि उसने ब्रह्मांड के सभी पदार्थों को आकार और स्वरुप दिया। इस बीच, भौतिक वैज्ञानिकों के दूसरे दल ने भी दावा किया कि उन्हें एक नये पदार्थ के बारे में पता चला है जो संभवत: हिंग्स बोसोन है।
  
इस घोषणा के बाद पीटर हिंग्स सहित सभी वैज्ञानिकों ने तालियां बजाकर सराहना की। वर्ष 1964 में पहली बार हिंग्स ने ही इस तत्व के अस्तित्व की बात कही थी।
  
सर्न ने बयान में कहा कि उन्हें एलएचसी में जो सूक्ष्म पदार्थ मिला है, वह लंबे समय से खोजे जा रहे हिंग्स बोसोन की तरह है लेकिन इस खोज की पहचान के लिए और तथ्यों की जरूरत है।
  
सर्न महानिदेशक रोल्फ हेउअर ने कहा कि हमने प्रकृति को लेकर अपनी समझ में नया मुकाम हासिल किया है।
  
रोल्फ ने कहा कि हिंग्स बोसोन की तरह लगने वाले इस अणु की खोज और ज्यादा विस्तत अध्ययनों का रास्ता खोलती है, जिसके लिए और आंकड़ों की जरूरत है, जिससे नये अणु की प्रकति के बारे में पता चलेगा और जो हमारे ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा उठाने में मददगार होगा।

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